कोलकाता: तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) में सब कुछ ठीक नहीं चल रहा है. पार्टी द्वारा सभी 42 लोकसभा सीटों के लिए अपने उम्मीदवारों की सूची की घोषणा करने के एक दिन बाद, राज्य के कई हिस्सों से असंतोष की आवाजें सामने आई हैं. सबसे पहले असहमति की आवाज उठाने और सत्तारूढ़ दल को मुश्किल में डालने वाले बैरकपुर लोकसभा सांसद अर्जुन सिंह थे, जिन्होंने 2019 का चुनाव भाजपा के टिकट पर जीता और फिर मई 2022 में पाला बदल लिया.
इस बीच आज TMC ने बैरकपुर से उनका पत्ता काट दिया. जिसके बाद, सांसद अर्जुन सिंह का बड़ा बयान सामने आया है.
अर्जुन सिंह ने कहा है कि कल जब उम्मीदवारों की सूची की घोषणा की गई तो मैं अवाक रह गया. मुझे कल सुबह करीब 11.45 बजे सूचना मिली कि मुझे नामांकित नहीं किया जा रहा है. फिर भी मैं एक निष्ठावान पार्टी कार्यकर्ता के रूप में मंच पर बैठा रहा. आज, मैं कुछ हद तक पार्टी के निर्णय से सहमत हो गया हूं. यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि मुझे बैरकपुर से टिकट की पेशकश नहीं की गई, लेकिन मैं इसके लिए किसी को दोषी नहीं ठहराता. जब मैं तृणमूल में लौट रहा था, तो मुझे बैरकपुर से पार्टी टिकट का आश्वासन दिया गया था. हालांकि, मैंने बीजेपी से कोई चर्चा नहीं की है और न ही किसी अन्य पार्टी में शामिल होने का मन बनाया है. लेकिन, अब मुझे लगता है कि भाजपा छोड़ना मेरे लिए निश्चित रूप से एक गलत निर्णय था.
बता दें, अर्जुन सिंह ने 2001 में पहली बार टीएमसी के टिकट पर उत्तर 24 परगना जिले के भाटपारा विधानसभा क्षेत्र से चुनाव लड़ा था और लगातार चार बार जीत हासिल की थी. पहली बार उन्होंने 2004 में बैरकपुर लोकसभा सीट से चुनाव लड़ा था, लेकिन सीपीआई-एम के तरित बरन तोपदार से हार गए थे. 2019 में, उन्होंने बैरकपुर से चुनाव लड़ने को लेकर टीएमसी सुप्रीमो ममता बनर्जी से मुलाकात की, लेकिन अंततः भाजपा में शामिल हो गए और भगवा पार्टी के टिकट पर सीट जीत ली.
हालांकि, जूट मिलों को बंद करने और नकदी फसल के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य पर केंद्रीय कपड़ा मंत्रालय की उदासीनता का हवाला देते हुए, उन्होंने मई 2022 में टीएमसी में घर वापसी की.उस वक्त टीएमसी के राष्ट्रीय महासचिव अभिषेक बनर्जी ने उनकी पार्टी में वापसी का रास्ता साफ किया था. अर्जुन सिंह के साथ टीएमसी की अंदरूनी कलह नहीं रुकी.
वहीं, अभिनेता से नेता बनीं और टीएमसी महासचिव सयंतिका बनर्जी ने आज सुबह पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष को अपना इस्तीफा भेज दिया. हालांकि सयंतिका ने पार्टी छोड़ने के अपने अचानक फैसले के पीछे 'व्यक्तिगत कारणों' का हवाला दिया, लेकिन बंगाल के राजनीतिक विश्लेषकों ने कहा कि उनका इस्तीफा बांकुरा लोकसभा सीट से टिकट से इनकार किए जाने के बाद आया है.
सयंतिका ने 2021 का विधानसभा चुनाव बांकुरा सीट से लड़ा था, लेकिन बीजेपी के नीलाद्रि शेखर दाना से हार गईं थीं. हालांकि, उन्हें पार्टी में एक पद की पेशकश की गई और उन्हें संगठनात्मक जिम्मेदारियां सौंपी गईं. सयंतिका कल ब्रिगेड परेड मैदान में पहुंची थीं, लेकिन उम्मीदवारों की सूची घोषित होने के तुरंत बाद उन्हें गुस्से में बाहर जाते देखा गया. इसके अलावा, टीएमसी के बर्धमान-पूर्व से सांसद सुनील मंडल, जिन्हें इस बार टिकट नहीं दिया गया, उन्होंने भी पार्टी की कड़ी आलोचना की है.
ईटीवी भारत से बात करते हुए व्यंग्यात्मक तौर से मंडल ने कहा कि पार्टी ने शायद एक योग्य व्यक्ति को टिकट दिया है. यह अच्छा है कि मेरे नाम पर विचार नहीं किया गया. अगर इसका दूसरा तरीका होता, तो शायद मुझे टीएमसी के खिलाफ चुनाव लड़ना पड़ता. टीएमसी से और कुछ उम्मीद नहीं की जा सकती.
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