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गोंडवाना साम्राज्य का रहस्यमयी महल, यहां होती थी तंत्र साधनाएं, सैकड़ों साल बाद देखें इमारत कैसी है - Gondwana Palace Condition Bad

मध्य प्रदेश के जबलपुर में गोंडवाना साम्राज्य के चक्रवर्ती संग्राम शाह ने सागर के ठीक बीच में एक महल बनाया था. जिसमें पूजा के साथ तंत्र साधना भी होती थी, लेकिन इस महल को जानकारी के अभाव में लोगों ने रानी दुर्गावती का स्नानागार कहना शुरू कर दिया. 500 साल पुरानी यह इमारत अब खंडहर हो चुकी है.

JABALPUR GONDWANA EMPIRE PALACE
गोंडवाना साम्राज्य में तंत्र साधना (ETV Bharat)
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By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : Jun 24, 2024, 9:06 PM IST

Updated : Jun 24, 2024, 10:22 PM IST

जबलपुर। गोंडवाना शासनकाल का सबसे चक्रवर्ती सम्राट संग्राम से आए हुए संग्राम शाह संस्कृत के विद्वान थे. उन्होंने रस रत्नाकर नाम की एक संस्कृत की पुस्तक भी लिखी थी. वे गुप्त तांत्रिक पूजा पाठ किया करते थे. इन गुप्त तांत्रिक पूजन को करने के लिए उन्होंने एक महल बनवाया था. आज से 500 साल पहले बना हुआ यह महल अब पूरी तरह खंडहर हो गया है. संग्राम सागर तालाब के ठीक बीच में बने हुए इस ऐतिहासिक महल के कई रहस्य हैं. जिसके बारे में लोगों को जानकारी नहीं है.

गोंडवाना साम्राज्य का रहस्यमयी महल (ETV Bharat)

रानी दुर्गावती के ससुर हुए चक्रवर्ती सम्राट

500 साल पहले जबलपुर मध्य भारत के गोंडवाना साम्राज्य की राजधानी हुआ करती थी. यही से गोंडवाना शासन काल के राजा गोंडवाना राज्य के 52 गणों पर राज किया करते थे. गोंडवाना शासन काल में रानी दुर्गावती के अलावा रानी दुर्गावती के ससुर संग्राम शाह चक्रवर्ती सम्राट हुए. संग्राम शाह के शासनकाल में गौण साम्राज्य सबसे ज्यादा विकसित हुआ. संग्राम शाह एक पढ़े लिखे और समझदार राजा थे. जबलपुर के इतिहासकार सतीश त्रिपाठी बताते हैं कि संग्राम शाह संस्कृत के बड़े जानकार थे. उन्होंने रस रत्नाकर नाम की एक किताब भी लिखी. जिसमें संस्कृत में 9 रसों के बारे में वर्णन किया गया है.

अष्टकोणी शैली के मंदिर में होता था तंत्र-मंत्र

सतीश त्रिपाठी का कहना है कि जबलपुर में संग्राम शाह के शासनकाल के दौरान बाजना मठ बनाया गया था. यह अष्टकोणी शैली का देश का दूसरा मंदिर है. जिसके अंदर बटुक भैरव की पूजा की जाती थी और तांत्रिक सिद्धियां की जाती थी. संग्राम शाह संस्कृत के ज्ञाता थे और तंत्र-मंत्र जानते थे. इसलिए उन्होंने संग्राम सागर के ठीक बीच में साधना के लिए यह स्थान बनाया था. सतीश त्रिपाठी का कहना है कि राजपूती शैली का यह किला बहुत छोटा था, लेकिन तांत्रिक सिद्धियां करने के लिए यह जगह बहुत उपयुक्त थी, क्योंकि यह चारों तरफ संग्राम सागर से घिरी हुई थी बेहद सुंदर थी और बहुत शांति है.

इतिहासकार सतीश त्रिपाठी के अनुसार इस इमारत में दो मंजिल है, हालांकि अभी पहली मंजिल को मिट्टी भर के बंद कर दिया गया है. दूसरी मंजिल अभी भी खुली हुई है. इसकी छत पूरी तरह से बर्बाद हो गई है. इमारत में वही सामान बचा हुआ है. जिसे नष्ट नहीं किया जा सकता, इसलिए यह इमारत आज भी खड़ी हुई है.

