नई दिल्ली: कांग्रेस और नेशनल कॉन्फ्रेंस अलग-अलग घोषणापत्रों पर केंद्र शासित प्रदेश जम्मू कश्मीर में विधानसभा चुनाव लड़ेंगे, लेकिन अगर गठबंधन सत्ता में आता है तो वे एक मिनिमम कॉमन प्रोग्राम तैयार करेंगे. यह बात मंगलवार को दोनों पार्टियों के वरिष्ठ नेताओं ने कही.
पिछले कुछ दिनों से गहन विचार-विमर्श के बाद सोमवार को दोनों दलों ने गठबंधन पर मुहर लगाई. बता दें कि 90 सदस्यीय विधानसभा के लिए 18, 25 सितंबर और 1 अक्टूबर को चुनाव होंगे. नतीजे 4 अक्टूबर को आएंगे.
कांग्रेस जम्मू कश्मीर में 32 सीटों पर, नेशनल कॉन्फ्रेंस 51, पैंथर्स पार्टी 1 और सीपीआई-एम 1 सीट पर चुनाव लड़ रही है. पांच सीटों पर कांग्रेस और नेशनल कॉन्फ्रेंस के बीच फ्रेंडली मुकाबला होगा, क्योंकि इन सीटों को लेकर दोनों दलों के बीच कोई समझौता नहीं हो सका.
आक्रामक अभियान शुरू करेगी कांग्रेस
कांग्रेस जल्द ही केंद्र शासित प्रदेश में आक्रामक अभियान शुरू करेगी और इसका नेतृत्व लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी, प्रियंका गांधी और पार्टी प्रमुख मल्लिकार्जुन खड़गे करेंगे. पार्टी के अंदरूनी सूत्रों ने कहा कि तीनों शीर्ष नेताओं की रैलियों और रोड शो के कार्यक्रम पर काम किया जा रहा है.
कांग्रेस का ध्यान पूर्ण राज्य का दर्जा बहाली पर
जम्मू कश्मीर के AICC प्रभारी भरत सिंह सोलंकी ने ईटीवी भारत को बताया, "हम अपने जन-समर्थक घोषणापत्र पर चुनाव लड़ेंगे, जिसे जल्द ही जारी किया जाएगा. हालांकि, हमारे घोषणापत्र में कई वादे होंगे, लेकिन कांग्रेस का ध्यान पूर्ण राज्य का दर्जा बहाल करने, युवाओं के लिए नौकरियां और लोगों की इच्छाओं का सम्मान करने पर होगा."
उन्होंने कहा, "राहुल गांधी जम्मू-कश्मीर के लोगों से प्यार करते हैं और लोग भी उनसे प्यार करते हैं. वह हमेशा चुनावों में आक्रामक अभियान चलाते हैं." वरिष्ठ नेता ने कहा कि नेशनल कॉन्फ्रेंस के घोषणापत्र में संविधान के अनुच्छेद 370 को वापस लाने का उल्लेख किया है, जिसने जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा दिया था, लेकिन 2019 में इसे हटा दिया गया. यह पार्टी के लिए कोई मुद्दा नहीं था.
सोलंकी ने कहा, "नेशनल कॉन्फ्रेंस अपने घोषणापत्र के आधार पर चुनाव लड़ेगी. अगर गठबंधन अगली सरकार बनाता है, तो हम CMP पर काम करेंगे. अनुच्छेद 370 पर हमारा रुख पहले से ही सार्वजनिक है."
'हमें कड़ी मेहनत करने की जरूरत है'
अनंतनाग से नेशनल कॉन्फ्रेंस के लोकसभा सांसद मियां अल्ताफ अहमद के अनुसार कांग्रेस-एनसी गठबंधन स्थानीय लोगों की आकांक्षाओं को दर्शाता है. अल्ताफ अहमद ने ईटीवी भारत से कहा, "हम इंडिया ब्लॉक के रूप में एक साथ लोकसभा चुनाव में गए थे और अगर हम विधानसभा चुनावों के दौरान अलग हो जाते तो यह हमारे लिए बुरा होता. गठबंधन लोगों की इच्छा को दर्शाता है. हम अच्छा प्रदर्शन करने जा रहे हैं, लेकिन हमें कड़ी मेहनत करने की जरूरत है."
अल्ताफ अहमद ने ईटीवी भारत से कहा, "हम लोकसभा चुनाव में इंडिया ब्लॉक के रूप में साथ गए थे और अगर विधानसभा चुनाव के दौरान हम अलग हो जाते तो यह हमारे लिए ठीक नहीं होता. गठबंधन लोगों की इच्छा को दर्शाता है. हम अच्छा प्रदर्शन करने जा रहे हैं, लेकिन हमें कड़ी मेहनत करने की जरूरत है."
उन्होंने कहा, "अनुच्छेद 370 हमारे लिए एक भावनात्मक और राजनीतिक मुद्दा है. कुछ ऐसे मुद्दे हैं जिन्हें कांग्रेस और एनसी चुनाव से पहले उठाना चाहेंगे, लेकिन हम उन्हें बाद में सुलझा लेंगे, जब शासन के लिए सीएमपी का मसौदा तैयार किया जाएगा."
पांच सीटों पर फ्रेंडली मुकाबला
एनसी नेता ने बताया कि पांच सीटों पर दोस्ताना मुकाबला होगा, क्योंकि कांग्रेस के साथ उन पर कोई समझौता नहीं हो सका. अल्ताफ अहमद ने कहा, "दोनों पार्टियां उन सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारना चाहती थीं. इसलिए, हमने इसे यहीं छोड़ दिया, जो भी उम्मीदवार उन पांच सीटों पर जीतता है, कम से कम सीट गठबंधन के पास रहेगी. गठबंधन केंद्र शासित प्रदेश में भाजपा को हराएगा और फिर हम विधानसभा में पूर्ण राज्य का दर्जा बहाल करने के लिए जोर देंगे."