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1962 के युद्ध में वीरान हो चुके जादूंग गांव का होने जा रहा कायाकल्प, बनेगा टूरिज्म हब, तस्वीरों में देखें

1962 भारत-चीन युद्ध में वीरान हुए जादूंग और नेलांग गांव को वाइब्रेंट विलेज योजना के तहत विकसित किया जा रहा है.

VIBRANT VILLAGE SCHEME
1962 के युद्ध में वीरान हो चुके जादूंग गांव का होने जा रहा कायाकल्प (PHOTO- ETV Bharat)
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By ETV Bharat Uttarakhand Team

Published : 2 hours ago

Updated : 1 hours ago

देहरादून/उत्तराशी: उत्तराखंड के उत्तरकाशी में 56 सालों से वीरान पड़े गांवों को दोबारा से सजाया और संवारा जा रहा है. इतिहास के पन्नों में दर्ज इन गांवों की मकानों की दीवारें रंगों से सजने लगी हैं. गांव की तरफ जाने वाली पगडंडी पर लोगों की चहल-पहल दिखाई देने लगे हैं. सब कुछ योजना के मुताबिक हुआ तो जिस आबाद जादूंग गांव को भारत-चीन युद्ध के दौरान खाली करना पड़ा था, उस गांव को नए साल के शुरुआत तक नया रूप मिल जाएगा. इससे गांव में पर्यटकों की आमद भी देखने को मिलेगी.

बेहद खास गांव और बेहद खास तैयारी: केंद्र सरकार की वाइब्रेंट विलेज योजना के तहत उत्तरकाशी का जादूंग गांव को पर्यटकों के लिए फिर से जीवित किया जा रहा है. सीमावर्ती जादूंग गांव में वाइब्रेंट विलेज योजना के तहत खंडहर घरों को होमस्टे में बदलने का काम जोरों पर है. यहां विषम भौगोलिक परिस्थितियों के बीच सैकड़ों मजदूर इन कार्यों में जुटे हुए हैं. गढ़वाल मंडल विकास निगम के निर्देशन में चल रहे इस काम को तेजी से पूरा किया जा रहा है. इस गांव को विकसित होने में अब कुछ ही समय और लगेगा. प्राकृतिक सुंदरता के बीच वीरान हो चुके इस गांव की हर एक दीवार पर पहाड़ी शैली की छाप होगी.

1962 भारत-चीन युद्ध में वीरान हुए जादूंग और नेलांग गांव को वाइब्रेंट विलेज योजना के तहत विकसित किया जा रहा है (VIDEO- ETV Bharat)

अपने आप में होगा अनोखा: पर्यटकों की सुविधा के लिए यहां पर अलग-अलग तरीके के होमस्टे बनाए जा रहे हैं. सौर ऊर्जा के माध्यम से चलने वाली लाइट और अन्य सभी उपकरण को लगाने का काम लगभग पूरा हो चुका है. जो घर पुराने थे, उनको नए रूप में दोबारा से बनाया जा रहा है. जहां पर मकान गिर गए हैं या बंकर बना लिए गए थे, उनको भी संजोकर पर्यटकों के लिए दोबारा से सही किया जा रहा है. पर्यटक यहां पर आकर 1962 के युद्ध की निशानियां देख सकेंगे.

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पर्यटकों की सुविधा के लिए अलग-अलग तरीके के होमस्टे बनाए जा रहे हैं (PHOTO- ETV Bharat)

खास बात है कि यहां बनने वाले होमस्टे ग्राउंड फ्लोर के अलावा दो मंजिला और एक मंजिला तक के बनेंगे जो बिल्कुल पहाड़ी शैली के अनुसार बनेंगे. यहां दिन का तापमान 2 से 3 डिग्री सेल्सियस रहता है. जबकि रात में माइनस में चला जाता है. दोपहर 2 बजे बाद यहां तेज हवाएं चलने लगती हैं.

