जबलपुर: मंजिलें उन्हीं को मिलती है, जिनके सपनों में जान होती है. पंखों से कुछ नहीं होता हौसलों में उड़ान होती है. ऐसा लगता है कि हौसला भर देने वाली यह लाइन जबलपुर की भवानी यादव को देखकर लिखी गई है, भवानी यादव के दोनों हाथ नहीं है, लेकिन उनके ना तो सपनों में कमी है और ना हौसले में कमी है. कभी आपने सोचा है की जिंदगी बिना हाथों के कैसे होती, क्योंकि हम जिस व्यवस्था में रहते हैं. वह पूरी हाथों के आधार पर बनाई हुई व्यवस्था है. आपको जानकर आश्चर्य होगा कि जबलपुर की भवानी यादव के बचपन से ही दोनों हाथ नहीं है, लेकिन आप जब उनसे मिलेंगे, तो इस बात का एहसास आपको जरा भी नहीं होगा कि उनके हाथ नहीं है.
भवानी के दोनों हाथ नहीं, आर्थिक हालत भी खराब
भवानी यादव की मां रानी यादव बताती हैं कि जब भवानी का जन्म हुआ था, तब उसके दोनों हाथ नहीं थे. रानी के पति ड्राइवर हैं और परिवार की आर्थिक स्थिति शुरू से ही कमजोर रही है, लेकिन परिवार के लोगों ने हौसला दिया. रानी ने तय किया कि वे अपनी बेटी की परवरिश कुछ इस तरह करेंगे कि दोनों हाथ न होने के बावजूद उनकी बेटी जिंदगी को पूरी तरह जीएगी. भवानी की शुरुआती पढ़ाई हिंदी मीडियम से हुई, लेकिन नौवीं क्लास के बाद 12वीं क्लास तक उसने इंग्लिश मीडियम से पढ़ाई की.
फर्स्ट डिवीजन पास की इंजीनियरिंग
गणित माध्यम से उसने 12वीं की परीक्षा फर्स्ट डिवीजन में पास की. इसके बाद आगे की पढ़ाई जबलपुर के एक निजी इंजीनियरिंग कॉलेज में हुई. यहां पर भी रानी ने अपना हुनर दिखाया. अपने पैर से पेपर लिखकर आईटी ब्रांच से इंजीनियरिंग प्रथम श्रेणी में पास किया. वे फिलहाल आईटी में ही एम टेक कर रही हैं और एक नौकरी की तलाश में हैं. हालांकि भवानी का कहना है कि वह आगे भी पढ़ाई करना चाहती हैं. पीएचडी करना चाहती हैं और कॉलेज में प्रोफेसर बनना चाहती है, लेकिन इस पढ़ाई के लिए उसे पैसे की जरूरत है. जो वह नौकरी करके कमाएगी.
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मां ने दिया भवानी को हौसला
इसी पैसे से आगे की पढ़ाई जारी रखेगी. रानी यादव का कहना है कि उनकी मां ने उसे कभी यह एहसास नहीं होने दिया कि वह दिव्यांग है और मां के हौसले की वजह से वह आज अपनी पढ़ाई पूरी कर पाई है. मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने एक बार एक मंच से कहा था कि वह भवानी यादव की पढ़ाई का पूरा खर्चा खुद उठाएंगे. इसी आश्वासन में भवानी यादव ने कई बार सरकारी विभागों के चक्कर काटे, लेकिन उन्हें कोई मदद नहीं मिली.