हैदराबादः प्लास्टिक से तात्कालिक जीवन आसान होता है, लेकिन दीर्धकालिक तौर पर यह धरती पर जीवों के अस्तित्व के लिए खतरा का कारण बन चुका है. संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम (UNEP) के डेटा के अनुसार दुनिया भर में सालाना 43 करोड़ टन (430 मिलियन टन) से ज्यादा प्लास्टिक उत्पादन होता है. इसमें से दो-तिहाई अल्पकालिक उत्पाद होते हैं, जो जल्द अपशिष्ट बन जाते हैं. यह समुद्र व मानव खाद्य श्रृंखला में पहुंच जाता है.
♻️🌍 Celebrate International Plastic Bag Free Day with us!
— Karnataka Postal Circle (@CPMGKARNATAKA) July 1, 2024
On July 3rd, grab our special cancellation and join the movement towards a cleaner, greener planet. Let's stamp out plastic together! 🌍♻️#PlasticBagFreeDay #EcoFriendly #StayTuned pic.twitter.com/ssKkh5gvjK
सस्ती, टिकाऊ और लचीली प्लास्टिक आधुनिक जीवन में व्याप्त है. पैकेजिंग से लेकर कपड़ों और सौंदर्य उत्पादों तक हर जगह इसका इस्तेमाल होता है. लेकिन इसे बड़े पैमाने पर फेंका जाता है. हर साल 28 करोड़ टन (280 मिलियन टन) से ज्यादा अल्पकालिक प्लास्टिक उत्पाद बेकार हो जाते हैं. प्लास्टिक के कारण होने वाले प्रदूषण में से बड़ा योगदान प्लास्टिक बैग का सबसे बड़ा योगदान है. ज्यादातर प्लास्टिक बैग सिंगल यूज प्लास्टिक (SUP) से बने होते हैं. इससे होने वाले खतरे के बारे में लोगों को जागरूक करने के उद्देश्य से हर साल अंतरराष्ट्रीय प्लास्टिक बैग मुक्त दिवस मनाया जाता है.
MC Bathinda
— MUNICIPAL CORPORATION BATHINDA (@mc_sbm) July 2, 2024
Celebrating International Plastic Bag Free Day organised by Civil Defence Warden Service and Municipal Corporation Bathinda at SSD Girls College, Amrik Singh Road, Shakti Nagar, Bathinda on 3rd July 2024 timing 09:30 am onwards. pic.twitter.com/JCpG0BydAz
प्लास्टिक का कूप्रबंधन भूजल को जहरीला बनाता है जहरीला
दुनिया भर में 46 प्रतिशत प्लास्टिक कचरे को लैंडफिल में डाल दिया जाता है. वहीं 22 प्रतिशत का गलत प्रबंधन किया जाता है और वह कूड़ा बन जाता है. अन्य सामग्रियों के विपरीत, प्लास्टिक जैविक रूप से विघटित नहीं होता है. यह प्रदूषण समुद्री वन्यजीवों का दम घोंटता है. मिट्टी को नुकसान पहुंचाता है और भूजल को जहरीला बनाता है और गंभीर स्वास्थ्य प्रभाव पैदा कर सकता है.
नगर पालिका परिषद सीतापुर
— Nagar Palika Parishad Sitapur (@PalikaSitapur) July 2, 2024
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क्या प्लास्टिक की एकमात्र समस्या प्रदूषण है?
प्लास्टिक की एकमात्र समस्या प्रदूषण नहीं है. यह जलवायु संकट में भी योगदान देता है. प्लास्टिक का उत्पादन दुनिया में सबसे अधिक ऊर्जा-गहन विनिर्माण प्रक्रियाओं में से एक है. यह सामग्री कच्चे तेल जैसे जीवाश्म ईंधन से बनाई जाती है, जिसे गर्मी और अन्य योजकों के माध्यम से बहुलक में बदल दिया जाता है. 2019 में प्लास्टिक ने 180 करोड़ मीट्रिक टन (1.8 बिलियन मीट्रिक टन) ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन उत्पन्न किया - वैश्विक कुल का 3.4 प्रतिशत है.
