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उत्तराखंड में नकली दवा मामले में 72 लोगों पर दर्ज हो चुके केस, 32 गए जेल, चारधाम यात्रा मार्गों पर फलों की जांच शुरू - counterfeit drug investigation

Campaign against fake medicines in Uttarakhand नकली दवाइयों के खिलाफ उत्तराखंड में जोरदार अभियान चल रहा है. उत्तराखंड के निजी और सरकारी अस्पतालों में मरीजों को दी जा रही दवाइयों की जांच हो रही है. इसके साथ ही चारधाम यात्रा मार्ग पर दवाइयों के साथ ही फलो और खाद्य पदार्थों में मिलावट की भी जांच सघनता से चल रही है. नकली दवा मामले में उत्तराखंड में 72 लोगों पर मुकदमे दर्ज हो चुके हैं. 32 लोगों को जेल भेजा जा चुका है.

Campaign against fake medicines
नकली दवा पकड़ने का अभियान (Photo- Drug Control Department)
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By ETV Bharat Uttarakhand Team

Published : May 31, 2024, 8:47 AM IST

देहरादून: देशभर में तेजी से फैल रहे नकली दवाओं के कारोबार पर लगाम लगाए जाने को लेकर भारत सरकार अलर्ट मोड पर काम कर रही है. जिसके तहत केंद्रीय दवा मानक नियंत्रण संगठन हर महीने दवाओं के सैंपल लेकर उनकी गुणवत्ता की रिपोर्ट जारी कर रहा है.

नकली दवा बनाने वाले 32 लोग जेल भेजे गए: पिछले कुछ महीने से उत्तराखंड राज्य में निर्मित तमाम दवाइयां के सैंपल फेल होने के बाद उत्तराखंड ड्रग्स कंट्रोल विभाग भी सक्रिय हो गया है. ताकि प्रदेश में नकली दवाइयां के कारोबार पर लगाम लगायी जा सके. एफडीए से मिली जानकारी के अनुसार ड्रग्स विभाग ने पिछले तीन साल में 72 लोगों के खिलाफ केस दर्ज कर 32 लोगों को जेल भेजा है.

एफडीए को छापेमारी के निर्देश: प्रदेश में नकली दवाइयों के कारोबार पर शिकंजा कसने को लेकर खाद्य संरक्षा एवं औषधि प्रशासन विभाग लगातार अभियान चला रहा है. हाल ही में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने चारधाम यात्रा और पर्यटन सीजन को देखते हुए एफडीए को वृहद स्तर पर छापेमारी की कार्रवाई करने के निर्देश दिए थे. जिसके बाद से ही ड्रग्स विभाग की टीम पर्यटन स्थलों में स्थित सभी दवा की दुकानों पर छापेमारी करने के साथ ही फार्मा कंपनियों का भी औचक निरीक्षण कर रही है.

ड्रग कंट्रोलर ने क्या कहा: ड्रग कंट्रोलर ताजबर सिह जग्गी ने बताया कि नकली दवा माफिया के खिलाफ विभाग अभियान चला रहा है. चारधाम यात्रा और पर्यटन सीजन को देखते हुए मेडिकल स्टोरों पर छापेमारी की कार्रवाई की जा रही है. रुड़की और उधमसिंह नगर जिले में नकली दवा बनाने के अत्यधिक मामले सामने आये हैं. जिसके चलते पिछले 03 साल के भीतर 72 लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया है. 32 लोगों को जेल भेजा गया है. इसके साथ ही बेस्ड निरीक्षण के 71 मामले, 14 निर्माण लाइसेंस निलंबित, 04 निर्माण लाइसेंस निरस्त, 63 औषधियों के अनुमोदन को निरस्त करने के साथ ही 223 निर्माण इकाइयों का सामान्य निरीक्षण किया गया है.

47 दवाइयों के सैंपल फेल हुए: ड्रग्स कंट्रोलर ने बताया कि दिसम्बर, 2023 से मार्च, 2024 तक राज्य में बिक रही दवाइयों की गुणवत्ता को परखने के लिए तमाम जगहों से 281 दवाओं के सैंपल लिए गये. इनमें से 47 सैंपल मानकों पर खरे नहीं उतरे. हालांकि, ये सभी दवाइयां अन्य राज्यों में बनी थीं, जिनके खिलाफ कार्रवाई की गई है. फार्मा कंपनियों के साथ ही दवाइयों के थोक और फुटकर विक्रेताओं पर भी कार्रवाई की जा रही है. साथ ही दवाइयों पर अनावश्यक छूट देने वाले रिटेलर पर निगरानी रखी जा रही है. दवाइयों पर अनावश्यक छूट देने वाले रिटेलर पर निगरानी के साथ डिस्ट्रीब्यूटर और होलसेलर को केवल बिल पर ही दवाइयों को बेचने के निर्देश दिये गये हैं.

