नई दिल्ली: नेपाल में राजनीतिक गठबंधन में अचानक हुए बदलाव से वाम दलों को गठबंधन सरकार बनाने के लिए एक साथ आना पड़ा. इसमें पर्दे के पीछे सक्रिय रूप से काम करने वाले चीनी हाथ के सभी संकेत हैं. घटनाओं के एक महत्वपूर्ण मोड़ में नेपाल के प्रधानमंत्री पुष्प कमल दहल ने सोमवार को कैबिनेट में फेरबदल किया. पुष्प कमल दहल को 'प्रचंड' के नाम से भी जाना जाता है.
यह कदम दोनों राजनीतिक दलों के शीर्ष नेतृत्व के बीच पर्याप्त मतभेदों का हवाला देते हुए नेपाली कांग्रेस के साथ लगभग 15 महीने लंबे गठबंधन को समाप्त करने के बाद आया. इसके बाद प्रचंड ने पूर्व प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली की पार्टी, कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ नेपाल-यूनिफाइड मार्क्सिस्ट-लेनिनिस्ट (सीपीएन-यूएमएल) के साथ एक नई साझेदारी बनाई.
इसके बाद तीन मंत्रियों, सीपीएन-यूएमएल से पदम गिरी, दहल की कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ नेपाल-माओवादी सेंटर (सीपीएन-माओवादी) से हित बहादुर तमांग और राष्ट्रीय स्वतंत्र पार्टी (आरएसपी) से डोल प्रसाद आर्यल ने सोमवार दोपहर को शपथ ली. राष्ट्रपति कार्यालय शीतल निवास में समारोह का आयोजित किया गया. नवनियुक्त मंत्रियों को अभी तक विशिष्ट विभाग नहीं सौंपे गए हैं. गठबंधन में शामिल एक अन्य पार्टी जनता समाजवादी पार्टी (जेएसपी) है.
सीपीएन-यूएमएल, सीपीएन-माओवादी, आरएसपी और जेएसपी की सामूहिक ताकत (142) 275 सदस्यीय सदन में 138 सीटों की न्यूनतम आवश्यक संख्या से अधिक है. सीपीएन-माओवादी पार्टी के एक नेता ने कहा कि प्रचंड के नेतृत्व वाले सीपीएन-माओवादी और शेर बहादुर देउबा के नेतृत्व वाली नेपाली कांग्रेस के बीच गठबंधन समाप्त हो गया क्योंकि दोनों शीर्ष नेताओं के बीच बढ़ते मतभेद चरम पर पहुंच गए थे.
चूंकि (नेपाली कांग्रेस ने) प्रधानमंत्री के साथ सहयोग नहीं किया, इसलिए हम (एक) नए गठबंधन की तलाश करने के लिए मजबूर हैं. सीपीएन-माओवादी के सचिव गणेश शाह ने समाचार एजेंसी पीटीआई को बताया. प्रचंड 25 दिसंबर 2022 को नेपाली कांग्रेस के समर्थन से तीसरी बार प्रधान मंत्री बने थे. प्रतिनिधि सभा में सबसे बड़ी पार्टी - नेपाली कांग्रेस के साथ गठबंधन तोड़ने के बाद, प्रचंड ने सीपीएन-यूएमएल के नेतृत्व में हाथ मिलाया. ओली जिन्हें प्रचंड का शीर्ष आलोचक माना जाता था.
पिछले साल मुख्य विपक्षी दल के राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार को समर्थन देने पर असहमति के कारण सीपीएन-यूएमएल ने प्रचंड के नेतृत्व वाली सरकार से अपना समर्थन वापस ले लिया था. हालाँकि, सीपीएन-माओवादी और नेपाली कांग्रेस के बीच तनाव तब बढ़ गया जब विशिष्ट परियोजनाओं के लिए बजट आवंटन को लेकर नेपाली कांग्रेस नेता और वित्त मंत्री महत और प्रचंड के बीच विवाद पैदा हो गया.
