नई दिल्ली: तीन नए कानूनों को लेकर कांग्रेस नेता पी चिदंबरम की तीखी टिप्पणियों पर आपत्ति जताते हुए उपराष्ट्रपति और राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ ने शनिवार को पूर्व केंद्रीय मंत्री के बयान को 'अक्षम्य' करार दिया. साथ ही उन्होंने मांग की कि पूर्व मंत्री को अपनी 'अपमानजनक' और बदनाम करने वाली टिप्पणियों को वापस लेना चाहिए.
केरल के तिरुवनंतपुरम में एक कार्यक्रम में धनखड़ ने कहा, "जब मैंने सुबह एक न्यूज पेपर को दिए गए चिदंबरम के इंटरव्यू को पढ़ा तो मैं शब्दों से परे हैरान रह गया, जिसमें उन्होंने कहा था कि नए कानूनों का मसौदा पाइट टाइमर लोगों ने तैयार किय था. क्या हम संसद में पार्ट टाइमर हैं? यह संसद की बुद्धिमत्ता का अक्षम्य अपमान है."
'लोग जानबूझकर गुमराह करते हैं'
धनखड़ ने आगे कहा कि वह इसलिए भी 'स्तब्ध' रह गए क्योंकि वरिष्ठ कांग्रेसी नेता पूर्व केंद्रीय वित्त मंत्री हैं और 'लंबे समय तक सांसद' रहे हैं. उपराष्ट्रपति ने चेतावनी देते हुए कहा, "जब जानकार लोग जानबूझकर आपको गुमराह करते हैं, तो हमें सतर्क रहने की जरूरत है."
नए कानून औपनिवेशिक विरासत से मुक्त करते हैं
पश्चिम बंगाल के पूर्व राज्यपाल ने बताया कि कि कैसे नए कानून हमें औपनिवेशिक विरासत से मुक्त करते हैं और ये 'युगांतरकारी आयाम' रखते हैं. धनखड़ ने कहा, "जब सदन में इन मुद्दों पर बहस हो रही थी, तो इन सज्जन (चिदंबरम) ने बहस के दौरान अपने वोक्ल कोर्ड को पूरी तरह से आराम दे दिया था. उन्हें अपने कर्तव्य की विफलता, चूक/कमी, कर्तव्य की उपेक्षा के लिए खुद को जवाबदेह ठहराना चाहिए, जिसे कभी भी समझाया नहीं जा सकता है."
बता दें कि भारतीय न्याय संहिता (BNS), भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (BNSS) और भारतीय सुरक्षा अधिनियम (BAS) कानून पिछले साल दिसंबर में संसद से पारित होने के बाद 1 जुलाई को प्रभावी हो गए. इन्हें ब्रिटिश युग के आपराधिक कानूनों के स्थान पर पेश किया गया है.