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जशपुर दीपू बगीचा तालाबंदी विवाद ने पकड़ा तूल, राजी पड़हा समाज ने दी छत्तीसगढ़ और झारखंड बंद की चेतावनी - Jashpur Deepu Bagicha - JASHPUR DEEPU BAGICHA

जशपुर दीपू बगीचा तालाबंदी विवाद का मामला तूल पकड़ता जा रहा है. राजी पड़हा समाज ने बगीचे के अंदर दो कमरों को नहीं खोले जाने पर छत्तीसगढ़ और झारखंड में बंद करने से जुड़ी चेतावनी दी है. समाज के लोगों ने कहा है कि यह बंद अनिश्चितकाल के लिए रहेगा.

RAJI PADHA SOCIETY WARNED
राजी पड़हा समाज की महाआक्रोश सभा (ETV BHARAT)
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By ETV Bharat Chhattisgarh Team

Published : Sep 3, 2024, 10:13 PM IST

जशपुर दीपू बगीचा तालाबंदी विवाद ने पकड़ा तूल (ETV BHARAT)

जशपुर: सरगुजा संभाग के जशपुर जिले में दीपू बगीचा बंदी का मुद्दा गरमाता जा रहा है. यहां राजी पहड़ा आदिवासी समाज ने मोर्चा खोल दिया है. समाज की तरफ से कहा गया है कि अगर दीपू बगीचे को नहीं खोला गया तो वे छत्तीसगढ़ के साथ साथ झारखंड में बंद बुलाएंगे. जिला प्रशासन को सीएम से मुलाकात कराने का अल्टीमेटल भी राजी पहड़ा आदिवासी समाज ने किया है.

राजी पड़हा समाज की महाआक्रोश सभा: राजी पड़हा समाज ने इस पूरे मुद्दे पर मंगलवार को महाआक्रोश सभा का आयोजन किया. इस सभा में शामिल होने के लिए छत्तीसगढ़, झारखंड और ओडिशा से भी समाज के लोग आए. सबने एक स्वर में दीपू बगीचा में हुई तालाबंदी को खोलने की मांग की है.भारी सुरक्षा व्यवस्था के बीच मुख्य वक्ता के रूप में पहुंचे राजी पड़हा प्रार्थना सभा के धर्म गुरू बंधन तिग्गा का भव्य स्वागत किया गया. सभा को संबोधित करते हुए जशपुर के पूर्व विधायक विनय भगत ने कहा कि "दीपू बगीचा की जमीन आजादी से पहले से आदिवासी समाज की अमानत है. 1980 के दशक से उनके पिता रामदेव भगत के नेतृत्व में सरहुल पूजा का आयोजन होता आ रहा है."

"आदिवासियों की इस पवित्र भूमि को विकसित करने के लिए पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने 50 लाख रूपये देने की घोषणा की थी,वहीं आदिवासी मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय की सरकार में यहां तालाबंदी की जा रही है. दीपू बगीचा की चाबी वापस समाज को सौंपने की अपील करता हूं. सामाजिक कार्यो में प्रशासन को हस्तक्षेप नहीं करना चाहिए": विनय भगत,पूर्व विधायक

बंधन तिग्गा ने भी बोला हमला: इस मामले में मुख्य वक्ता बंधन तिग्गा ने भी अपने बातें रखी. उन्होंने कहा कि" आदिवासी समाज प्रकृति का उपासक होता है. उसके किसी भी धार्मिक स्थल पर ताला नहीं लगाया जाता है, लेकिन सरकार और प्रशासन ने षडयंत्र रच कर दीपू बगीचा में ताला लगाने का काम किया है. यह आदिवासी समाज के लिए बहुत तकलीफ दायक है.

"रायमुनि भगत आदिवासी समाज की बेटी हैं. उसके बाद भी वह समाज की परम्परा के विपरीत काम कर रही हैं. दीपू बगीचा का ताला ना खुलने पर ओडिशा,झारखंड बिहार सहित पूरे देश से आदिवासी समाज को जशपुर में बुला कर अनिश्चितकालिन बंद और चक्काजाम किया जाएगा.": बंधन तिग्गा, मुख्य वक्ता, राजी पड़हा समाज

