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जेकेसीए मामला: हाई कोर्ट ने फारूक अब्दुल्ला और अन्य के खिलाफ ED के आरोपपत्र खारिज किए - Jammu Kashmir and Ladakh High Court

Jammu Kashmir and Ladakh High Court, जम्मू-कश्मीर और लद्दाख हाई कोर्ट ने जेकेसीए से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग के मामले में फारूक अब्दुल्ला व अन्य के खिलाफ दायर चार्जशीट को खारिज कर दिया है. पढ़िए पूरी खबर...

Dr. Farooq Abdullah
डॉ. फारूक अब्दुल्ला (ANI)
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By ETV Bharat Hindi Team

Published : Aug 14, 2024, 9:36 PM IST

श्रीनगर : जम्मू-कश्मीर और लद्दाख उच्च न्यायालय ने बुधवार को जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. फारूक अब्दुल्ला और कई अन्य के खिलाफ जम्मू-कश्मीर क्रिकेट एसोसिएशन (JKCA) से जुड़े एक मनी लॉन्ड्रिंग मामले में प्रवर्तन निदेशालय (ED) की चार्जशीट खारिज कर दी.

जस्टिस संजीव कुमार द्वारा पारित एकल पीठ के आदेश में स्पष्ट रूप से कहा गया है कि इन लोगों के खिलाफ कोई विधेय अपराध नहीं बनता है, इस वजह से ईडी द्वारा दायर आरोपपत्र और पूरक आरोपपत्र को रद्द किया जाता है. बता दें कि ईडी ने अपने आरोपपत्र में नेशनल कॉन्फ्रेंस के प्रमुख फारूक अबदुल्ला के अलावा जेकेसीए के पूर्व कोषाध्यक्ष अहसान अहमद मिर्जा और जेकेसीए के एक अन्य पूर्व कोषाध्यक्ष मीर मंजूर समेत कुछ अन्य लोगों को आरोपी बनाया था. इस पपर आरोप पत्र में सूचीबद्ध किए लोगों ने इसे रद्द करने के लिए हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था.

इसी कड़ी में अहसान अहमद मिर्जा और गजनफर का प्रतिनिधित्व कर रहे वकील शरीक जे रियाज ने हाई कोर्ट में दायिका दायर करते हुए कहा था कि इस मामले में ईडी का कोई अधिकार क्षेत्र नहीं है औस उनके मुवक्किलों के विरुद्ध दायर आरोपपत्र रद्द कर दिए जाने चाहिए. मिर्जा और गजनफर का प्रतिनिधित्व कर रहे शरीक जे रियाज ने उच्च न्यायालय में याचिका दायर कर कहा था कि इस मामले में प्रवर्तन निदेशालय का कोई अधिकार क्षेत्र नहीं है और उनके मुवक्किलों के खिलाफ दायर आरोपपत्र रद्द कर दिया जाना चाहिए.

कोर्ट ने दलीलों को सुनने के बाद सात अगस्त को फैसला सुरक्षित रख लिया था. ईडी का प्रतिनिधित्व अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल एस वी राजू ने ऑनलाइन तरीके से किया . वकील रियाज ने कहा कि अदालत ने ‘‘हमारी दलील स्वीकार कर ली है कि कोई भी अपराध नहीं बनता है’’ और ईडी के पास इस मामले को लेकर कोई अधिकार नहीं है. बता दें कि अहसान अहमद मिर्जा को ईडी ने सितंबर, 2019 में गिरफ्तार किया था और उसी साल नवंबर में उनके खिलाफ आरोप पत्र दायर किया गया था और उसी शिकायत पर केस चल रहा है. इसी मामले में एजेंसी फारूक अब्दुल्ला से कई बार पूछताछ कर चुकी है.

गौरतलब है कि ईडी ने पूर्व में जारी तीन अलग-अलग आदेशों के तहत अब्दुल्ला और अन्य की 21.55 करोड़ रुपये मूल्य की संपत्ति कुर्क की थी. एजेंसी का मामला इन्हीं आरोपियों के खिलाफ सीबीआई द्वारा दायर 2018 के आरोपपत्र पर आधारित है.

फारूक अब्दुल्ला, मिर्जा, गजनफर और पूर्व लेखाकार बशीर अहमद मिसगर और गुलजार अहमद बेग के खिलाफ दायर सीबीआई के आरोपपत्र में कहा गया है कि 2002 से 2011 के बीच तत्कालीन राज्य में खेल को बढ़ावा देने के लिए ‘भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड’ द्वारा दिए गए अनुदान से ‘‘जेकेसीए के 43.69 करोड़ रुपये के धन का दुरुपयोग’’ किया गया था. ईडी की जांच में दावा किया गया था कि जेकेसीए को 2005 और 2011 के बीच तीन अलग-अलग बैंक खातों में बीसीसीआई से 94.06 करोड़ रुपये मिले थे. आरोप लगाया कि इन निधियों को वैध बनाने के लिए जेकेसीए के नाम से अतिरिक्त बैंक खाते खोले गए थे.

ये भी पढ़ें -सुप्रीम कोर्ट ने यूट्यूबर सवुक्कू शंकर के खिलाफ दंडात्मक कार्यवाही पर लगाई रोक, तमिलनाडु सरकार से मांगा जवाब

श्रीनगर : जम्मू-कश्मीर और लद्दाख उच्च न्यायालय ने बुधवार को जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. फारूक अब्दुल्ला और कई अन्य के खिलाफ जम्मू-कश्मीर क्रिकेट एसोसिएशन (JKCA) से जुड़े एक मनी लॉन्ड्रिंग मामले में प्रवर्तन निदेशालय (ED) की चार्जशीट खारिज कर दी.

जस्टिस संजीव कुमार द्वारा पारित एकल पीठ के आदेश में स्पष्ट रूप से कहा गया है कि इन लोगों के खिलाफ कोई विधेय अपराध नहीं बनता है, इस वजह से ईडी द्वारा दायर आरोपपत्र और पूरक आरोपपत्र को रद्द किया जाता है. बता दें कि ईडी ने अपने आरोपपत्र में नेशनल कॉन्फ्रेंस के प्रमुख फारूक अबदुल्ला के अलावा जेकेसीए के पूर्व कोषाध्यक्ष अहसान अहमद मिर्जा और जेकेसीए के एक अन्य पूर्व कोषाध्यक्ष मीर मंजूर समेत कुछ अन्य लोगों को आरोपी बनाया था. इस पपर आरोप पत्र में सूचीबद्ध किए लोगों ने इसे रद्द करने के लिए हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था.

इसी कड़ी में अहसान अहमद मिर्जा और गजनफर का प्रतिनिधित्व कर रहे वकील शरीक जे रियाज ने हाई कोर्ट में दायिका दायर करते हुए कहा था कि इस मामले में ईडी का कोई अधिकार क्षेत्र नहीं है औस उनके मुवक्किलों के विरुद्ध दायर आरोपपत्र रद्द कर दिए जाने चाहिए. मिर्जा और गजनफर का प्रतिनिधित्व कर रहे शरीक जे रियाज ने उच्च न्यायालय में याचिका दायर कर कहा था कि इस मामले में प्रवर्तन निदेशालय का कोई अधिकार क्षेत्र नहीं है और उनके मुवक्किलों के खिलाफ दायर आरोपपत्र रद्द कर दिया जाना चाहिए.

कोर्ट ने दलीलों को सुनने के बाद सात अगस्त को फैसला सुरक्षित रख लिया था. ईडी का प्रतिनिधित्व अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल एस वी राजू ने ऑनलाइन तरीके से किया . वकील रियाज ने कहा कि अदालत ने ‘‘हमारी दलील स्वीकार कर ली है कि कोई भी अपराध नहीं बनता है’’ और ईडी के पास इस मामले को लेकर कोई अधिकार नहीं है. बता दें कि अहसान अहमद मिर्जा को ईडी ने सितंबर, 2019 में गिरफ्तार किया था और उसी साल नवंबर में उनके खिलाफ आरोप पत्र दायर किया गया था और उसी शिकायत पर केस चल रहा है. इसी मामले में एजेंसी फारूक अब्दुल्ला से कई बार पूछताछ कर चुकी है.

गौरतलब है कि ईडी ने पूर्व में जारी तीन अलग-अलग आदेशों के तहत अब्दुल्ला और अन्य की 21.55 करोड़ रुपये मूल्य की संपत्ति कुर्क की थी. एजेंसी का मामला इन्हीं आरोपियों के खिलाफ सीबीआई द्वारा दायर 2018 के आरोपपत्र पर आधारित है.

फारूक अब्दुल्ला, मिर्जा, गजनफर और पूर्व लेखाकार बशीर अहमद मिसगर और गुलजार अहमद बेग के खिलाफ दायर सीबीआई के आरोपपत्र में कहा गया है कि 2002 से 2011 के बीच तत्कालीन राज्य में खेल को बढ़ावा देने के लिए ‘भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड’ द्वारा दिए गए अनुदान से ‘‘जेकेसीए के 43.69 करोड़ रुपये के धन का दुरुपयोग’’ किया गया था. ईडी की जांच में दावा किया गया था कि जेकेसीए को 2005 और 2011 के बीच तीन अलग-अलग बैंक खातों में बीसीसीआई से 94.06 करोड़ रुपये मिले थे. आरोप लगाया कि इन निधियों को वैध बनाने के लिए जेकेसीए के नाम से अतिरिक्त बैंक खाते खोले गए थे.

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