श्रीनगर: जम्मू कश्मीर विधानसभा चुनाव 2024 का बिगुल बज चुका है. चुनाव आयोग ने केंद्र शासित प्रदेश में तीन चरणों 18, 25 सितंबर और 1 अक्टूबर को वोटिंग कराने का ऐलान किया है. वहीं, रिजल्ट 4 अक्टूबर को घोषित किए जाएंगे. जम्मू कश्मीर के लोग दस साल बाद हो रहे विधानसभा चुनाव 2024 को लेकर काफी उत्साहित हैं. वहीं, लद्दाख के लोग विरोध कर रहे हैं.
पहला चरण 18 सितंबर को होना है, जिसके लिए राजनीतिक दल मतदाताओं को लुभाने में जुटे हैं. इससे इतर पूर्ववर्ती हिस्सा लद्दाख इस चुनाव का विरोध करने का फैसला कर रहा है. जानकारी के मुताबिक वोटिंग से पहले बड़े प्रदर्शन की योजना है.
इसी सिलसिले में लेह एपेक्स बॉडी (एलएबी) ने 1 सितंबर से लेह से दिल्ली तक पैदल मार्च करने की घोषणा की है, ताकि केंद्र सरकार पर एलएबी और कारगिल डेमोक्रेटिक अलायंस (केडीए) के नेताओं के साथ उनकी चार प्रमुख मांगों के लिए बातचीत फिर से शुरू करने का दबाव बनाया जा सके. एलएबी और केडीए राजनीतिक और सामाजिक नेताओं द्वारा लेह और कारगिल में अनुच्छेद 370 को निरस्त करने के बाद गठित किए गए समूह हैं जो राज्य के दर्जे की मांग का नेतृत्व कर रहे हैं.
इनकी मांगों में पूर्ण राज्य का दर्जा देना तो शामिल है. इसके आलावा छठी अनुसूची का दर्जा देना, भर्ती के लिए लोक सेवा आयोग की स्थापना करना और एक अतिरिक्त संसद सीट देना भी शामिल है. बता दें, लद्दाख 5 अगस्त, 2019 तक जम्मू और कश्मीर का हिस्सा था. अनुच्छेद 370 को निरस्त करने के बाद केंद्र सरकार ने केंद्र शासित प्रदेश का दर्जा दिया था. इसके दो जिले कारगिल और लेह जम्मू और कश्मीर विधानसभा के लिए चार विधायकों के लिए वोटिंग करेंगे.
कारगिल के पूर्व कांग्रेस विधायक असगर अली करबलाई ने इस मामले पर ईटीवी भारत से कहा कि पूर्ववर्ती जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाए जाने के बाद से लद्दाख के लोगों को उनके मतदान और लोकतांत्रिक अधिकारों से वंचित किया गया है. उन्होंने आगे कहा कि जम्मू-कश्मीर को भी केंद्र शासित प्रदेश बना दिया गया, लेकिन विधानसभा को बरकरार रखते हुए वोटिंग अधिकार नहीं छीना गया. हम अपने वोटिंग अधिकार को वापस पाने के लिए राज्य का दर्जा और छठी अनुसूची के लिए लड़ रहे हैं.
उन्होंने कहा कि हम विधायी, वित्तीय और कार्यकारी शक्तियों के साथ पूर्ण राज्य का दर्जा चाहते हैं. हमारे मुद्दों को हल करने का यही एकमात्र तरीका है, वरना हमारी लड़ाई जारी रहेगी. बता दें, 3 लाख की आबादी वाले लद्दाख में दो स्वायत्त पहाड़ी विकास परिषद हैं - एक लेह और एक कारगिल जिलों के लिए. इन पहाड़ी परिषदों का गठन 1995 में लद्दाख स्वायत्त पहाड़ी विकास परिषद अधिनियम 1995 के तहत किया गया था.