जयपुर. सुप्रीम कोर्ट ने 13 मई 2008 को जयपुर में हुए सिलसिलेवार बम धमाकों के बीच जिंदा बम मिलने से जुडे़ मामले में आरोपी सरवर आजमी को मिली जमानत को बरकरार रखा है. इसके साथ ही अदालत ने इस संबंध में राज्य सरकार की ओर से दायर विशेष अनुमति याचिका को खारिज कर दिया है. जस्टिस ऋषिकेश रॉय और जस्टिस प्रशांत कुमार मिश्रा की खंडपीठ ने यह आदेश राज्य सरकार की एसएलपी पर दिए.
राज्य सरकार ने एसएलपी में हाईकोर्ट के अक्टूबर 2023 के आदेश को चुनौती देते हुए कहा कि हाईकोर्ट ने आरोपी को इस आधार पर जिंदा बम मामले में जमानत दी थी कि क्योंकि वह जयपुर बम ब्लास्ट के मुख्य मामले में दोषमुक्त हो चुका है. जबकि, राज्य सरकार ने हाईकोर्ट के इस फैसले को सुप्रीम कोर्ट में एसएलपी के जरिए चुनौती दे रखी है और यह याचिका अभी लंबित चल रही है. जिंदा बम मामले में भी सरवर आजमी प्रथम दृष्टया आरोपी है और इस केस की ट्रायल चल रही है. इसके अलावा आरोपी सरवर आजमी देशभर में अन्य जगहों पर हुए बम ब्लास्ट केस में भी आरोपी है.
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इसलिए आरोपी को हाईकोर्ट से मिली जमानत के आदेश पर रोक लगाते हुए उसे रद्द किया जाए, जिस पर सुनवाई करते हुए खंडपीठ ने हाईकोर्ट के आदेश में दखल से इनकार करते हुए एसएलपी खारिज कर दी. दरअसल, हाईकोर्ट में आरोपी सरवर आजमी की ओर से कहा था कि वह जयपुर बम ब्लास्ट केस में दोषमुक्त हो चुका है. जिंदा बम मामले की ट्रायल चल रही है. वह 2009 से ही जेल में बंद है व बम धमाके व जिंदा बम के ज्यादातर गवाह व दस्तावेज भी समान हैं. ऐसे में उसे भी जमानत दी जाए. जिस पर सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने सरवर को जमानत पर रिहा करने को कहा था.