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साइकिलिंग की शौकीन सिंगल मदर, जबलपुर से काठमांडू तक यात्रा करेंगी सीमा अग्रवाल

Jabalpur Single Mother Cycle Yatra: जबलपुर की सीमा अग्रवाल साइकिलिंग की शौकीन हैं. कश्मीर से कन्याकुमारी तक का सफर साइकिल से कर चुकीं सीमा अब काठमांडू तक यात्रा करेगी.

travel bicycle jabalpur kathmandu
जबलपुर से काठमांडू तक साइकिल यात्रा
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By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : Feb 20, 2024, 8:22 PM IST

Updated : Feb 21, 2024, 11:12 AM IST

साइकिलिंग की शौकीन सिंगल मदर सीमा अग्रवाल

जबलपुर। जबलपुर की सीमा अग्रवाल साइकिलिंग की शौकीन हैं. उनका मानना है कि उन्हें साइकिल चलाते देख महिलाओं को प्रेरणा और खुशी मिलती है. अब सीमा अग्रवाल जबलपुर से काठमांडू तक फिर साइकिल चलाकर जा रही हैं. इस बीच वे अयोध्या भी जाएंगी. आने-जाने में यह सफर लगभग ढाई हजार किलोमीटर का होगा. सीमा अग्रवाल एक सिंगल मदर हैं उनकी तीन बेटियां हैं.

पहली बार भारत से बाहर साइकिल यात्रा

जबलपुर की 49 साल की सीमा अग्रवाल सिंगल मदर हैं. उनकी तीन बेटियां हैं. बेटियां बड़ी हो चुकी हैं. इस उम्र में आकर अक्सर महिलाएं घर गृहस्थी से बाहर कोई काम करने की बात सोच तक नहीं पाती लेकिन सीमा अग्रवाल ने एक नया लक्ष्य बनाया है जिसमें वह जबलपुर से साइकिल चलाते हुई काठमांडू जा रही हैं. इस दौरान वे अयोध्या भी जाएंगी. सीमा पहली बार भारत से बाहर साइकिल चलाने जा रही हैं. यह पूरी यात्रा लगभग 2500 किलोमीटर की होगी.

bicycle rider seema agarwal
साइकिलिंग की शौकीन हैं सिंगल मदर सीमा अग्रवाल

'महिलाओं की स्वतंत्रता के लिए प्रयास'

सीमा अग्रवाल का कहना है कि "इसके पहले भी वे कश्मीर से कन्याकुमारी तक साइकिल से यात्रा कर चुकी हैं. उनका यह प्रयास महिलाओं की स्वतंत्रता के लिए है. सीमा अग्रवाल का कहना है कि वह जहां भी साइकिल चलाते हुए महिलाओं से मिलती हैं वहां महिलाएं उन्हें देखकर खुश होती हैं."

jabalpur single mother cycle yatra
साइकिल से जबलपुर से काठमांडू तक सफर

अकेले ही तय करती हैं यात्रा

सीमा अकेले ही यात्रा तय करती हैं. उनका कहना है कि उन्हें कभी यात्रा के दौरान किसी ने परेशान नहीं किया. सीमा अग्रवाल का कहना है कि "साइकिलिंग के दौरान उन्हें कई बार महिलाएं मिलती हैं जो उनका हौसला बढ़ाती हैं और यह भी सोचती हैं कि जब सीमा अग्रवाल कर सकती है तो हम क्यों नहीं कर सकते. इसी बात को लेकर सीमा कहती हैं कि यदि उनके प्रयास से दूसरे लोगों को भी ऊर्जा मिलती है तो वह यह काम पूरे जीवन करती रहेंगी."

यह हमारे बदलते समाज की निशानी

भारत में महिलाओं को धीरे-धीरे स्वतंत्रता मिल रही है. इसके कुछ नकारात्मक पहलू भी हैं लेकिन इसमें कुछ सकारात्मक भी है. महिलाएं जीवन में नए-नए प्रयोग भी कर रही हैं. सीमा अग्रवाल का यह प्रयास महिलाओं के बंधे बंधाये जीवन के नियमों के बाहर की उड़ान भी है. एक महिला यदि ढाई हजार किलोमीटर तक सड़क मार्ग से साइकिल चला रही है और उसे कोई परेशान नहीं कर रहा है तो यह हमारे बदलते हुए समाज की निशानी भी है.

