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जम्मू-कश्मीर: सरकारी नौकरियों के लिए गैर-जम्मू-कश्मीर निवासियों के चयन किए जाने पर आक्रोश

जम्मू-कश्मीर में नेशनल कांफ्रेंस के वरिष्ठ नेता शेख बशीर ने कहा कि पिछले दस वर्षों में सरकार द्वारा लिए गए निर्णयों की समीक्षा होनी चाहिए.

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सरकारी नौकरियों के लिए गैर-जम्मू-कश्मीर निवासियों के चयन किए जाने पर आक्रोश (प्रतीकात्मक फोटो) (ANI)
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By ETV Bharat Hindi Team

Published : Oct 19, 2024, 2:27 PM IST

जम्मू: जम्मू-कश्मीर में सरकारी नौकरी के लिए दो गैर-जम्मू कश्मीर निवासियों के नाम की सूची जारी होने से राजनीतिक दलों, सामाजिक कार्यकर्ताओं और छात्र संघों में रोष फैल गया. उन्होंने अधिसूचना वापस लेने की मांग की. गुरुवार को हस्तशिल्प विभाग में क्लस्टर डेवलपमेंट एग्जीक्यूटिव और टेक्सटाइल डिजाइनर के पद के लिए छह उम्मीदवारों के चयन की अधिसूचना जारी की गई. इन छह उम्मीदवारों में से दो बाहरी राज्यों (उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश) से हैं.

इंटरव्यू नोटिस की अधिसूचना की प्रति को सोशल मीडिया पर अपलोड कर इसकी आलोचना की गई. नेशनल कांफ्रेंस के वरिष्ठ नेता और जम्मू के प्रांतीय सचिव शेख बशीर ने कहा कि पिछले दस वर्षों में तानाशाह सरकार द्वारा लिए गए निर्णयों की समीक्षा होनी चाहिए. जम्मू-कश्मीर में दस साल तक लोकतांत्रिक सरकार रहने के बाद नौकरशाही द्वारा लिए गए सभी निर्णयों की समीक्षा की जाएगी और उन्हें ये निर्णय वापस लेने होंगे.

नेशनल कॉन्फ्रेंस का स्पष्ट रुख है कि बाहरी लोगों को सरकारी नौकरी नहीं दी जानी चाहिए. एनसी नेता ने आगे कहा कि उन्हें ऐसे फैसले वापस लेने होंगे. उन्होंने कहा कि जम्मू-कश्मीर के युवाओं के अधिकारों को उनके लिए सुरक्षित रखा जाना चाहिए, अगर सरकार बाहरी लोगों की भर्ती करती है, तो हम आदेश वापस ले लेंगे.

सामाजिक कार्यकर्ता और राजनीतिक विश्लेषक सोहेल काजमी ने ईटीवी भारत से बात करते हुए बाहरी लोगों को सरकारी नौकरी देने के बारे में कहा कि यह बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है. उन्होंने कहा,'मैंने वह अधिसूचना भी देखी है. इसमें बाहरी लोगों को सरकारी नौकरियों के लिए चुना गया है. मेरा मानना ​​है कि भारत सरकार को जम्मू कश्मीर के बेरोजगारी अनुपात की जांच करने के लिए सहानुभूति रखनी चाहिए. नौकरी की सुरक्षा के लिए अनुच्छेद 371 को जम्मू कश्मीर को दिया जाना चाहिए. गैर स्थानीय लोगों को नौकरी देने के लिए इस प्रकार के सरकारी दृष्टिकोण को देखकर मुझे बहुत दुख हो रहा है.'

जम्मू-कश्मीर छात्र संघ के राष्ट्रीय संयोजक नासिर खुहमी ने कहा कि 25फीसदी की बेरोजगारी दर के साथ राष्ट्रीय औसत से लगभग तीन गुना जम्मू- कश्मीर में युवा जीवनयापन के लिए संघर्ष कर रहे हैं. स्थानीय लोगों के लिए उपलब्ध नौकरियों के अवसर बाहरी लोगों द्वारा छीन लिए जा रहे हैं. यह अस्वीकार्य है. हमें आश्वासन दिया गया था कि हमारी नौकरियों की सुरक्षा की जाएगी, लेकिन वर्तमान स्थिति कुछ और ही कहानी बयां करती है. स्थानीय युवाओं को दरकिनार किया जा रहा है, और वे अवसर जो जम्मू-कश्मीर के निवासियों के हक में होने चाहिए, उन्हें छीना जा रहा है.

हम तत्काल हस्तक्षेप की मांग करते हैं. इस बात की गहन जांच की मांग करते हैं कि गैर-स्थानीय लोग जम्मू-कश्मीर के निवासियों के लिए निर्धारित नौकरियों को कैसे हासिल कर रहे हैं. भर्ती प्रक्रिया पारदर्शी और जवाबदेह होनी चाहिए, जिससे यह सुनिश्चित हो सके कि स्थानीय लोगों को रोजगार तक उचित पहुंच मिले.

