नई दिल्ली : जम्मू-कश्मीर में 10 साल के अंतराल के बाद विधानसभा चुनाव हुए. अनुच्छेद 370 हटने और केंद्र शासित प्रदेश बनने के बाद यह पहला चुनाव है. विभिन्न पोल एजेंसियों के एग्जिट पोल के आंकड़े सामने आ चुके हैं. हालांकि, एग्जिट पोल के नतीजों में किसी भी दल को स्पष्ट बहुमत मिलता नहीं दिख रहा है. पोल ऑफ पोल्स के मुताबिक कांग्रेस और नेशनल कॉन्फ्रेंस गठबंधन को जम्मू-कश्मीर में सबसे अधिक सीटें जीतने का अनुमान है.
जम्मू-कश्मीर विधानसभा में 90 सीटें हैं और बहुमत का जादुई आंकड़ा 46 है. एक्सिस माय इंडिया के एग्जिट पोल के आंकड़ों में जम्मू-कश्मीर में कांग्रेस-एनसी गठबंधन को 35-45 सीटें मिलने का अनुमान लगाया है, जबकि भाजपा को 24-34 सीटें मिलने की भविष्यवाणी की गई है. वहीं, पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती के नेतृत्व वाली पीडीपी को 4-6 सीटें और इंजीनियर राशिद की एआईपी पार्टी को 3-8 सीटें मिलने का अनुमान है.
पीपुल्स पल्स के एग्जिट पोल के आंकड़ों के अनुसार कांग्रेस-एनसी गठबंधन को 46-50 मिल सकती हैं. वहीं भाजपा को 23-27 सीटें, पीडीपी को 7-11 और अन्य दलों को 4-6 सीटें मिलने का अनुमान लगाया गया है.
इंडिया टुडे-सी वोटर के एग्जिट पोल के अनुसार, केंद्र शासित प्रदेश में भाजपा को 27-32, कांग्रेस-एनसी गठबंधन को 40-48, पीडीपी को 6-12 और अन्य दलों को 6-11 सीटें मिलने की भविष्यवाणी की गई है.
त्रिशंकु विधानसभा होने पर किसको फायदा...
एग्जिट पोल के आंकड़ों पर विश्वास किया जाए तो जम्मू-कश्मीर में खंडित जनादेश आ सकते हैं यानी किसी भी पार्टी को स्पष्ट बहुत नहीं मिलने की संभावना नहीं है. ऐसे में अगर, 8 अक्टूबर को घोषित होने वाले चुनाव नतीजों में भाजपा सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरती है तो वह जम्मू-कश्मीर में सरकार बनाने में सक्षम हो सकती है.
हालांकि, एग्जिट पोल के अनुमान हमेशा सटीक नहीं होते हैं. ये चुनाव नतीजे की सिर्फ झलक माने जा सकते हैं, क्योंकि एग्जिट पोल के अनुमान कई बार चुनाव नतीजें के उलट साबित हो चुके हैं.
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