इस महल में होते हैं गैर कानूनी काम

राजा संग्राम शाह की इस गुप्त पूजा स्थल तक पहुंचने के लिए कोई सीधा रास्ता नहीं है, बल्कि इसके लिए मदन महल पहाड़ी के पीछे से सैनिक सोसायटी से होते हुए एक दो किलोमीटर लंबे कच्चे रास्ते से होकर इस तक पहुंचा जा सकता है, या फिर उबड़-खाबड़ रास्ता और सूनसान इलाका बदमाशों के लिए उपयुक्त स्थान है, इसलिए यहां अक्सर गैर कानूनी काम होते हैं.

GONDWANA PALACE CONDITION BAD
गोंडवाना साम्राज्य का रहस्यमयी महल (ETV Bharat)

जबलपुर में पुरातत्व महत्व की इमारतें

जबलपुर में पुरातत्व महत्व की कई इमारतें हैं. राज्य सरकार और केंद्र सरकार के पुरातत्व विभाग के कई ऑफिस हैं, लेकिन राज्य और केंद्र दोनों ही सरकारों के पुरातत्व विभाग के अधिकारी यह बताने में सक्षम नहीं है कि इस ऐतिहासिक इमारत का संरक्षण कौन कर रहा है. संग्राम सागर तालाब को संरक्षित करने के लिए स्मार्ट सिटी ने भी पैसा दिया है. जबलपुर के पूर्व सांसद और वर्तमान लोक निर्माण मंत्री राकेश सिंह ने भी बहुत पैसा खर्च किया है, लेकिन इसके बावजूद इस ऐतिहासिक इमारत का किसी ने जीर्णोद्धार नहीं करवाया.

यहां पढ़ें...

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सीएम मोहन यादव ने स्मारक बनाने 100 करोड़ की घोषणा

आज रानी दुर्गावती के बलिदान दिवस पर जबलपुर में बड़े-बड़े कार्यक्रम हुए. खुद मुख्यमंत्री मोहन यादव जबलपुर आए. यहां पर रानी दुर्गावती का स्मारक बनाने के लिए 100 करोड़ की घोषणा भी की. इसके बावजूद इतिहास की एक महत्वपूर्ण विरासत पर क्यों किसी की नजर नहीं पड़ रही है, जबकि यह इमारत आज से लगभग 500 साल पहले बनाई गई थी, इसका ऐतिहासिक महत्व भी है बल्कि जिस जगह यह बनी हुई है वह जगह बेहद खूबसूरत है. इस ऐतिहासिक स्थल के साथ-साथ पर्यटक स्थल के रूप में भी विकसित किया जा सकता है.

जबलपुर। गोंडवाना शासनकाल का सबसे चक्रवर्ती सम्राट संग्राम से आए हुए संग्राम शाह संस्कृत के विद्वान थे. उन्होंने रस रत्नाकर नाम की एक संस्कृत की पुस्तक भी लिखी थी. वे गुप्त तांत्रिक पूजा पाठ किया करते थे. इन गुप्त तांत्रिक पूजन को करने के लिए उन्होंने एक महल बनवाया था. आज से 500 साल पहले बना हुआ यह महल अब पूरी तरह खंडहर हो गया है. संग्राम सागर तालाब के ठीक बीच में बने हुए इस ऐतिहासिक महल के कई रहस्य हैं. जिसके बारे में लोगों को जानकारी नहीं है.

गोंडवाना साम्राज्य का रहस्यमयी महल (ETV Bharat)

रानी दुर्गावती के ससुर हुए चक्रवर्ती सम्राट

500 साल पहले जबलपुर मध्य भारत के गोंडवाना साम्राज्य की राजधानी हुआ करती थी. यही से गोंडवाना शासन काल के राजा गोंडवाना राज्य के 52 गणों पर राज किया करते थे. गोंडवाना शासन काल में रानी दुर्गावती के अलावा रानी दुर्गावती के ससुर संग्राम शाह चक्रवर्ती सम्राट हुए. संग्राम शाह के शासनकाल में गौण साम्राज्य सबसे ज्यादा विकसित हुआ. संग्राम शाह एक पढ़े लिखे और समझदार राजा थे. जबलपुर के इतिहासकार सतीश त्रिपाठी बताते हैं कि संग्राम शाह संस्कृत के बड़े जानकार थे. उन्होंने रस रत्नाकर नाम की एक किताब भी लिखी. जिसमें संस्कृत में 9 रसों के बारे में वर्णन किया गया है.

