नई दिल्ली: कांग्रेस पार्टी ने जम्मू कश्मीर में होने वाले विधानसभा चुनावों के लिए पार्टी कार्यकर्ताओं को संगठित करना शुरू करने का निर्देश दिया है. 27 जून को होने वाली समीक्षा से पहले कांग्रेस प्रमुख मल्लिकार्जुन खड़गे ने केंद्र शासित प्रदेश में पार्टी नेताओं को बड़ा टास्क दिया है. जम्मू-कश्मीर कांग्रेस इकाई ने जम्मू क्षेत्र के उन प्रमुख जिलों में कार्यकर्ता के साथ बैठकें आयोजित करना शुरू कर दिया है, जहां कांग्रेस के उम्मीदवार भाजपा को नहीं हरा पाए, लेकिन उन्होंने पार्टी के वोट शेयर में उल्लेखनीय वृद्धि की है. पार्टी ने यह निर्देश 23 जून से 5 जुलाई तक जारी रखने को कहा है.
पार्टी के अंदरूनी सूत्रों ने बताया कि अभियान के दौरान उधमपुर, डोडा, किश्तवाड़, बनिहाल, रामबन, गूल, रियासी, आरएस पुर, सांबा और रियासी जैसे जिलों में कार्यकर्ता सम्मेलन आयोजित किए जाएंगे. इस कार्यकर्ता सम्मेलन में जम्मू-कश्मीर इकाई के प्रमुख विकार रसूल वाणी के अलावा, जम्मू और उधमपुर सीटों से दो लोकसभा उम्मीदवार क्रमशः रमन भल्ला और चौधरी लाल सिंह भी शामिल होंगे.
जम्मू-कश्मीर के एआईसीसी प्रभारी भरत सिंह सोलंकी ने ईटीवी भारत को बताया कि इसका उद्देश्य कार्यकर्ताओं को उनके समर्थन के लिए धन्यवाद देना और आगामी विधानसभा चुनावों के लिए उन्हें संगठित करना है. यह पार्टी प्रणाली को सक्रिय करने का पहला कदम है. 27 जून को दिल्ली में रणनीति सत्र के बाद और बैठकें होंगी. जम्मू-कश्मीर कांग्रेस के वरिष्ठ नेता रविंदर शर्मा के अनुसार, उधमपुर लोकसभा सीट पर पार्टी का वोट शेयर 31 प्रतिशत से बढ़कर 41 प्रतिशत हो गया, जबकि भाजपा का वोट शेयर इस बार 61 प्रतिशत से घटकर 51 प्रतिशत रह गया. उन्होंने कहा कि जम्मू सीट पर भी कांग्रेस का वोट शेयर कई गुना बढ़ा है. उन्होंने कहा कि दोनों लोकसभा सीटों पर भाजपा की जीत का अंतर 3 लाख से घटकर 1 लाख वोट रह गया है.
वहीं, शर्मा ने आगे कहा कि राजौरी-पुंछ इलाका जो मुस्लिम बहुल इलाका था, उसे जम्मू सीट से छीन लिया गया, जो अब 90 प्रतिशत हिंदू आबादी वाला इलाका है. फिर भी भाजपा का अंतर कम हुआ.हम अच्छी स्थिति में हैं और थोड़े और प्रयास से हम निश्चित रूप से आगामी राज्य चुनाव जीत सकते हैं. कांग्रेस नेता ने कहा कि कार्यकर्ताओं की बैठकों में स्थानीय मुद्दे भी उठाए जाएंगे, जिससे पार्टी को आगामी विधानसभा चुनावों के लिए अभियान तैयार करने में मदद मिलेगी.
शर्मा ने कहा कि जाहिर है कि राष्ट्रीय मुद्दे बने रहेंगे, लेकिन विधानसभा चुनाव स्थानीय मुद्दों पर अधिक केंद्रित होते हैं. स्थानीय लोगों के विशेष अधिकारों, बेरोजगारी और सुरक्षा के अलावा पूर्ण राज्य का दर्जा बहाल करना भी मुद्दा है. रियासी में भी कार्यकर्ता बैठक होगी, जहां हाल ही में आतंकी हमले हुए थे. जम्मू क्षेत्र में कभी आतंकी हमले नहीं हुए, लेकिन खतरा यहां भी पहुंच गया है. सरकार दावा करती है कि उसने आतंकवाद को खत्म कर दिया है, लेकिन हकीकत कुछ और ही है.
शर्मा ने कहा ने कहा कि 2019 में जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाले अनुच्छेद 370 को हटाने के बाद, तत्कालीन सीमावर्ती राज्य को दो केंद्र शासित प्रदेशों जम्मू-कश्मीर और लद्दाख में विभाजित कर दिया गया था. कांग्रेस नेता ने चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि केंद्र शीर्ष अदालत के आदेश के अनुसार सितंबर तक होने वाले विधानसभा चुनावों को टाल सकता है, लेकिन कहा कि पार्टी को आने वाले बड़े मुकाबले के लिए संगठन को तैयार करना होगा. वे जम्मू क्षेत्र में हाल ही में हुए आतंकी हमलों का हवाला देकर चुनाव टाल सकते हैं, लेकिन यह कदम सरकार के दावों पर सवाल खड़ा करेगा. वैसे भी, हमें सितंबर में होने वाले चुनावों के लिए तैयार रहना होगा.
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