रायमुनि भगत ने किया पलटवार: इस पूरे मसले पर बंधन तिग्गा के आरोपों पर विधायक रायमुनि भगत ने पलटवार किया है. उन्होंने कहा कि," उरांव आदिवासी समाज के लोग महादेव पार्वती के साथ प्रकृति के उपासक हैं जो मूलतः हिंदू हैं. बंधन तिग्गा यह बताएं कि वह किस धर्म को मानते हैं. उरांव समाज के राजी पड़हा न्याय व्यवस्था में कोई धर्मगुरु नहीं होता.विदेशी झंडा लेकर ये विदेशी ताकतों के इशारे पर छत्तीसगढ़ में उरांव समाज को विभक्त करने का काम कर रहे हैं.झारखंड से क्या वे किसी कार्डिनल और बिशप के कहने पर यहां धार्मिक उन्माद फैलाने की कोशिश कर रहे हैं. ऐसे में आज बंधन तिग्गा के दिए गए बयान से हिंदू उरांव समाज दुखी और आहत है"

हिंदू उरांव समाज ने भी रखा पक्ष: हिंदू उरांव समाज के अध्यक्ष कृपाशंकर भगत ने बताया दीपू बगीचा सरना स्थल सभी के पूजा अर्चना के लिए खुला है.यहां जो पारंपरिक व्यवस्था चली आ रही है वह यथावत है.बंधन तिग्गा ने जिस सरना धर्म की बात कही है वह सरासर गलत है,सरना उरांव समाज का पूजा स्थल है.हिंदू उरांव समाज अनादि काल से महादेव पार्वती एवं प्रकृति के उपासक हैं जो मूलतः हिंदू हैं"

दीपू बगीचा तालाबंदी का क्या है विवाद: दीपू बगीचा एक सरना स्थल है. यहां पर राजी पड़हा आदिवासी और आदिवासी समाज के बीच दीपू बगीचा सरना स्थल को लेकर विवाद है. बीते दिनों अगस्त महीने में दीपू बगीचा में एक हॉस्टल का संचालन किया जा रहा था. जिस पर प्रशासन ने कार्रवाई करते हुए इस हॉस्टल में तालाबंदी कर दी थी. दीपू बगीचा के अंदर एक हॉस्टल का कक्ष है. उसको सिर्फ बंद किया गया था.

हॉस्टल संचालन को लेकर लगे थे आरोप: यहां संचालित हॉस्टल को लेकर आरोप लगे थे कि उसमें तीन साल से लेकर दस साल के बच्चों को रखकर अवैध तरीके से हॉस्टल का संचालन किया जा रहा था. जिसमें लड़के और लड़कियों को एक ही कमरे में रखा जा रहा था. इसकी कोई परमिशन नहीं थी. इसको लेकर विवाद हुआ और प्रशासन ने एक्शन लिया. जिसके बाद दीपू बगीचा के कक्ष में तालाबंदी की गई. अब वही दीपू बगीचा के कमरों में हुई तालाबंदी को खुलवाने को लेकर राजी पड़हा समाज ने आंदोलन की चेतावनी दी है.

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जशपुर: सरगुजा संभाग के जशपुर जिले में दीपू बगीचा बंदी का मुद्दा गरमाता जा रहा है. यहां राजी पहड़ा आदिवासी समाज ने मोर्चा खोल दिया है. समाज की तरफ से कहा गया है कि अगर दीपू बगीचे को नहीं खोला गया तो वे छत्तीसगढ़ के साथ साथ झारखंड में बंद बुलाएंगे. जिला प्रशासन को सीएम से मुलाकात कराने का अल्टीमेटल भी राजी पहड़ा आदिवासी समाज ने किया है.

राजी पड़हा समाज की महाआक्रोश सभा: राजी पड़हा समाज ने इस पूरे मुद्दे पर मंगलवार को महाआक्रोश सभा का आयोजन किया. इस सभा में शामिल होने के लिए छत्तीसगढ़, झारखंड और ओडिशा से भी समाज के लोग आए. सबने एक स्वर में दीपू बगीचा में हुई तालाबंदी को खोलने की मांग की है.भारी सुरक्षा व्यवस्था के बीच मुख्य वक्ता के रूप में पहुंचे राजी पड़हा प्रार्थना सभा के धर्म गुरू बंधन तिग्गा का भव्य स्वागत किया गया. सभा को संबोधित करते हुए जशपुर के पूर्व विधायक विनय भगत ने कहा कि "दीपू बगीचा की जमीन आजादी से पहले से आदिवासी समाज की अमानत है. 1980 के दशक से उनके पिता रामदेव भगत के नेतृत्व में सरहुल पूजा का आयोजन होता आ रहा है."

