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'कर्मचारियों को मशीन समझती हैं IT कंपनियां', सरकार से ड्यूटी टाइम बढ़ाने की मांग, कर्मचारी संघ भड़का - Duty Hours - DUTY HOURS

Karnataka Government: आईटी कंपनियों ने कर्नाटक सरकार से कर्मचारियों के ड्यूटी आवर बढ़ाकर 14 घंटे करने की मांग की है. इसको लेकर आईटी कर्मचारी संघ ने कड़ा विरोध जताया है.

IT employees
IT कंपनियों की मांग (Canva)
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By ETV Bharat Hindi Team

Published : Jul 21, 2024, 10:36 PM IST

नई दिल्ली: आईटी कंपनियों ने कर्नाटक सरकार से कर्मचारियों के ड्यूटी आवर बढ़ाकर 14 घंटे करने की मांग की है. इसके लिए कंपनियों ने सरकार को एक प्रस्ताव भी सौंपा है. हालांकि, कर्मचारियों ने इस पर कड़ा विरोध जताया है.

कर्मचारियों ने हेल्थ संबंधी मुद्दों और ले-ऑफ का हवाला देते हुए इसे अमानवीय करार दिया है. मीडिया रिपोर्ट में सूत्रों के हवाले से कहा गया है कि राज्य सरकार कर्नाटक दुकान और वाणिज्यिक प्रतिष्ठान अधिनियम, 1961 में संशोधन करने पर विचार कर रही है. ऐसे में आईटी कंपनियां चाहती हैं कि उनके प्रस्ताव को भी संशोधन में शामिल किया जाए.'

प्रस्ताव पर मंत्रिमंडल कर सकता है चर्चा
बता दें कि अगर सरकार ने आईटी कंपनियों की बात मान ली तो कानूनी तौर पर कर्मचारियों के ड्यूटी आवर 14 घंटे (12 घंटे + 2 घंटे ओवरटाइम) हो जाएंगे. फिलहाल श्रम कानून के मुताबिक कर्मचारी को 12 घंटे (10 घंटे + 2 घंटे ओवरटाइम) तक काम करने की अनुमति है. सूत्रों ने बताया कि सरकार ने इस मामले पर एक बैठक भी की है और जल्द ही इस पर फैसले लिए जाएंगे. खबर है कि प्रस्ताव पर मंत्रिमंडल भी चर्चा कर सकता है.

कर्मचारी संघ का विरोध
ड्यूटी आवर बढ़ाने के कदम का कर्नाटक राज्य आईटी/आईटीईएस कर्मचारी संघ (KITU) ने कड़ा विरोध किया है. संघ ने एक बयान जारी कर चेतावनी दी है कि अगर काम की शिफ्टों की संख्या कम हुई और ड्यूटी आवर बढ़ाए गए तो इससे एक तिहाई कर्मचारी बेरोजगार हो जाएंगे.इस संशोधन से कंपनियों को मौजूदा तीन शिफ्ट सिस्टम के बजाय दो शिफ्ट सिस्टम अपनाने का मौका मिलेगा और एक तिहाई कर्मचारियों की छुट्टी हो जाएगी.

कर्मचारी डिप्रेशन जैसे बीमारी का शिकार
कर्मचारी संघ ने कहा, "KCCI की रिपोर्ट के अनुसार आईटी क्षेत्र में 45 फीसदी कर्मचारी डिप्रेशन जैसी मानसिक समस्याओं का सामना कर रहे हैं, जबकि 55 प्रतिशत शारीरिक हेल्थ से जूझ रहे हैं. ऐसे में काम के घंटे बढ़ाने से यह स्थिति और भी गंभीर हो जाएगी."

कर्मचारी संघ ने आरोप लगाया कि कंपनियां कर्मचारियों को इंसान नहीं बल्कि मशीन समझती हैं और सिद्धारमैया सरकार से इस पर पुनर्विचार करने और आईटी कंपनियों की डिमांड को लागू न करने की अपील की.

यह भी पढ़ें- 'पृथ्वी हमारी मां है', विश्व धरोहर समिति के 46वें सेशन में बोले पीएम मोदी, दिल्ली को लेकर कही बड़ी बात!

नई दिल्ली: आईटी कंपनियों ने कर्नाटक सरकार से कर्मचारियों के ड्यूटी आवर बढ़ाकर 14 घंटे करने की मांग की है. इसके लिए कंपनियों ने सरकार को एक प्रस्ताव भी सौंपा है. हालांकि, कर्मचारियों ने इस पर कड़ा विरोध जताया है.

कर्मचारियों ने हेल्थ संबंधी मुद्दों और ले-ऑफ का हवाला देते हुए इसे अमानवीय करार दिया है. मीडिया रिपोर्ट में सूत्रों के हवाले से कहा गया है कि राज्य सरकार कर्नाटक दुकान और वाणिज्यिक प्रतिष्ठान अधिनियम, 1961 में संशोधन करने पर विचार कर रही है. ऐसे में आईटी कंपनियां चाहती हैं कि उनके प्रस्ताव को भी संशोधन में शामिल किया जाए.'

प्रस्ताव पर मंत्रिमंडल कर सकता है चर्चा
बता दें कि अगर सरकार ने आईटी कंपनियों की बात मान ली तो कानूनी तौर पर कर्मचारियों के ड्यूटी आवर 14 घंटे (12 घंटे + 2 घंटे ओवरटाइम) हो जाएंगे. फिलहाल श्रम कानून के मुताबिक कर्मचारी को 12 घंटे (10 घंटे + 2 घंटे ओवरटाइम) तक काम करने की अनुमति है. सूत्रों ने बताया कि सरकार ने इस मामले पर एक बैठक भी की है और जल्द ही इस पर फैसले लिए जाएंगे. खबर है कि प्रस्ताव पर मंत्रिमंडल भी चर्चा कर सकता है.

कर्मचारी संघ का विरोध
ड्यूटी आवर बढ़ाने के कदम का कर्नाटक राज्य आईटी/आईटीईएस कर्मचारी संघ (KITU) ने कड़ा विरोध किया है. संघ ने एक बयान जारी कर चेतावनी दी है कि अगर काम की शिफ्टों की संख्या कम हुई और ड्यूटी आवर बढ़ाए गए तो इससे एक तिहाई कर्मचारी बेरोजगार हो जाएंगे.इस संशोधन से कंपनियों को मौजूदा तीन शिफ्ट सिस्टम के बजाय दो शिफ्ट सिस्टम अपनाने का मौका मिलेगा और एक तिहाई कर्मचारियों की छुट्टी हो जाएगी.

कर्मचारी डिप्रेशन जैसे बीमारी का शिकार
कर्मचारी संघ ने कहा, "KCCI की रिपोर्ट के अनुसार आईटी क्षेत्र में 45 फीसदी कर्मचारी डिप्रेशन जैसी मानसिक समस्याओं का सामना कर रहे हैं, जबकि 55 प्रतिशत शारीरिक हेल्थ से जूझ रहे हैं. ऐसे में काम के घंटे बढ़ाने से यह स्थिति और भी गंभीर हो जाएगी."

कर्मचारी संघ ने आरोप लगाया कि कंपनियां कर्मचारियों को इंसान नहीं बल्कि मशीन समझती हैं और सिद्धारमैया सरकार से इस पर पुनर्विचार करने और आईटी कंपनियों की डिमांड को लागू न करने की अपील की.

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