जबलपुर: मध्य प्रदेश के जबलपुर की कॉलेज स्टूडेंट्स का श्री जानकी बैंड ऑफ वूमन अपने संगीत के अनोखे तरीके की वजह से पूरे देश में पहचाना जा रहा है. इस बैंड की खास बात ये है कि इसमें केवल लड़कियां हीं शामिल हैं. इन लड़कियों ने हिंदी साहित्य के महान गीतकारों के गीतों को संगीतबद्ध किया है. वहीं देसी लोकगीतों को इतने सुरीले अंदाज में पेश किया गया है कि सुनने वाले मंत्र मुग्ध हो जाते हैं. कॉलेज की लड़कियों की ये छोटी सी कोशिश अब संगीत की एक स्थापित संस्था बन गई है.
इस तरह हुई थी जानकी बैंड की शुरुआत
कोरोना वायरस के संक्रमण काल के दौरान जबलपुर के जानकी रमण कॉलेज की कुछ छात्राओं ने एक म्यूजिकल ग्रुप बनाया. शुरुआत में यह म्यूजिकल ग्रुप छोटे-छोटे गानों पर काम कर रहा था. आमतौर पर लगभग हर कॉलेज में इस तरह के म्यूजिकल ग्रुप होते हैं, लेकिन तब तक किसी को अंदाजा नहीं था कि इन कॉलेज की छात्राओं का यह ग्रुप एक बड़े बैंड की शक्ल ले लेगा. जैसे ही कोरोना का संक्रमण कम हुआ तो इन लड़कियों ने आपस में मिलकर गाना शुरू किया और अपने ग्रुप को एक बैंड का नाम दिया. लड़कियों ने इसे अपने कॉलेज के नाम से जोड़कर रखा है, इसलिए इस बैड का नाम जानकी बैंड है.
कई शहरों में प्रोग्राम कर चुका है जानकी बैंड
इस बैंड में 20 लड़कियां हैं, जो गाती भी हैं और वाद्य यंत्र बजाती भी हैं. इस बैंड की सक्रिय सदस्य मुस्कान सोनी बताती हैं कि उनका ग्रुप शुरुआत में केवल कॉलेज में ही अपनी प्रस्तुति देता था, लेकिन उन्होंने जो भी गाया, उसको लोगों ने खूब सराहा. इसके बाद जबलपुर के छोटे-छोटे कार्यक्रमों में प्रस्तुतियां दी, लेकिन आज 4 साल बाद दिल्ली-मुंबई, भोपाल सहित कई राज्य और राष्ट्रीय स्तर के कार्यक्रमों में परफॉर्मेंस दे चुकी हैं.
फिल्मी नहीं साहित्यिक गीत गाती हैं लड़कियां
मुस्कान सोनी बताति हैं कि उनका ग्रुप फिल्मी गानों को नहीं गाता, बल्कि वह भारतीय लोकगीत, देश के मशहूर कवियों के गीत और रविंद्र संगीत गाते हैं. हालांकि, इन गीत संगीतों में वह अपने प्रयोग भी करते हैं. उन गीतों की ज्यादातर धुनें उनकी खुद की बनाई हुई हैं. इस मौके पर जानकी बैंड ने ईटीवी भारत को कवियत्री सुभद्रा कुमारी चौहान की कविता 'झांसी की रानी' सहित कई गीतों को गुनगुनाया. जानकी बैंड की लड़कियों ने माखनलाल चतुर्वेदी की कविता पुष्प की अभिलाषा को भी अपनी धुनों में सजाया है.
कई कॉलेज अपना रहे हैं ये 'मॉडल'
श्री जानकी बैंड में कलाकार आते और जाते रहते हैं. इन्हीं में से एक उन्नति तिवारी भी हैं, जो जानकी बैंड का हिस्सा रही हैं और फिलहाल दिल्ली के दयाल कॉलेज में पढ़ाई करती हैं. उन्नति तिवारी का कहना है कि उन्होंने फिल्मी संगीत से हटकर बैंड के भीतर जो सीखा था, उसे दिल्ली कॉलेज ने भी अपनाया है और जानकी बैंड की वजह से अब दिल्ली के दयाल कॉलेज में भी हिंदी साहित्य के गीतों पर काम हो रहा है.
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युवाओं ने नहीं चखा देसी गीतों का स्वाद
ऐसा नहीं है कि देश में संगीत पर काम नहीं हो रहा है, लेकिन ज्यादातर संगीत की जगह शोर सुनाई दे रहा है. जबकि हमारे अपने देसी गीत और संगीत में जो रस है, उसका स्वाद अभी भी देश के युवाओं ने नहीं चखा है. जानकी बैंड श्रोताओं को कुछ ऐसा ही परोसने की कोशिश कर रहा है. हिंदी के साहित्यकारों ने बहुत सुंदर गीत लिखे हैं, लेकिन इन्हें संगीत में पिरोया नहीं गया. जानकी बैंड ने जब यह प्रयोग किया तो लोग खूब सराहना भी कर रहे हैं.