"आदिवासियों की इस पवित्र भूमि को विकसित करने के लिए पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने 50 लाख रूपये देने की घोषणा की थी,वहीं आदिवासी मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय की सरकार में यहां तालाबंदी की जा रही है. दीपू बगीचा की चाबी वापस समाज को सौंपने की अपील करता हूं. सामाजिक कार्यो में प्रशासन को हस्तक्षेप नहीं करना चाहिए": विनय भगत,पूर्व विधायक

बंधन तिग्गा ने भी बोला हमला: इस मामले में मुख्य वक्ता बंधन तिग्गा ने भी अपने बातें रखी. उन्होंने कहा कि" आदिवासी समाज प्रकृति का उपासक होता है. उसके किसी भी धार्मिक स्थल पर ताला नहीं लगाया जाता है, लेकिन सरकार और प्रशासन ने षडयंत्र रच कर दीपू बगीचा में ताला लगाने का काम किया है. यह आदिवासी समाज के लिए बहुत तकलीफ दायक है.

"रायमुनि भगत आदिवासी समाज की बेटी हैं. उसके बाद भी वह समाज की परम्परा के विपरीत काम कर रही हैं. दीपू बगीचा का ताला ना खुलने पर ओडिशा,झारखंड बिहार सहित पूरे देश से आदिवासी समाज को जशपुर में बुला कर अनिश्चितकालिन बंद और चक्काजाम किया जाएगा.": बंधन तिग्गा, मुख्य वक्ता, राजी पड़हा समाज

रायमुनि भगत ने किया पलटवार: इस पूरे मसले पर बंधन तिग्गा के आरोपों पर विधायक रायमुनि भगत ने पलटवार किया है. उन्होंने कहा कि," उरांव आदिवासी समाज के लोग महादेव पार्वती के साथ प्रकृति के उपासक हैं जो मूलतः हिंदू हैं. बंधन तिग्गा यह बताएं कि वह किस धर्म को मानते हैं. उरांव समाज के राजी पड़हा न्याय व्यवस्था में कोई धर्मगुरु नहीं होता.विदेशी झंडा लेकर ये विदेशी ताकतों के इशारे पर छत्तीसगढ़ में उरांव समाज को विभक्त करने का काम कर रहे हैं.झारखंड से क्या वे किसी कार्डिनल और बिशप के कहने पर यहां धार्मिक उन्माद फैलाने की कोशिश कर रहे हैं. ऐसे में आज बंधन तिग्गा के दिए गए बयान से हिंदू उरांव समाज दुखी और आहत है"

हिंदू उरांव समाज ने भी रखा पक्ष: हिंदू उरांव समाज के अध्यक्ष कृपाशंकर भगत ने बताया दीपू बगीचा सरना स्थल सभी के पूजा अर्चना के लिए खुला है.यहां जो पारंपरिक व्यवस्था चली आ रही है वह यथावत है.बंधन तिग्गा ने जिस सरना धर्म की बात कही है वह सरासर गलत है,सरना उरांव समाज का पूजा स्थल है.हिंदू उरांव समाज अनादि काल से महादेव पार्वती एवं प्रकृति के उपासक हैं जो मूलतः हिंदू हैं"

दीपू बगीचा तालाबंदी का क्या है विवाद: दीपू बगीचा एक सरना स्थल है. यहां पर राजी पड़हा आदिवासी और आदिवासी समाज के बीच दीपू बगीचा सरना स्थल को लेकर विवाद है. बीते दिनों अगस्त महीने में दीपू बगीचा में एक हॉस्टल का संचालन किया जा रहा था. जिस पर प्रशासन ने कार्रवाई करते हुए इस हॉस्टल में तालाबंदी कर दी थी. दीपू बगीचा के अंदर एक हॉस्टल का कक्ष है. उसको सिर्फ बंद किया गया था.

हॉस्टल संचालन को लेकर लगे थे आरोप: यहां संचालित हॉस्टल को लेकर आरोप लगे थे कि उसमें तीन साल से लेकर दस साल के बच्चों को रखकर अवैध तरीके से हॉस्टल का संचालन किया जा रहा था. जिसमें लड़के और लड़कियों को एक ही कमरे में रखा जा रहा था. इसकी कोई परमिशन नहीं थी. इसको लेकर विवाद हुआ और प्रशासन ने एक्शन लिया. जिसके बाद दीपू बगीचा के कक्ष में तालाबंदी की गई. अब वही दीपू बगीचा के कमरों में हुई तालाबंदी को खुलवाने को लेकर राजी पड़हा समाज ने आंदोलन की चेतावनी दी है.

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