देहरादून: उत्तराखंड की पांच लोकसभा सीट जीतकर राज्य की जनता ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को मजबूत किया. जिसके बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसका रिटर्न गिफ्ट भी उत्तराखंड को दिया है. मोदी कैबिनेट में उत्तराखंड अल्मोड़ा लोकसभा सीट से जीतकर संसद पहुंचे अजय टम्टा को राज्यमंत्री के रूप में शामिल किया गया हैय अजय टम्टा राज्य के ऐसे पहले सांसद बन गए हैं जो दो बार मोदी कैबिनेट में शामिल किए गए हैं. अजय टम्टा इससे पहले साल 2014 में पहली बार नरेंद्र मोदी कैबिनेट में शामिल हुए थे. तब अजय टम्टा को कपड़ा राज्यमंत्री बनाया गया था.
अजय टम्टा के मंत्री बनने की Inside Story: बताया जा रहा है कि मंत्री पद की शपथ लेने से पहले अजय टम्टा को बुधवार को दिल्ली बुला लिया गया था. प्रधानमंत्री मोदी और अमित शाह से उनकी नजदीकियों का ही असर है कि उन्हें केंद्र में मंत्री बनाया गया है. साफ छवि और पहले कार्यकाल में बेदाग रहे टम्टा को अभी कौन सा विभाग मिलेगा यह साफ नहीं है, लेकिन उत्तराखंड से जीतकर संसद पहुंचे अजय टम्टा को अपनी कैबिनेट में शामिल कर नरेंद्र मोदी ने राज्य की जनता को बड़ा संदेश जरूर दिया है.
कुमाऊं से केंद्र में जिम्मेदारी संभाल चुके हैं ये नेता: अजय टम्टा से पहले भी कुमाऊं के कई सांसद केंद्र में मंत्री बन चुके हैं, लेकिन ऐसा पहली बार है कि जब दूसरी बार किसी कुमाऊं से आने वाले सांसद को केंद्र में मंत्री बनाया जा रहा हो. इससे पहले 1967 में अल्मोड़ा से ही पंत केंद्र में मंत्री रहे. नारायण दत्त तिवारी भी 1986 और 1988 के बीच मंत्रिमंडल में शामिल हुए थे. कुमाऊं से आने वाले हरीश रावत भी केंद्र में मंत्री रह चुके हैं. अटल बिहारी वाजपेयी सरकार में बच्ची सिंह रावत भी मंत्री पद संभाल चुके हैं. इसके बाद अजय भट्ट भी केंद्र की मोदी कैबिनेट में शामिल हुए थे. अजय टम्टा कुमाऊं से छठे सांसद हैं जो केंद्र में मंत्री बने हैं.
कभी अजय टम्टा ने बीजेपी से की बगावत, अब हैं झंडाबरदार: राजनीति में अमूमन सभी नेताओं से कई तरह के विवाद जुड़े होते हैं. जिसके कारण कई बार सवाल भी खड़े होते रहे हैं. अजय टम्टा से भी बगावत की कहानी जुड़ी हुई है. अजय टम्टा बीजेपी से एक बार बगावत कर चुके हैं. 16 जुलाई 1972 में अल्मोड़ा में जन्मे अजय टम्टा ने 2002 में बीजेपी से बगावत कर दी थी. यह बात उस वक्त की है जब 1997 में जिला पंचायत सदस्य के रूप में राजनीतिक शुरू करने वाले अजय टम्टा जिला पंचायत अध्यक्ष बने. उसके बाद साल 2002 में उन्होंने बीजेपी से विधानसभा का टिकट मांगा. पार्टी ने उन्हें टिकट नहीं दिया. जिसके बाद अजय टम्टा ने बगावत कर निर्दलीय चुनाव लड़ा. उन्होंने अल्मोड़ा की सोमेश्वर विधानसभा सीट से चुनाव लड़ा. इस चुनाव में वे प्रदीप टम्टा से चुनाव हार गए थे. इसके बाद 2007 में अजय टम्टा ने विधानसभा चुनाव में जीत दर्ज की. इसके बाद साल 2009 में उन्होंने लोकसभा का चुनाव लड़ा. जिसमें वे हार गये. इसके बाद साल 2014 में लोकसभा चुनाव जीतकर वे पहली बार संसद पहुंचे. उसके बाद से अब तक अजय टम्टा अजेय हैं.