हर दिन दुनिया के महासागरों, नदियों और झीलों में 2,000 से ज्यादा प्लास्टिक से भरे ट्रक फेंके जाते हैं. प्लास्टिक प्रदूषण एक वैश्विक समस्या है. हर साल 190-230 करोड़ (19-23 मिलियन) टन प्लास्टिक कचरा जलीय पारिस्थितिकी तंत्र में रिसता है, जिससे झीलें, नदियां और समुद्र प्रदूषित होते हैं.
प्लास्टिक प्रदूषण आवासों और प्राकृतिक प्रक्रियाओं को बदल सकता है. पारिस्थितिकी तंत्र की जलवायु परिवर्तन के अनुकूल होने की क्षमता को कम कर सकता है, जिससे लाखों लोगों की आजीविका, खाद्य उत्पादन क्षमता और सामाजिक कल्याण पर सीधा असर पड़ता है.
यूएनईपी के काम से पता चलता है कि प्लास्टिक प्रदूषण की समस्या शून्य में मौजूद नहीं है. प्लास्टिक के पर्यावरणीय, सामाजिक, आर्थिक और स्वास्थ्य जोखिमों का मूल्यांकन जलवायु परिवर्तन, पारिस्थितिकी तंत्र के क्षरण और संसाधन उपयोग जैसे अन्य पर्यावरणीय तनावों के साथ किया जाना चाहिए.
भारत में प्लास्टिक की समस्या
केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) की ओर हर साल वार्षिक रिपोर्ट जारी की जाती है. रिपोर्ट के अनुसार देश के 35 राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों में सालाना 412699 टन प्लास्टिक कचरा उत्पादन होता है. देश में कुल प्लास्टिक अपशिष्ट उत्पादन में तेलंगाना का योगदान 12 फीसदी है. तमिलनाडु व पश्चिम बंगाल का 10-10 फीसदी, उत्तर प्रदेश व कर्नाटक का 9-9 फीसदी, गुजरात व महाराष्ट्र का 8-8 फीसदी है. वहीं भारत के शेष राज्यों का योगदान 26 फीसदी है. भारत के 24 राज्यों में प्लास्टिक कैरी बैग पूर्ण रूप से प्रतिबंधित है. वहीं 5 राज्यों में 50 माइक्रोन से कम प्लास्टिक कैरी बैग पूर्ण उपयोग को प्रतिबंधित है.
राज्यों/संघ शासित प्रदेशों की पर्यावरण प्रदर्शन (पीडब्लूएम) आधारित रेटिंग प्लास्टिक अपशिष्ट प्रबंधन के लिए निर्धारित घटकों में राज्यों/संघ शासित प्रदेशों के प्रदर्शन का मूल्यांकन किया गया है. राज्यों/संघ शासित प्रदेशों को प्लास्टिक अपशिष्ट प्रबंधन में उनके समग्र प्रदर्शन के आधार पर रैंक जारी किया जाता है. प्रदर्शन में शामिल विभिन्न घटकों में शामिल हैं.
- प्रति व्यक्ति प्लास्टिक अपशिष्ट उत्पादन
- राज्य में अपंजीकृत प्लास्टिक इकाइयां
- अंकन और लेबलिंग कार्यान्वयन के लिए प्रावधान
- प्लास्टिक अपशिष्ट प्रबंधन के लिए कार्य संयंत्र
- राज्य में खाद बनाने योग्य प्लास्टिक इकाइयां
रैंकिंग में टॉप 10 राज्य व रैंकिंग
- अंडमान और निकोबार द्वीप समूह 63
- आंध्र प्रदेश 48
- अरुणाचल प्रदेश 39
- असम 51
- बिहार 28
- चंडीगढ़ 50
- छत्तीसगढ़ 38
- दमन 27
- दिल्ली 33
- गोवा 30