देहरादून में नकली दवाई की जांच करा सकते हैं: ड्रग कंट्रोलर ताजबर सिंह ने बताया कि दवाओं और कास्मेटिक उत्पादों की जांच अब रुद्रपुर के साथ ही देहरादून में भी की जा रही है. देहरादून में अत्याधुनिक मशीनों से सुविधा युक्त लैब है. इसमें वेट लैब, माइनर और मेजर, कास्मेटिक और माइक्रो लैब की सुविधा भी उपलब्ध है. दवाओं और कास्मेटिक उत्पादों की जांच के साथ ऑनलाइन सर्टिफिकेशन भी मिल जा रही है. ऐसे में आम जनता भी मिलावट की जांच यहां करवा सकती है. इसके लिए जनता को लेबर चार्ज का भुगतान करना होगा.

मल्टीविटामिन में पाए गए दवाओं के अंश: ड्रग कंट्रोलर ने बताया कि चारधाम यात्रा मार्ग पर मौजूद तमाम मेडिकल स्टोर्स से 156 दवाइयों के सैंपल लिए गये हैं, जो मानकों पर खरे उतरे हैं. यात्रा मार्ग से जो दवाइयों के सैंपल लिए जा रहे हैं, उनकी जांच रुद्रपुर लैब में प्राथमिकता के आधार पर की जा रही है. साथ ही बताया कि कई दवा कंपनियों में फूड लाइसेंस पर मल्टीविटामिन बनाए जा रहे थे, जिसकी छापेमारी में मल्टीविटामिन के कैप्सूल और टैबलेट जप्त किए गए. साथ ही सैंपल की जांच में मल्टीविटामिन में दवाओं के सॉल्ट पाए जाने पर कंपनी को सील कर दिया गया.

होलसेलर और रिटेलर के लिए मात्रा तय: राज्य सरकार ने नशे के रूप में इस्तेमाल होने वाली नारकोटिक और साइकोट्रापिक दवाओं का स्टाक पहले ही तय कर रखा है. ऐसे में अब मेडिकल स्टोर और सप्लायर इन दवाओं की बिक्री मनमाने तरीके से नहीं कर पाएंगे. होलसेलर और रिटेलर तय की गई मात्रा से अधिक दवा नहीं रख पाएंगे. उन्हें इस तरह की दवाओं की बिक्री का हिसाब भी रखना होगा. इसके साथ ही राज्य में अब कोई भी मेडिकल स्टोर या स्टाकिस्ट तय सीमा से अधिक दवाओं का स्टाक नहीं रख सकेगा. अगर कोई ऐसा करता है, तो उसका लाइसेंस निरस्त करने के साथ ही अन्य कार्रवाई की जाएंगी.

13 दवाइयों का स्टॉक तय: ड्रग कंट्रोलर की ओर से जारी आदेश में कुल 13 दवाओं का स्टाक तय किया गया है. इसमें एल्प्राजोलाम, ट्रामाडोल, ट्रामाडोल इंजेक्शन, कोडीन, पेंसिडिल, डाइजेपाम, डाइजेपाम इंजेक्शन, क्लोनाजेपाम, पेंटाजोनिक, निट्रेजापाम, निट्रेजापाम इंजेक्शन को इस श्रेणी में शामिल किया गया है. इन दवाओं का नया स्टाक तभी मंगाया जा सकेगा, जब पहले से मौजूद स्टॉक का उपयोग हो गया होगा और उसके उपयोग की पूरी जानकारी दे दी जाएगी. रिटेल में दवा विक्रेता इन दवाओं की अब 10 से 15 वायल और 20 स्ट्रिप ही रख सकेंगे.

चारधाम यात्रा मार्गों पर केमिकल वाले फलों की जांच शुरू: अपर खाद्य आयुक्त और ड्रग कंट्रोलर ताजबर सिंह जग्गी ने बताया कि फलों को पकाने में लिए कैल्शियम कार्बाइड का इस्तेमाल और इंजेक्शन लगाने की शिकायतें मिल रही हैं. इसको देखते हुए खाद्य निरीक्षकों को पूरे यात्रा मार्ग पर भी फलों में मिलावट की जांच के आदेश दिये गये हैं. इस अभियान की शुरुआत 31 मई से हरिद्वार, ऋषिकेश से हो गई है. इस अभियान के तहत यात्रा मार्गों से फलों के सैंपल लेकर जांच के लिए लैब में भेजे जाएंगे. दोषी पाये जाने वाले संबंधित व्यक्ति के खिलाफ कार्रवाई की जायेगी.
ये भी पढ़ें: उत्तराखंड की 10 फार्मा कंपनियों की 12 दवाइयों के सैंपल फेल, ड्रग्स कंट्रोलर ने उत्पाद लाइसेंस किए निरस्त

देहरादून: देशभर में तेजी से फैल रहे नकली दवाओं के कारोबार पर लगाम लगाए जाने को लेकर भारत सरकार अलर्ट मोड पर काम कर रही है. जिसके तहत केंद्रीय दवा मानक नियंत्रण संगठन हर महीने दवाओं के सैंपल लेकर उनकी गुणवत्ता की रिपोर्ट जारी कर रहा है.

नकली दवा बनाने वाले 32 लोग जेल भेजे गए: पिछले कुछ महीने से उत्तराखंड राज्य में निर्मित तमाम दवाइयां के सैंपल फेल होने के बाद उत्तराखंड ड्रग्स कंट्रोल विभाग भी सक्रिय हो गया है. ताकि प्रदेश में नकली दवाइयां के कारोबार पर लगाम लगायी जा सके. एफडीए से मिली जानकारी के अनुसार ड्रग्स विभाग ने पिछले तीन साल में 72 लोगों के खिलाफ केस दर्ज कर 32 लोगों को जेल भेजा है.

एफडीए को छापेमारी के निर्देश: प्रदेश में नकली दवाइयों के कारोबार पर शिकंजा कसने को लेकर खाद्य संरक्षा एवं औषधि प्रशासन विभाग लगातार अभियान चला रहा है. हाल ही में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने चारधाम यात्रा और पर्यटन सीजन को देखते हुए एफडीए को वृहद स्तर पर छापेमारी की कार्रवाई करने के निर्देश दिए थे. जिसके बाद से ही ड्रग्स विभाग की टीम पर्यटन स्थलों में स्थित सभी दवा की दुकानों पर छापेमारी करने के साथ ही फार्मा कंपनियों का भी औचक निरीक्षण कर रही है.

ड्रग कंट्रोलर ने क्या कहा: ड्रग कंट्रोलर ताजबर सिह जग्गी ने बताया कि नकली दवा माफिया के खिलाफ विभाग अभियान चला रहा है. चारधाम यात्रा और पर्यटन सीजन को देखते हुए मेडिकल स्टोरों पर छापेमारी की कार्रवाई की जा रही है. रुड़की और उधमसिंह नगर जिले में नकली दवा बनाने के अत्यधिक मामले सामने आये हैं. जिसके चलते पिछले 03 साल के भीतर 72 लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया है. 32 लोगों को जेल भेजा गया है. इसके साथ ही बेस्ड निरीक्षण के 71 मामले, 14 निर्माण लाइसेंस निलंबित, 04 निर्माण लाइसेंस निरस्त, 63 औषधियों के अनुमोदन को निरस्त करने के साथ ही 223 निर्माण इकाइयों का सामान्य निरीक्षण किया गया है.

47 दवाइयों के सैंपल फेल हुए: ड्रग्स कंट्रोलर ने बताया कि दिसम्बर, 2023 से मार्च, 2024 तक राज्य में बिक रही दवाइयों की गुणवत्ता को परखने के लिए तमाम जगहों से 281 दवाओं के सैंपल लिए गये. इनमें से 47 सैंपल मानकों पर खरे नहीं उतरे. हालांकि, ये सभी दवाइयां अन्य राज्यों में बनी थीं, जिनके खिलाफ कार्रवाई की गई है. फार्मा कंपनियों के साथ ही दवाइयों के थोक और फुटकर विक्रेताओं पर भी कार्रवाई की जा रही है. साथ ही दवाइयों पर अनावश्यक छूट देने वाले रिटेलर पर निगरानी रखी जा रही है. दवाइयों पर अनावश्यक छूट देने वाले रिटेलर पर निगरानी के साथ डिस्ट्रीब्यूटर और होलसेलर को केवल बिल पर ही दवाइयों को बेचने के निर्देश दिये गये हैं.

देहरादून में नकली दवाई की जांच करा सकते हैं: ड्रग कंट्रोलर ताजबर सिंह ने बताया कि दवाओं और कास्मेटिक उत्पादों की जांच अब रुद्रपुर के साथ ही देहरादून में भी की जा रही है. देहरादून में अत्याधुनिक मशीनों से सुविधा युक्त लैब है. इसमें वेट लैब, माइनर और मेजर, कास्मेटिक और माइक्रो लैब की सुविधा भी उपलब्ध है. दवाओं और कास्मेटिक उत्पादों की जांच के साथ ऑनलाइन सर्टिफिकेशन भी मिल जा रही है. ऐसे में आम जनता भी मिलावट की जांच यहां करवा सकती है. इसके लिए जनता को लेबर चार्ज का भुगतान करना होगा.

मल्टीविटामिन में पाए गए दवाओं के अंश: ड्रग कंट्रोलर ने बताया कि चारधाम यात्रा मार्ग पर मौजूद तमाम मेडिकल स्टोर्स से 156 दवाइयों के सैंपल लिए गये हैं, जो मानकों पर खरे उतरे हैं. यात्रा मार्ग से जो दवाइयों के सैंपल लिए जा रहे हैं, उनकी जांच रुद्रपुर लैब में प्राथमिकता के आधार पर की जा रही है. साथ ही बताया कि कई दवा कंपनियों में फूड लाइसेंस पर मल्टीविटामिन बनाए जा रहे थे, जिसकी छापेमारी में मल्टीविटामिन के कैप्सूल और टैबलेट जप्त किए गए. साथ ही सैंपल की जांच में मल्टीविटामिन में दवाओं के सॉल्ट पाए जाने पर कंपनी को सील कर दिया गया.

होलसेलर और रिटेलर के लिए मात्रा तय: राज्य सरकार ने नशे के रूप में इस्तेमाल होने वाली नारकोटिक और साइकोट्रापिक दवाओं का स्टाक पहले ही तय कर रखा है. ऐसे में अब मेडिकल स्टोर और सप्लायर इन दवाओं की बिक्री मनमाने तरीके से नहीं कर पाएंगे. होलसेलर और रिटेलर तय की गई मात्रा से अधिक दवा नहीं रख पाएंगे. उन्हें इस तरह की दवाओं की बिक्री का हिसाब भी रखना होगा. इसके साथ ही राज्य में अब कोई भी मेडिकल स्टोर या स्टाकिस्ट तय सीमा से अधिक दवाओं का स्टाक नहीं रख सकेगा. अगर कोई ऐसा करता है, तो उसका लाइसेंस निरस्त करने के साथ ही अन्य कार्रवाई की जाएंगी.

13 दवाइयों का स्टॉक तय: ड्रग कंट्रोलर की ओर से जारी आदेश में कुल 13 दवाओं का स्टाक तय किया गया है. इसमें एल्प्राजोलाम, ट्रामाडोल, ट्रामाडोल इंजेक्शन, कोडीन, पेंसिडिल, डाइजेपाम, डाइजेपाम इंजेक्शन, क्लोनाजेपाम, पेंटाजोनिक, निट्रेजापाम, निट्रेजापाम इंजेक्शन को इस श्रेणी में शामिल किया गया है. इन दवाओं का नया स्टाक तभी मंगाया जा सकेगा, जब पहले से मौजूद स्टॉक का उपयोग हो गया होगा और उसके उपयोग की पूरी जानकारी दे दी जाएगी. रिटेल में दवा विक्रेता इन दवाओं की अब 10 से 15 वायल और 20 स्ट्रिप ही रख सकेंगे.

चारधाम यात्रा मार्गों पर केमिकल वाले फलों की जांच शुरू: अपर खाद्य आयुक्त और ड्रग कंट्रोलर ताजबर सिंह जग्गी ने बताया कि फलों को पकाने में लिए कैल्शियम कार्बाइड का इस्तेमाल और इंजेक्शन लगाने की शिकायतें मिल रही हैं. इसको देखते हुए खाद्य निरीक्षकों को पूरे यात्रा मार्ग पर भी फलों में मिलावट की जांच के आदेश दिये गये हैं. इस अभियान की शुरुआत 31 मई से हरिद्वार, ऋषिकेश से हो गई है. इस अभियान के तहत यात्रा मार्गों से फलों के सैंपल लेकर जांच के लिए लैब में भेजे जाएंगे. दोषी पाये जाने वाले संबंधित व्यक्ति के खिलाफ कार्रवाई की जायेगी.
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