ये भी पढ़ें:

नर्मदा परिक्रमा भी कर चुकी हैं सीमा

सीमा अग्रवाल पहली बार साइकिलिंग नहीं कर रही हैं. इसके पहले भी वे साइकिल से पूरा भारत नाप चुकी हैं. उन्होंने कश्मीर से कन्याकुमारी तक साइकिलिंग की है और नर्मदा परिक्रमा भी वह दो बार कर चुकी हैं .सीमा एक दिन में लगभग 100 किलोमीटर तक साइकिल चला लेती हैं.

साइकिलिंग की शौकीन सिंगल मदर सीमा अग्रवाल

जबलपुर। जबलपुर की सीमा अग्रवाल साइकिलिंग की शौकीन हैं. उनका मानना है कि उन्हें साइकिल चलाते देख महिलाओं को प्रेरणा और खुशी मिलती है. अब सीमा अग्रवाल जबलपुर से काठमांडू तक फिर साइकिल चलाकर जा रही हैं. इस बीच वे अयोध्या भी जाएंगी. आने-जाने में यह सफर लगभग ढाई हजार किलोमीटर का होगा. सीमा अग्रवाल एक सिंगल मदर हैं उनकी तीन बेटियां हैं.

पहली बार भारत से बाहर साइकिल यात्रा

जबलपुर की 49 साल की सीमा अग्रवाल सिंगल मदर हैं. उनकी तीन बेटियां हैं. बेटियां बड़ी हो चुकी हैं. इस उम्र में आकर अक्सर महिलाएं घर गृहस्थी से बाहर कोई काम करने की बात सोच तक नहीं पाती लेकिन सीमा अग्रवाल ने एक नया लक्ष्य बनाया है जिसमें वह जबलपुर से साइकिल चलाते हुई काठमांडू जा रही हैं. इस दौरान वे अयोध्या भी जाएंगी. सीमा पहली बार भारत से बाहर साइकिल चलाने जा रही हैं. यह पूरी यात्रा लगभग 2500 किलोमीटर की होगी.

bicycle rider seema agarwal
साइकिलिंग की शौकीन हैं सिंगल मदर सीमा अग्रवाल

'महिलाओं की स्वतंत्रता के लिए प्रयास'

सीमा अग्रवाल का कहना है कि "इसके पहले भी वे कश्मीर से कन्याकुमारी तक साइकिल से यात्रा कर चुकी हैं. उनका यह प्रयास महिलाओं की स्वतंत्रता के लिए है. सीमा अग्रवाल का कहना है कि वह जहां भी साइकिल चलाते हुए महिलाओं से मिलती हैं वहां महिलाएं उन्हें देखकर खुश होती हैं."

jabalpur single mother cycle yatra
साइकिल से जबलपुर से काठमांडू तक सफर

अकेले ही तय करती हैं यात्रा

सीमा अकेले ही यात्रा तय करती हैं. उनका कहना है कि उन्हें कभी यात्रा के दौरान किसी ने परेशान नहीं किया. सीमा अग्रवाल का कहना है कि "साइकिलिंग के दौरान उन्हें कई बार महिलाएं मिलती हैं जो उनका हौसला बढ़ाती हैं और यह भी सोचती हैं कि जब सीमा अग्रवाल कर सकती है तो हम क्यों नहीं कर सकते. इसी बात को लेकर सीमा कहती हैं कि यदि उनके प्रयास से दूसरे लोगों को भी ऊर्जा मिलती है तो वह यह काम पूरे जीवन करती रहेंगी."

यह हमारे बदलते समाज की निशानी

भारत में महिलाओं को धीरे-धीरे स्वतंत्रता मिल रही है. इसके कुछ नकारात्मक पहलू भी हैं लेकिन इसमें कुछ सकारात्मक भी है. महिलाएं जीवन में नए-नए प्रयोग भी कर रही हैं. सीमा अग्रवाल का यह प्रयास महिलाओं के बंधे बंधाये जीवन के नियमों के बाहर की उड़ान भी है. एक महिला यदि ढाई हजार किलोमीटर तक सड़क मार्ग से साइकिल चला रही है और उसे कोई परेशान नहीं कर रहा है तो यह हमारे बदलते हुए समाज की निशानी भी है.

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नर्मदा परिक्रमा भी कर चुकी हैं सीमा

सीमा अग्रवाल पहली बार साइकिलिंग नहीं कर रही हैं. इसके पहले भी वे साइकिल से पूरा भारत नाप चुकी हैं. उन्होंने कश्मीर से कन्याकुमारी तक साइकिलिंग की है और नर्मदा परिक्रमा भी वह दो बार कर चुकी हैं .सीमा एक दिन में लगभग 100 किलोमीटर तक साइकिल चला लेती हैं.

Last Updated : Feb 21, 2024, 11:12 AM IST
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