भोपाल। इंदौर के युगपुरुष धाम अनाथालय में 5 मूक-बधिर बच्चों की मौत मामले ने तूल पकड़ लिया है. अस्पताल में अभी भी 47 बच्चों का इलाज चल रहा है. घटना के 2 दिन बाद भी मौत के कारणों को लेकर कोई स्पष्ट जानकारी निकलकर सामने नहीं आई है. फिलहाल मामला फूड प्वाइजनिंग का बताया जा रहा है. इस मामले में ईटीवी भारत ने जब सामाजिक न्याय मंत्री नारायण कुशवाहा से बात की तो उन्होंने कहा कि हाईलेबल कमेटी की जांच चल रही है और इस मामले में जो भी दोषी होगा उसे बख्शा नहीं जाएगा. इधर इस मामले में नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार ने कहा कि जांच तो औपचारिकता है आगे घटनाएं न हों इसे लेकर जवाबदेही तय होना चाहिए.
'मुख्यमंत्री ने मामले में लिया है संज्ञान'
इंदौर के युगपुरुष धाम अनाथालय में 5 बच्चों की मौत मामले में ईटीवी भारत ने सामाजिक न्याय मंत्री नारायण कुशवाहा से बात की. इस मामले को दुखद बताते हुए कहा कि ऐसे बच्चों की मौत हुई है जो मूक-बधिर थे और वो अपनी परेशानी बताने में असमर्थ थे. इसे लेकर मुख्यमंत्री ने मामला संज्ञान में लेते हुए जांच के उच्च स्तरीय जांच के निर्देश दिए हैं. वहीं विभागीय जांच के लिए मेरी तरफ से भी जांच प्रतिवेदन मांगा गया है.
'कमिश्नर को दिए जांच के निर्देश'
सामाजिक न्याय मंत्री ने कहा कि प्रशासन की तरफ से कलेक्टर इंदौर ने इस मामले में तुरंत एक्शन लिया है. वहां जांच के लिए गए एक एसडीएम के साथ प्रचारक की हंसी ठिठौली का एक वीडियो वायरल हुआ था उसे हटाकर एक्शन लिया गया है. सामाजिक न्याय विभाग के कमिश्नर को निर्देश दिए हैं कि इस मामले में पूरा जांच प्रतिवेदन बनाकर दें. मामले में किसकी गड़बड़ी है और किस कारण यह घटना घटित हुई है ये उल्लेख करने के निर्देश दिए गए हैं.
'दोषियों को बख्शा नहीं जाएगा'
मंत्री नारायण कुशवाहा ने बताया कि इस आश्रम का संचालन महामंडलेश्वर स्वामी परमानंदजी महाराज करते हैं. इस संस्था में जो लोग काम कर रहे हैं उनकी लापरवाही हो सकती है. संस्था के लोगों ने घटना को छुपाने के प्रयास के सवाल पर कहा कि इसकी भी जांच चल रही है. जांच में जो दोषी पाया जाएगा कड़ी कार्रवाई होगी. कलेक्टर भी गंभीर हैं और मामले की अपने स्तर से जांच करवा रहे हैं. कोई भी दोषी बचेगा नहीं.
'घटना के बाद जागती है सरकार'
इधर, इस मामले में नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार का कहना है कि बच्चे मूक बधिर थे ऐसे में सामाजिक न्याय विभाग और जिला प्रशासन की जिम्मेदारी बनती है. समय समय पर जांच होती है नहीं हुई. यदि मॉनिटरिंग होती तो घटना रोकी जा सकती थी. किस स्तर का भोजन उन्हें दिया जा रहा था. इसकी जांच पहले ही होनी चाहिए थी. मासूमों की मौत की जवाबदेही सरकार की होती है. हर चीज के नियम और कायदे होते हैं. सरकार तभी जागती है जब घटना हो जाती है. जांच के सवाल पर कहा कि औपचारिकता कहा लेकिन घटनाएं आगे रोकने के लिए जवाबदेही तय होना चाहिए.