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प्रथम चरण में जादूंग गांव में 6 होमस्टे का निर्माण किया जा रहा है (PHOTO- ETV Bharat)

इतिहास को दोबारा से जीवित करता गांव: भारत-चीन युद्ध 1962 में जाड़-भोटिया समुदाय के सीमावर्ती नेलांग और जादूंग गांव को खाली करवाया गया था. वर्तमान में जादूंग में जहां इंडियन तिब्बत बॉर्डर पुलिस (आईटीबीपी) तैनात है. वहीं, नेलांग में सेना काबिज है. केंद्र सरकार ने वाइब्रेंट विलेज योजना के तहत सीमावर्ती जादूंग गांव को दोबारा आबाद करने की कवायद शुरू की है. इसके तहत प्रथम चरण में जादूंग गांव में 6 होमस्टे का निर्माण किया जा रहा है. इन होमस्टे के निर्माण में पुराने भवनों के निर्माण प्रयुक्त पत्थर की ही चिनाई की जा रही है.

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वर्तमान में एक होमस्टे की नींव तैयार कर ली गई है. (PHOTO- ETV Bharat)

जीएमवीएन के एई डीएस राणा ने बताया कि दो मंजिला होमस्टे के ऊपरी मंजिल में दो कमरे और शौचालय का निर्माण होगा. जबकि पहली मंजिल में एक कमरा और शौचालय रहेगा. भूतल (ग्राउंड फ्लोर) में भू-स्वामी और ऊपर पर्यटकों के ठहरने की उचित व्यवस्था रहेगी. ये सभी होमस्टे सौर ऊर्जा से रोशन होंगे. जादूंग गांव में बनाए जा रहे होमस्टे पूरी तरह फर्नीचर आदि से सुसज्जित कर सौंपा जाएगा. पत्थर की चिनाई होने से सर्दियों में भी यह होमस्टे अंदर से पूरी तरह गर्माहट देंगे.

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अगस्त 2025 तक सभी 23 होमस्टे का निर्माण कार्य पूरा करने का लक्ष्य (PHOTO- ETV Bharat)

फुटपाथ भी होगा खास: डीएस राणा का कहना है कि वर्तमान में एक होमस्टे की नींव तैयार कर ली गई है. एक अन्य का काम चल रहा है. सभी 23 होमस्टे अगस्त 2025 तक तैयार करने का लक्ष्य है. प्रत्येक होमस्टे को जोड़ने के लिए इंटरकनेक्ट फुटपाथ का भी निर्माण किया जाएगा, जिसमें सोलर लाइट लगी होंगी.

देहरादून/उत्तराशी: उत्तराखंड के उत्तरकाशी में 56 सालों से वीरान पड़े गांवों को दोबारा से सजाया और संवारा जा रहा है. इतिहास के पन्नों में दर्ज इन गांवों की मकानों की दीवारें रंगों से सजने लगी हैं. गांव की तरफ जाने वाली पगडंडी पर लोगों की चहल-पहल दिखाई देने लगे हैं. सब कुछ योजना के मुताबिक हुआ तो जिस आबाद जादूंग गांव को भारत-चीन युद्ध के दौरान खाली करना पड़ा था, उस गांव को नए साल के शुरुआत तक नया रूप मिल जाएगा. इससे गांव में पर्यटकों की आमद भी देखने को मिलेगी.

बेहद खास गांव और बेहद खास तैयारी: केंद्र सरकार की वाइब्रेंट विलेज योजना के तहत उत्तरकाशी का जादूंग गांव को पर्यटकों के लिए फिर से जीवित किया जा रहा है. सीमावर्ती जादूंग गांव में वाइब्रेंट विलेज योजना के तहत खंडहर घरों को होमस्टे में बदलने का काम जोरों पर है. यहां विषम भौगोलिक परिस्थितियों के बीच सैकड़ों मजदूर इन कार्यों में जुटे हुए हैं. गढ़वाल मंडल विकास निगम के निर्देशन में चल रहे इस काम को तेजी से पूरा किया जा रहा है. इस गांव को विकसित होने में अब कुछ ही समय और लगेगा. प्राकृतिक सुंदरता के बीच वीरान हो चुके इस गांव की हर एक दीवार पर पहाड़ी शैली की छाप होगी.

