हैदराबाद: आज के समय में कूड़ा-कचरे का निपटारा करना बड़ी समस्या है. खासकर नॉन रीसाइक्लिंग मटेरियल बड़ी समस्या हो रही है. कूड़े को रीसाइक्लिंग किये बिना भारत के ज्यादातर शहरों में डंप कर दिया जाता है. छोटे या बड़े शहरों में इस पर न तो सही तरीके से ध्यान दिया जा रहा है, न ही संसाधन उपलब्ध कराए जा रहे हैं. इस कारण संबंधित इलाके के लोगों को कई प्रकार के प्रदूषण का सामना करना पड़ता है. 30 मार्च को अंतरराष्ट्रीय शून्य अपशिष्ट दिवस, विश्व स्तर पर अपशिष्ट प्रबंधन को महत्व देने और टिकाऊ उपभोग और उत्पादन पैटर्न को बढ़ावा देने की आवश्यकता पर प्रकाश डालना है.
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अंतरराष्ट्रीय शून्य अपशिष्ट दिवस का इतिहास
14 दिसंबर 2022 को, संयुक्त राष्ट्र महासभा ने अपने सत्तरवें सत्र में 30 मार्च को प्रतिवर्ष मनाए जाने वाले अंतरराष्ट्रीय शून्य अपशिष्ट दिवस के रूप में घोषित करने के लिए एक प्रस्ताव अपनाया. तुर्किये ने प्रस्ताव रखा और 105 अन्य देश इसे प्रायोजित करने में शामिल हो गये. यह 2 मार्च 2022 को संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण सभा में अपनाए गए 'प्लास्टिक प्रदूषण को समाप्त करें: अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कानूनी रूप से बाध्यकारी साधन की ओर' सहित कचरे पर केंद्रित अन्य प्रस्तावों का अनुसरण करता है.
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अंतरराष्ट्रीय शून्य अपशिष्ट दिवस के दौरान, सदस्य राज्यों, संयुक्त राष्ट्र प्रणाली के संगठनों, नागरिक समाज, निजी क्षेत्र, शिक्षा जगत, युवाओं और अन्य हितधारकों को राष्ट्रीय, उपराष्ट्रीय, क्षेत्रीय और स्थानीय शून्य के बारे में जागरूकता बढ़ाने के उद्देश्य से गतिविधियों में शामिल होने के लिए आमंत्रित किया जाता है. अपशिष्ट पहल और सतत विकास प्राप्त करने में उनका योगदान है. संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम (यूएनईपी) और संयुक्त राष्ट्र मानव निपटान कार्यक्रम (यूएन-हैबिटेट) संयुक्त रूप से अंतरराष्ट्रीय शून्य अपशिष्ट दिवस मनाने की सुविधा प्रदान करते हैं.
इस अंतरराष्ट्रीय दिवस के माध्यम से शून्य-अपशिष्ट पहल को बढ़ावा देने से सतत विकास के लिए 2030 एजेंडा में सभी लक्ष्यों और लक्ष्यों को आगे बढ़ाने में मदद मिल सकती है, जिसमें सतत विकास लक्ष्य 11 और सतत विकास लक्ष्य 12 शामिल हैं. ये लक्ष्य खाद्य हानि और बर्बादी सहित सभी प्रकार के कचरे को संबोधित करते हैं.
ठोस अपशिष्ठ प्रबंधन नियम 2016 के तहत केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की ओर जारी वार्षिक रिपोर्ट 2020-21 में उठाये गये कदमों की जानकारी दी गई है.
- भारत में छोटे-बड़े शहरों की संख्या -3046
- भारत में शहरी निकायों की संख्या-4440
- भारत में टियर वन और टू शहरों की संख्या-968
सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट के आधार पर 35 राज्यों/ केंद्रशासित प्रदेशों का पर्यावरण प्रदर्शन रैंकिंग (Environmental performance Ranking) में 76.75 अंकों के साथ मध्य प्रदेश पहले स्थान पर है. 29 अंकों के साथ बिहार 33वें नंबर पर है. 26.75 अंकों के साथ असम 34वें स्थान पर है. वहीं 25 अंकों के साथ अरुणाचल प्रदेश आता है.
भारत में प्रति व्यक्ति कूड़ा उत्पादन
साल प्रति व्यक्ति सॉलिड वेस्ट उत्पादन
- 2015-16 118.68 (ग्राम/दिन)
- 2016-17 132.78 (ग्राम/दिन)
- 2017-18 098.79 (ग्राम/दिन)
- 2018-19 121.54 (ग्राम/दिन)
- 2019-20 119.26 (ग्राम/दिन)
- 2020-21 119.07 (ग्राम/दिन)
साल सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट का अंतर (%)
- 2015-16 40.99 प्रतिशत
- 2016-17 79.78 प्रतिशत
- 2017-18 09.38 प्रतिशत
- 2018-19 30.35 प्रतिशत
- 2019-20 25.82 प्रतिशत
- 2020-21 31.70 प्रतिशत
भारत में सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट