जम्मू: जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनाव 2024 को लेकर केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने शनिवार को जम्मू में एक जनसभा को संबोधित किया. अमित शाह का जम्मू-कश्मीर दौरे का आज दूसरा दिन है. अपने संबोधन में गृह मंत्री ने कहा कि जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद 370 हटने के बाद पहली बार ऐतिहासिक चुनाव हो रहा है. जम्मू-कश्मीर में दो संविधान नहीं है और यहां अब आंदोलन की जरूरत नहीं है. इस दौरान उन्होंने दोहराया कि अनुच्छेद 370 इतिहास का हिस्सा है और कभी वापस नहीं आएगा.
बीजेपी का महिलाओं पर फोकस
भारतीय जनता पार्टी ने जम्मू-कश्मीर चुनाव को जीतने के लिए कई अनोखी चुनावी रणनीति तैयार की है. इनमे से एक है पार्टी की महिला मोर्चा की टोलियां. इसमें लगभग 38 महिला मोर्चा की सदस्यों को जोड़ा गया है. ये जम्मू- कश्मीर और बॉर्डर के सुदूर इलाकों में जाकर महिलाओं को चुनाव और पार्टी की केंद्र में मौजूद भाजपा सरकार की योजनाओं से अवगत करा रही हैं. इस संबंध में जम्मू संभाग की महिला मोर्चा की सदस्यों ने इस बारे में ईटीवी भारत की वरिष्ठ संवाददाता अनामिका रत्ना से बात की.
जम्मू-कश्मीर का विधानसभा चुनाव धारा 370और 35-A हटने के बाद पहला चुनाव है. इसे जीतने के लिए सभी दल ऐड़ी चोटी की जोर आजमाइश लगा रहे हैं. भारतीय जनता पार्टी ने भी इस चुनाव कि तैयारी काफी पहले से ही कर ली थी और अब चुनावी मैदान में सभी पार्टियां दो-दो हाथ करने को तैयार है.
बीजेपी को मालूम है की उनके कोर वोटर्स में महिलाओं का काफी योगदान है. इसलिए भाजपा ने महिलाओं को अपने पाले में मतदान करने की खास रणनीति तैयार की है. इसमे लगभग 38 महिलाओं की टीम बनाई गई है.
ये अलग-अलग जगहों पर जाकर खासतौर पर बॉर्डर इलाके के गांव में जाकर महिलाओं को पीएम मोदी सरकार कि उपलब्धियों बता रहीं हैं. कमल मेहंदी और स्कूटी राइड जैसी योजनाएं इन इलाकों की महिलाओं को भाजपा ने अपने खाते में रिझाने के लिए बनाई है.
कैसे ये अलग-अलग महिलाओं की टोली सुदूर और संवेदनशील इलाकों में जाकर महिला वोटर्स को भाजपा के पक्ष में रिझाने की कोशिश करती है. इस बारे में बताया जम्मू संभाग के महिला मोर्चा की महासावहीव दीप्ति रावत और सचदेवा ने इस मुद्दे को ईटीवी से खास बातचीत में विस्तार से बताया. साथ ही उन्होंने ये भी कहा की कुछ बॉर्डर इलाके में सुरक्षा संबंधित चुनौतियां भी हैं लेकिन उसका समाधान करके ही इन महिलाओं तक पहुंचा जा रहा है.