अष्टकोणी शैली के मंदिर में होता था तंत्र-मंत्र

सतीश त्रिपाठी का कहना है कि जबलपुर में संग्राम शाह के शासनकाल के दौरान बाजना मठ बनाया गया था. यह अष्टकोणी शैली का देश का दूसरा मंदिर है. जिसके अंदर बटुक भैरव की पूजा की जाती थी और तांत्रिक सिद्धियां की जाती थी. संग्राम शाह संस्कृत के ज्ञाता थे और तंत्र-मंत्र जानते थे. इसलिए उन्होंने संग्राम सागर के ठीक बीच में साधना के लिए यह स्थान बनाया था. सतीश त्रिपाठी का कहना है कि राजपूती शैली का यह किला बहुत छोटा था, लेकिन तांत्रिक सिद्धियां करने के लिए यह जगह बहुत उपयुक्त थी, क्योंकि यह चारों तरफ संग्राम सागर से घिरी हुई थी बेहद सुंदर थी और बहुत शांति है.

इतिहासकार सतीश त्रिपाठी के अनुसार इस इमारत में दो मंजिल है, हालांकि अभी पहली मंजिल को मिट्टी भर के बंद कर दिया गया है. दूसरी मंजिल अभी भी खुली हुई है. इसकी छत पूरी तरह से बर्बाद हो गई है. इमारत में वही सामान बचा हुआ है. जिसे नष्ट नहीं किया जा सकता, इसलिए यह इमारत आज भी खड़ी हुई है.

इस महल में होते हैं गैर कानूनी काम

राजा संग्राम शाह की इस गुप्त पूजा स्थल तक पहुंचने के लिए कोई सीधा रास्ता नहीं है, बल्कि इसके लिए मदन महल पहाड़ी के पीछे से सैनिक सोसायटी से होते हुए एक दो किलोमीटर लंबे कच्चे रास्ते से होकर इस तक पहुंचा जा सकता है, या फिर उबड़-खाबड़ रास्ता और सूनसान इलाका बदमाशों के लिए उपयुक्त स्थान है, इसलिए यहां अक्सर गैर कानूनी काम होते हैं.

GONDWANA PALACE CONDITION BAD
गोंडवाना साम्राज्य का रहस्यमयी महल (ETV Bharat)

जबलपुर में पुरातत्व महत्व की इमारतें

जबलपुर में पुरातत्व महत्व की कई इमारतें हैं. राज्य सरकार और केंद्र सरकार के पुरातत्व विभाग के कई ऑफिस हैं, लेकिन राज्य और केंद्र दोनों ही सरकारों के पुरातत्व विभाग के अधिकारी यह बताने में सक्षम नहीं है कि इस ऐतिहासिक इमारत का संरक्षण कौन कर रहा है. संग्राम सागर तालाब को संरक्षित करने के लिए स्मार्ट सिटी ने भी पैसा दिया है. जबलपुर के पूर्व सांसद और वर्तमान लोक निर्माण मंत्री राकेश सिंह ने भी बहुत पैसा खर्च किया है, लेकिन इसके बावजूद इस ऐतिहासिक इमारत का किसी ने जीर्णोद्धार नहीं करवाया.

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आज रानी दुर्गावती के बलिदान दिवस पर जबलपुर में बड़े-बड़े कार्यक्रम हुए. खुद मुख्यमंत्री मोहन यादव जबलपुर आए. यहां पर रानी दुर्गावती का स्मारक बनाने के लिए 100 करोड़ की घोषणा भी की. इसके बावजूद इतिहास की एक महत्वपूर्ण विरासत पर क्यों किसी की नजर नहीं पड़ रही है, जबकि यह इमारत आज से लगभग 500 साल पहले बनाई गई थी, इसका ऐतिहासिक महत्व भी है बल्कि जिस जगह यह बनी हुई है वह जगह बेहद खूबसूरत है. इस ऐतिहासिक स्थल के साथ-साथ पर्यटक स्थल के रूप में भी विकसित किया जा सकता है.

Last Updated : Jun 24, 2024, 10:22 PM IST
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