अपनी पार्टी के प्रवक्ता एडवोकेट यासिर खान ने कहा कि जम्मू-कश्मीर में स्थानीय उम्मीदवारों के लिए यह वास्तव में निराशाजनक हो सकता है जब सरकारी विभागों, जैसे कि जम्मू-कश्मीर हैंडलूम विभाग में भर्ती प्रक्रिया में क्षेत्र के बाहर के उम्मीदवारों को शॉर्टलिस्ट किया जाता है.

ये भी पढ़ें- जम्मू कश्मीर में सरकार गठन के लिए उमर अब्दुल्ला उपराज्यपाल से मिले

जम्मू: जम्मू-कश्मीर में सरकारी नौकरी के लिए दो गैर-जम्मू कश्मीर निवासियों के नाम की सूची जारी होने से राजनीतिक दलों, सामाजिक कार्यकर्ताओं और छात्र संघों में रोष फैल गया. उन्होंने अधिसूचना वापस लेने की मांग की. गुरुवार को हस्तशिल्प विभाग में क्लस्टर डेवलपमेंट एग्जीक्यूटिव और टेक्सटाइल डिजाइनर के पद के लिए छह उम्मीदवारों के चयन की अधिसूचना जारी की गई. इन छह उम्मीदवारों में से दो बाहरी राज्यों (उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश) से हैं.

इंटरव्यू नोटिस की अधिसूचना की प्रति को सोशल मीडिया पर अपलोड कर इसकी आलोचना की गई. नेशनल कांफ्रेंस के वरिष्ठ नेता और जम्मू के प्रांतीय सचिव शेख बशीर ने कहा कि पिछले दस वर्षों में तानाशाह सरकार द्वारा लिए गए निर्णयों की समीक्षा होनी चाहिए. जम्मू-कश्मीर में दस साल तक लोकतांत्रिक सरकार रहने के बाद नौकरशाही द्वारा लिए गए सभी निर्णयों की समीक्षा की जाएगी और उन्हें ये निर्णय वापस लेने होंगे.

नेशनल कॉन्फ्रेंस का स्पष्ट रुख है कि बाहरी लोगों को सरकारी नौकरी नहीं दी जानी चाहिए. एनसी नेता ने आगे कहा कि उन्हें ऐसे फैसले वापस लेने होंगे. उन्होंने कहा कि जम्मू-कश्मीर के युवाओं के अधिकारों को उनके लिए सुरक्षित रखा जाना चाहिए, अगर सरकार बाहरी लोगों की भर्ती करती है, तो हम आदेश वापस ले लेंगे.

सामाजिक कार्यकर्ता और राजनीतिक विश्लेषक सोहेल काजमी ने ईटीवी भारत से बात करते हुए बाहरी लोगों को सरकारी नौकरी देने के बारे में कहा कि यह बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है. उन्होंने कहा,'मैंने वह अधिसूचना भी देखी है. इसमें बाहरी लोगों को सरकारी नौकरियों के लिए चुना गया है. मेरा मानना ​​है कि भारत सरकार को जम्मू कश्मीर के बेरोजगारी अनुपात की जांच करने के लिए सहानुभूति रखनी चाहिए. नौकरी की सुरक्षा के लिए अनुच्छेद 371 को जम्मू कश्मीर को दिया जाना चाहिए. गैर स्थानीय लोगों को नौकरी देने के लिए इस प्रकार के सरकारी दृष्टिकोण को देखकर मुझे बहुत दुख हो रहा है.'

जम्मू-कश्मीर छात्र संघ के राष्ट्रीय संयोजक नासिर खुहमी ने कहा कि 25फीसदी की बेरोजगारी दर के साथ राष्ट्रीय औसत से लगभग तीन गुना जम्मू- कश्मीर में युवा जीवनयापन के लिए संघर्ष कर रहे हैं. स्थानीय लोगों के लिए उपलब्ध नौकरियों के अवसर बाहरी लोगों द्वारा छीन लिए जा रहे हैं. यह अस्वीकार्य है. हमें आश्वासन दिया गया था कि हमारी नौकरियों की सुरक्षा की जाएगी, लेकिन वर्तमान स्थिति कुछ और ही कहानी बयां करती है. स्थानीय युवाओं को दरकिनार किया जा रहा है, और वे अवसर जो जम्मू-कश्मीर के निवासियों के हक में होने चाहिए, उन्हें छीना जा रहा है.

हम तत्काल हस्तक्षेप की मांग करते हैं. इस बात की गहन जांच की मांग करते हैं कि गैर-स्थानीय लोग जम्मू-कश्मीर के निवासियों के लिए निर्धारित नौकरियों को कैसे हासिल कर रहे हैं. भर्ती प्रक्रिया पारदर्शी और जवाबदेह होनी चाहिए, जिससे यह सुनिश्चित हो सके कि स्थानीय लोगों को रोजगार तक उचित पहुंच मिले.

अपनी पार्टी के प्रवक्ता एडवोकेट यासिर खान ने कहा कि जम्मू-कश्मीर में स्थानीय उम्मीदवारों के लिए यह वास्तव में निराशाजनक हो सकता है जब सरकारी विभागों, जैसे कि जम्मू-कश्मीर हैंडलूम विभाग में भर्ती प्रक्रिया में क्षेत्र के बाहर के उम्मीदवारों को शॉर्टलिस्ट किया जाता है.

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