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यति नरसिंहानंद के खिलाफ तत्काल कार्रवाई की मांग, कश्मीरी उलेमाओं ने अमित शाह को लिखा पत्र - Hate Speech - HATE SPEECH

जम्मू-कश्मीर के उलेमाओं ने एकजुट होकर महंत यति नरसिंहानंद सरस्वती की पैगंबर मुहम्मद के खिलाफ अपमानजनक टिप्पणी का विरोध किया है.

Kashmiri ulemas letter to Amit Shah demands action against Yati Narsinghanand in Hate Speech
कश्मीरी उलेमाओं ने अमित शाह को लिखा पत्र (X / @mirwaizmanzil)
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By ETV Bharat Hindi Team

Published : Oct 6, 2024, 8:29 PM IST

श्रीनगर: कश्मीरी उलेमाओं और विभिन्न धार्मिक संगठनों के प्रमुखों ने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह को पत्र लिखा है और पैगंबर मुहम्मद के खिलाफ अपमानजनक टिप्पणी करने के लिए डासना शिवशक्ति धाम के महंत यति नरसिंहानंद सरस्वती के खिलाफ तत्काल कानूनी कार्रवाई करने का आग्रह किया है.

पत्र में कहा गया है, "हम आपके ध्यान में एक अत्यंत चिंताजनक मुद्दे को लाने के लिए लिख रहे हैं, जिसने पूरे भारत और उसके बाहर लाखों मुसलमानों की भावनाओं को आहत किया है. यति नरसिंहानंद द्वारा पैगंबर मुहम्मद को निशाना बनाते हुए की गई भड़काऊ और अपमानजनक टिप्पणियों ने मुस्लिम समुदाय को गंभीर भावनात्मक संकट में डाल दिया है और व्यापक अशांति की संभावना पैदा कर दी है."

उलेमाओं ने कहा कि "किसी भी लोकतांत्रिक समाज में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता मौलिक अधिकार है, लेकिन यह नफरत फैलाने और धार्मिक भावनाओं और पूरे समुदाय को गहरी चोट पहुंचाने का लाइसेंस नहीं हो सकता है. भारत कई धर्मों और जातियों का देश है, जहां सभी धर्मों का सम्मान सर्वोपरि होना चाहिए. ऐसी टिप्पणियां न केवल आपत्तिजनक हैं बल्कि विभाजनकारी भी हैं और सांप्रदायिक सद्भाव और शांति के लिए खतरा पैदा करती हैं."

उन्होंने मांग की है कि भारत सरकार को देश के कानून और संविधान के अनुसार यति नरसिंहानंद के खिलाफ उनकी भड़काऊ टिप्पणियों के लिए उचित कानूनी कार्रवाई करनी चाहिए और हमारी आस्था की पवित्रता का सम्मान करना चाहिए.

उन्होंने कहा कि इस मामले में तत्काल और सख्त कार्रवाई से यह संदेश जाएगा कि नफरत फैलाने वाले भाषण और हिंसा भड़काने वोलों की सभ्य समाज में कोई जगह नहीं होगी. यह मुस्लिम समुदाय को यह आश्वासन भी देगा कि उनकी आस्था और मूल्यों का सम्मान किया जाता है और कानून के तहत उनकी रक्षा की जाती है. हमें उम्मीद है कि आप इस संवेदनशील मामले को गंभीरता से लेंगे और सभी समुदायों के बीच शांति और सद्भाव बहाल करने के लिए जरूरी कदम उठाए जाएंगे.

गृह मंत्री शाह को पत्र लिखने वाले उलेमा
गृह मंत्री शाह को पत्र लिखने वालों में हुर्रियत अध्यक्ष मौलवी उमर फारूक (मीरवाइज-ए-कश्मीर), मुफ्ती नासिर-उल-इस्लाम (ग्रैंड मुफ्ती, जम्मू-कश्मीर), मौलाना रहमतुल्लाह कासिमी (दारुल उलूम रहीमियाह), आगा सैयद हसन अल मूसवी (अंजुमन शरी शियान), डॉ. अब्दुल लतीफ अल-किंदी (जमीयत अहले हदीस), मौलाना गुलाम रसूल हामी (कारवान-ए-इस्लामी), मौलाना मसरूर अब्बास अंसारी (इत्तेहादुल मुस्लिमीन), मुफ्ती इनायतुल्लाह कासमी (इमाम जामा मस्जिद जम्मू), शेख सादिक रजाई (इमाम खुमैनी मेमोरियल ट्रस्ट- करगिल), शेख नजीर मेहदी (जमीयतुल उलेमा- करगिल), मौलाना उमर नदवी (जामिया मस्जिद- लेह), मुफ्ती नजीर अहमद कादरी (मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड- जम्मू) और श्रीनगर स्थित मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड और मुत्तहिदा मजलिस-ए-उलेमा के सभी अन्य सदस्य शामिल हैं.

उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद में पैगंबर मुहम्मद के खिलाफ अपमानजनक टिप्पणी करने वाले विवादास्पद महंत के खिलाफ जम्मू और राजौरी में विरोध प्रदर्शन किया गया. प्रदर्शन में सिख और अखिल भारतीय परिसंघ अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और अन्य पिछड़ा वर्ग के प्रदेश अध्यक्ष आरके कलसोत्रा भी शामिल हुए.

यह भी पढ़ें- सबरीमाला में नहीं होगी स्पॉट बुकिंग, भीड़ को कंट्रोल करने के लिए लिया सरकार ने लिया फैसला

श्रीनगर: कश्मीरी उलेमाओं और विभिन्न धार्मिक संगठनों के प्रमुखों ने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह को पत्र लिखा है और पैगंबर मुहम्मद के खिलाफ अपमानजनक टिप्पणी करने के लिए डासना शिवशक्ति धाम के महंत यति नरसिंहानंद सरस्वती के खिलाफ तत्काल कानूनी कार्रवाई करने का आग्रह किया है.

पत्र में कहा गया है, "हम आपके ध्यान में एक अत्यंत चिंताजनक मुद्दे को लाने के लिए लिख रहे हैं, जिसने पूरे भारत और उसके बाहर लाखों मुसलमानों की भावनाओं को आहत किया है. यति नरसिंहानंद द्वारा पैगंबर मुहम्मद को निशाना बनाते हुए की गई भड़काऊ और अपमानजनक टिप्पणियों ने मुस्लिम समुदाय को गंभीर भावनात्मक संकट में डाल दिया है और व्यापक अशांति की संभावना पैदा कर दी है."

उलेमाओं ने कहा कि "किसी भी लोकतांत्रिक समाज में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता मौलिक अधिकार है, लेकिन यह नफरत फैलाने और धार्मिक भावनाओं और पूरे समुदाय को गहरी चोट पहुंचाने का लाइसेंस नहीं हो सकता है. भारत कई धर्मों और जातियों का देश है, जहां सभी धर्मों का सम्मान सर्वोपरि होना चाहिए. ऐसी टिप्पणियां न केवल आपत्तिजनक हैं बल्कि विभाजनकारी भी हैं और सांप्रदायिक सद्भाव और शांति के लिए खतरा पैदा करती हैं."

उन्होंने मांग की है कि भारत सरकार को देश के कानून और संविधान के अनुसार यति नरसिंहानंद के खिलाफ उनकी भड़काऊ टिप्पणियों के लिए उचित कानूनी कार्रवाई करनी चाहिए और हमारी आस्था की पवित्रता का सम्मान करना चाहिए.

उन्होंने कहा कि इस मामले में तत्काल और सख्त कार्रवाई से यह संदेश जाएगा कि नफरत फैलाने वाले भाषण और हिंसा भड़काने वोलों की सभ्य समाज में कोई जगह नहीं होगी. यह मुस्लिम समुदाय को यह आश्वासन भी देगा कि उनकी आस्था और मूल्यों का सम्मान किया जाता है और कानून के तहत उनकी रक्षा की जाती है. हमें उम्मीद है कि आप इस संवेदनशील मामले को गंभीरता से लेंगे और सभी समुदायों के बीच शांति और सद्भाव बहाल करने के लिए जरूरी कदम उठाए जाएंगे.

गृह मंत्री शाह को पत्र लिखने वाले उलेमा
गृह मंत्री शाह को पत्र लिखने वालों में हुर्रियत अध्यक्ष मौलवी उमर फारूक (मीरवाइज-ए-कश्मीर), मुफ्ती नासिर-उल-इस्लाम (ग्रैंड मुफ्ती, जम्मू-कश्मीर), मौलाना रहमतुल्लाह कासिमी (दारुल उलूम रहीमियाह), आगा सैयद हसन अल मूसवी (अंजुमन शरी शियान), डॉ. अब्दुल लतीफ अल-किंदी (जमीयत अहले हदीस), मौलाना गुलाम रसूल हामी (कारवान-ए-इस्लामी), मौलाना मसरूर अब्बास अंसारी (इत्तेहादुल मुस्लिमीन), मुफ्ती इनायतुल्लाह कासमी (इमाम जामा मस्जिद जम्मू), शेख सादिक रजाई (इमाम खुमैनी मेमोरियल ट्रस्ट- करगिल), शेख नजीर मेहदी (जमीयतुल उलेमा- करगिल), मौलाना उमर नदवी (जामिया मस्जिद- लेह), मुफ्ती नजीर अहमद कादरी (मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड- जम्मू) और श्रीनगर स्थित मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड और मुत्तहिदा मजलिस-ए-उलेमा के सभी अन्य सदस्य शामिल हैं.

उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद में पैगंबर मुहम्मद के खिलाफ अपमानजनक टिप्पणी करने वाले विवादास्पद महंत के खिलाफ जम्मू और राजौरी में विरोध प्रदर्शन किया गया. प्रदर्शन में सिख और अखिल भारतीय परिसंघ अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और अन्य पिछड़ा वर्ग के प्रदेश अध्यक्ष आरके कलसोत्रा भी शामिल हुए.

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