इंफाल: मणिपुर सरकार ने चुराचांदपुर जिले में कानून-व्यवस्था की स्थिति के मद्देनजर इंटरनेट सेवाओं का निलंबन आदेश पांच दिनों के लिए और बढ़ा दिया है. एक पुलिसकर्मी के निलंबन के बाद इलाके में हिंसा भड़क गई थी और मौजूदा कानून-व्यवस्था की स्थिति को देखते हुए यह फैसला लिया गया है.
मुख्य सचिव विनीत जोशी द्वारा जारी गृह विभाग के एक आदेश में कहा गया है कि 'राज्य सरकार ने चुराचांदपुर जिले में मौजूदा कानून-व्यवस्था की स्थिति की समीक्षा करने के बाद जिले के पूरे राजस्व क्षेत्र में वीपीएन के माध्यम से दी जाने वाली इंटरनेट सेवाओं का निलंबन जारी रखने का फैसला किया है.'
आदेश में मोबाइल सेवा प्रदाताओं को भी इसका अनुपालन सुनिश्चित करने का निर्देश दिया गया है. सरकार ने सबसे पहले 16 फरवरी को इंटरनेट सेवाओं पर अस्थायी निलंबन लगाया था. मणिपुर के चुराचांदपुर में 15 फरवरी को हिंसा भड़क उठी थी और उग्र भीड़ ने पुलिस अधीक्षक (एसपी) और उपायुक्त (डीसी) के कार्यालयों वाले सरकारी परिसर में घुसकर वाहनों को आग लगा दी थी और तोड़फोड़ की थी.
इसके बाद सुरक्षा बलों की कार्रवाई में कम से कम दो लोग मारे गए और 30 घायल हो गए थे. यह हिंसा एक हेड कांस्टेबल. के निलंबन के बाद हुई थी. जिला पुलिस के एक हेड कांस्टेबल को एक वीडियो में कथित तौर पर हथियारबंद लोगों के साथ देखे जाने के बाद निलंबित कर दिया गया था. प्रदर्शनकारियों ने हेड कांस्टेबल को सेवा में बहाल करने की मांग करते हुए आरोप लगाया था कि उनका निलंबन अनुचित था.
वकीलों ने महिला प्रदर्शनकारियों के लिए किया विरोध प्रदर्शन
वहीं दूसरी ओर मणिपुर के वकीलों ने एक दिन पहले सुरक्षाकर्मियों द्वारा महिला प्रदर्शनकारियों पर कथित रूप से अत्यधिक बल प्रयोग के विरोध में बुधवार को इंफाल पश्चिम जिले में चीराप अदालत परिसर के सामने धरना दिया. मंगलवार को सुरक्षा बलों ने हथियार लूट के मामले में छह लोगों की गिरफ्तारी के खिलाफ प्रदर्शन कर रही बड़ी संख्या में महिलाओं पर चीराप अदालत परिसर के अंदर कथित तौर पर आंसू गैस के गोले दागे थे.
पुलिस आरोपी को आगे की रिमांड मांगने के लिए कोर्ट लेकर आई थी. ऑल मणिपुर बार एसोसिएशन के अध्यक्ष पुयम तोमचा ने संवाददाताओं से कहा कि 'हम आरएएफ द्वारा महिला प्रदर्शनकारियों के खिलाफ बिजली के डंडों और अन्य घातक हथियारों का उपयोग करके अत्यधिक बल प्रयोग की कड़ी निंदा करते हैं.' उन्होंने कहा कि 'विरोध के निशान के रूप में, लोग आज अदालतों में अपने कर्तव्यों का पालन करने से दूर रहे.'
पुयम ने कहा कि 'हम सुरक्षा बलों सहित सभी से अदालत की पवित्रता का सम्मान करने और हिंसा में शामिल नहीं होने की अपील करते हैं.' मणिपुर उच्च न्यायालय और स्थानीय अदालतों के प्रदर्शनकारी वकीलों ने एक सेवानिवृत्त न्यायाधीश की अध्यक्षता में घटना की जांच की भी मांग की.