जबलपुर। खजुराहो में इस साल एक बार फिर अंतर्राष्ट्रीय नृत्य महोत्सव का आयोजन किया जा रहा है. लेकिन इस बार के नृत्य महोत्सव में एक गिनिज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकार्ड बनाया जा रहा है. जिसमें एक साथ लगभग डेढ़ हजार कलाकार एक मंच पर कथक की प्रस्तुति देंगे. इस आयोजन में ज्यादातर कलाकार जबलपुर से जा रहे हैं, जो बीते कई दिनों से इसका अभ्यास कर रहे थे. कलाकार इस आयोजन को लेकर बेहद उत्साहित हैं.
नृत्य महोत्सव में बनेगा वर्ल्ड रिकॉर्ड
हर साल की तरह इस साल भी खजुराहो में अंतरराष्ट्रीय नृत्य महोत्सव का आयोजन किया जा रहा है. खजुराहो में यह 50वां नृत्य महोत्सव है, जो 20 फरवरी से शुरू होगा और 26 फरवरी तक चलेगा. इस नृत्य महोत्सव में देश भर से कलाकारों की टीमें आ रही हैं जो कथक नृत्य पेश करेंगी. इस बार के नृत्य महोत्सव में कलाकार विश्व रिकार्ड बनाने की तैयारी कर रहे हैं. इसमें लगभग 1500 से अधिक कलाकार एक साथ एक मंच पर एक ताल में कथक पेश करेंगे. इतने पड़े पैमाने पर इसके पहले दुनिया में कहीं भी एक साथ इतने अधिक कलाकारों ने एक साथ कथक नहीं किया है. इसलिए इसे गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में शामिल करवाने की कोशिश की जाएगी.
रिहर्सल में जुटे जबलपुर के कलाकार
इस आयोजन में जबलपुर से भी सैकड़ों कलाकार जा रहे हैं. इनमें कई छोटे-छोटे नृत्य मंडल हैं, जो कई दिनों से इस आयोजन की प्रैक्टिस कर रहे थे. इसी आयोजन में हिस्सा लेने जा रही डॉक्टर नेहा ने बताया कि ''वे यहां रितु बसंत को लेकर बने एक गीत की बंदिश पर नृत्य प्रस्तुत करेंगी जो लगभग 15 मिनट का होगा.'' डॉ. नेहा का कहना है कि ऐसे तो यह अंतर्राष्ट्रीय आयोजन है लेकिन इसमें सबसे ज्यादा कलाकार जबलपुर से ही जा रहे हैं. वहीं कुछ कलाकार नागपुर से भी आ रहे हैं.''
पेंटिंग प्रदर्शनी का भी आयोजन
इस बार खजुराहो महोत्सव के इतिहास को लेकर एक पुस्तक भी प्रकाशित की जा रही है, जिसमें बीते 50 सालों में खजुराहो महोत्सव से जुड़ी हुई जानकारियां रहेगी और उनके खूबसूरत चित्र रहेंगे. वहीं एक पेंटिंग प्रदर्शनी का भी आयोजन किया जा रहा है, जिसमें खजुराहो महोत्सव से जुड़ी हुई पेंटिंग्स लगाई जाएंगी. बता दें कि कत्थक एक नृत्य की एक विधा है, जिसमें कलाकार अपने हाथ, पांव और मुंह के तालमेल से नृत्य प्रस्तुत करते हैं. भारतीय नृत्य में कथक का सबसे ऊंचा स्थान है और कथक के कलाकार लगभग पूरे देश में हैं. हालांकि यह एक कठिन विधा है. एक कलाकार कई सालों के अभ्यास के बाद कथक सीख पाता है.