नेपाली कांग्रेस के अध्यक्ष शेर बहादुर देउबा द्वारा पार्टी के वरिष्ठ नेता और नवनिर्वाचित विधायक कृष्णा सितौला को नेशनल असेंबली के अध्यक्ष के रूप में नियुक्त करने की वकालत करने पर कलह तेज हो गई. हालाँकि, प्रचंड इस महत्वपूर्ण पद पर अपनी ही पार्टी के किसी सदस्य को नियुक्त करना चाहते थे. सोमवार को प्रचंड और सीपीएन-यूएमएल अध्यक्ष ओली ने प्रधानमंत्री आवास पर एक बैठक बुलाई.
बैठक के दौरान दोनों नेता एक नया गठबंधन स्थापित करने और प्रचंड के नेतृत्व में नई सरकार बनाने पर सहमत हुए. पर्यवेक्षकों के अनुसार अब से एक महीने से भी कम समय में भारत में आम चुनाव होने वाले हैं, इसलिए पड़ोस में सरकार बदलने का यह सही समय नहीं है. मनोहर पर्रिकर इंस्टीट्यूट ऑफ डिफेंस स्टडीज एंड एनालिसिस के रिसर्च फेलो और नेपाल से संबंधित मुद्दों के विशेषज्ञ निहार आर नायक ने ईटीवी भारत को बताया, 'काठमांडू में वामपंथी सरकारों के साथ भारत हमेशा असहज रहा है.
भारत हमेशा से उन राजनीतिक दलों का पक्षधर रहा है जो उदार लोकतांत्रिक सिद्धांतों में विश्वास करते हैं.' नायक ने बताया कि ऐतिहासिक रूप से कम्युनिस्ट पार्टियों का गठन 1950 के दशक में नेपाली कांग्रेस जैसी लोकतांत्रिक पार्टियों का मुकाबला करने के लिए किया गया था. नेपाल की तत्कालीन राजशाही ने भी वाम दलों का समर्थन किया था.
उन्होंने कहा, 'नेपाल की कम्युनिस्ट पार्टियां हमेशा से भारत के खिलाफ रही हैं. वामपंथी एकता की इस अवधारणा को चीन द्वारा प्रोत्साहित किया गया था.' नायक ने कहा कि 2008 में नेपाल से राजशाही समाप्त होने के बाद चीन ने हिमालयी राष्ट्र में वाम दलों का सक्रिय रूप से समर्थन किया और इन दलों के एकीकरण को प्रोत्साहित किया.
उन्होंने कहा,'चीन ने सीपीएन-माओवादी और सीपीएन-यूएमएल को एकजुट करने के लिए 2020 में और फिर 2021 में कोशिश की लेकिन सुप्रीम कोर्ट के फैसले के कारण ऐसा नहीं हो सका. हालाँकि दोनों पार्टियों ने विलय कर नेपाली कम्युनिस्ट पार्टी (एनसीपी) का गठन किया, लेकिन पार्टी पंजीकृत नहीं थी. ऐसे में सुप्रीम कोर्ट ने विलय की इजाजत नहीं दी. दो साल बाद अब वे नई गठबंधन सरकार लेकर आए हैं.'
नायक ने कहा कि सीपीएन-माओवादी और सीपीएन-यूएमएल दोनों के दूसरे पायदान के नेताओं का मानना है कि उनकी पार्टियों को मिलकर चुनाव लड़ना चाहिए. उन्होंने यह भी कहा कि जिस व्यक्ति ने सीपीएन-माओवादी की ओर से इस नई गठबंधन सरकार के गठन के लिए बातचीत की, वह चीन समर्थक है. उन्होंने हाल के दिनों में चीनी सरकार और चीन की कम्युनिस्ट पार्टी के प्रतिनिधिमंडलों और अधिकारियों की नेपाल यात्रा का भी जिक्र किया और कहा, 'इन सबके पीछे चीन का हाथ है.'