1962 भारत-चीन युद्ध में वीरान हुए जादूंग और नेलांग गांव को वाइब्रेंट विलेज योजना के तहत विकसित किया जा रहा है (VIDEO- ETV Bharat)

अपने आप में होगा अनोखा: पर्यटकों की सुविधा के लिए यहां पर अलग-अलग तरीके के होमस्टे बनाए जा रहे हैं. सौर ऊर्जा के माध्यम से चलने वाली लाइट और अन्य सभी उपकरण को लगाने का काम लगभग पूरा हो चुका है. जो घर पुराने थे, उनको नए रूप में दोबारा से बनाया जा रहा है. जहां पर मकान गिर गए हैं या बंकर बना लिए गए थे, उनको भी संजोकर पर्यटकों के लिए दोबारा से सही किया जा रहा है. पर्यटक यहां पर आकर 1962 के युद्ध की निशानियां देख सकेंगे.

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पर्यटकों की सुविधा के लिए अलग-अलग तरीके के होमस्टे बनाए जा रहे हैं (PHOTO- ETV Bharat)

खास बात है कि यहां बनने वाले होमस्टे ग्राउंड फ्लोर के अलावा दो मंजिला और एक मंजिला तक के बनेंगे जो बिल्कुल पहाड़ी शैली के अनुसार बनेंगे. यहां दिन का तापमान 2 से 3 डिग्री सेल्सियस रहता है. जबकि रात में माइनस में चला जाता है. दोपहर 2 बजे बाद यहां तेज हवाएं चलने लगती हैं.

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प्रथम चरण में जादूंग गांव में 6 होमस्टे का निर्माण किया जा रहा है (PHOTO- ETV Bharat)

इतिहास को दोबारा से जीवित करता गांव: भारत-चीन युद्ध 1962 में जाड़-भोटिया समुदाय के सीमावर्ती नेलांग और जादूंग गांव को खाली करवाया गया था. वर्तमान में जादूंग में जहां इंडियन तिब्बत बॉर्डर पुलिस (आईटीबीपी) तैनात है. वहीं, नेलांग में सेना काबिज है. केंद्र सरकार ने वाइब्रेंट विलेज योजना के तहत सीमावर्ती जादूंग गांव को दोबारा आबाद करने की कवायद शुरू की है. इसके तहत प्रथम चरण में जादूंग गांव में 6 होमस्टे का निर्माण किया जा रहा है. इन होमस्टे के निर्माण में पुराने भवनों के निर्माण प्रयुक्त पत्थर की ही चिनाई की जा रही है.

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वर्तमान में एक होमस्टे की नींव तैयार कर ली गई है. (PHOTO- ETV Bharat)

जीएमवीएन के एई डीएस राणा ने बताया कि दो मंजिला होमस्टे के ऊपरी मंजिल में दो कमरे और शौचालय का निर्माण होगा. जबकि पहली मंजिल में एक कमरा और शौचालय रहेगा. भूतल (ग्राउंड फ्लोर) में भू-स्वामी और ऊपर पर्यटकों के ठहरने की उचित व्यवस्था रहेगी. ये सभी होमस्टे सौर ऊर्जा से रोशन होंगे. जादूंग गांव में बनाए जा रहे होमस्टे पूरी तरह फर्नीचर आदि से सुसज्जित कर सौंपा जाएगा. पत्थर की चिनाई होने से सर्दियों में भी यह होमस्टे अंदर से पूरी तरह गर्माहट देंगे.

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अगस्त 2025 तक सभी 23 होमस्टे का निर्माण कार्य पूरा करने का लक्ष्य (PHOTO- ETV Bharat)

फुटपाथ भी होगा खास: डीएस राणा का कहना है कि वर्तमान में एक होमस्टे की नींव तैयार कर ली गई है. एक अन्य का काम चल रहा है. सभी 23 होमस्टे अगस्त 2025 तक तैयार करने का लक्ष्य है. प्रत्येक होमस्टे को जोड़ने के लिए इंटरकनेक्ट फुटपाथ का भी निर्माण किया जाएगा, जिसमें सोलर लाइट लगी होंगी.

Last Updated : 1 hours ago
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