इंदौर: दशहरे पर जहां देश भर में रावण का दहन किया जाता है वहीं इंदौर के परदेसीपुरा में एक ऐसा भी मंदिर है जहां रावण की भव्य पूजा अर्चना की जाती है. इतना ही नहीं दशहरे के दिन इस मंदिर में बाकायदा रावण को भगवान लंकेश मानकर पूजा जाता है. यहां रावण के दरबार में आने वाले लोगों की समस्याएं रावण संहिता के जरिए दूर की जाती हैं.
लंकेश की होती है यहां पूजा
इंदौर का जय लंकेश भक्त मंडल रावण के भक्तों का समूह है जो रावण को भगवान लंकेश के रूप में पूजते हैं. यहां परदेसीपुरा में भक्त मंडल द्वारा बाकायदा लंकेश भगवान का मंदिर भी तैयार कराया गया है. जहां बीते 4 दशकों से रावण को ईश्वर की तरह पूजा जाता है. इतना ही नहीं रावण के इस मंदिर में दशहरे के दिन बाकायदा रावण से मन्नतों की पूर्ति के लिए दरबार भी लगता है. यहां सुबह से होने वाले हवन पूजन और यज्ञ के बाद लोग अपनी समस्याएं लेकर पहुंचते हैं. जिन्हें भक्त मंडल के प्रमुख महेश गौहर द्वारा रावण के पुजारी प्रतिनिधि के तौर पर सुना जाता है.
दशहरे पर होता है समस्याओं का समाधान
दशहरे पर लगने वाले रावण दरबार में लोगों की समस्याएं सुनी जाती हैं. संबंधित समस्या के आधार पर मंदिर में मौजूद प्राचीन ग्रंथ श्री रावण संहिता में उल्लेखित मंत्र का वाचन करते हैं. इसके बाद संबंधित भक्त को लंकेश भगवान के चरणों में प्रार्थना करने के साथ एक काला धागा बांधने का निर्देश दिया जाता है. संबंधित भक्त अपनी मनोकामना की पूर्ति के लिए यहां काला धागा बांधता है इसके बाद जब उसकी मनोकामना पूर्ण हो जाती है तो वह फिर दरबार में दशहरे के दिन हाजिरी देने पहुंचता है. रावण भक्त संतोष कल्याणे बताते हैं कि बीते 40 सालों में रावण के दरबार में पहुंचने वाले भक्तों की संख्या लगातार बढ़ रही है. भगवान रावण के प्रताप और रावण संहिता में उल्लेखित मंत्र आज भी कहीं ना कहीं लोगों के मन में विश्वास जगाते हैं क्योंकि यहां आकर उनकी मनोकामना पूर्ण हो जाती है.
'रावण संहिता से समस्याओं का हल'
जय लंकेश मंदिर के पुजारी महेश गौहर बताते हैं कि "मंदिर में भगवान लंकेश के पुजारी के तौर पर बीते 40 सालों से मंदिर में पूजा पाठ कर रहे हैं. उन्हीं के द्वारा मंदिर बनवाया गया था. कई साल पहले उनके गुरू ने उन्हें रावण संहिता प्रदान की थी. धीरे-धीरे रावण संहिता के मंत्रों के अध्ययन के बाद उन्हें एहसास हुआ कि रावण संहिता एक दिव्य ग्रंथ है. इसमें लोगों की तरह-तरह की समस्याएं हल करने की धार्मिक विधि भी मौजूद है. वहीं विभिन्न प्रकार के पौधों के उपयोग से कई जटिल बीमारियों और लोगों की समस्याओं का समाधान बताया गया है. मंदिर में आने वाले भक्तों ने समस्याओं का जिक्र किया तो संबंधित समस्या के आधार पर रावण संहिता में उल्लेख किए गए मंत्र के उच्चारण के बाद प्रार्थना की. इतना ही नहीं उन्होंने मन्नत का काला धागा मंदिर में बांधने के बारे में बताया धीरे-धीरे लोगों की आस्था के कारण समस्या का समाधान हुआ और यहां अब लोग तरह-तरह की समस्याएं लेकर मंदिर आते हैं."
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'रावण संहिता में है मोहिनी मंत्र'
पुजारी महेश गौहर बताते हैं कि "रावण संहिता में मोहिनी मंत्र के अलावा संतान प्राप्ति और पेड़ पौधों के जरिए विभिन्न प्रकार की बीमारियों का उपचार भी बताया गया है. इसके अलावा अविवाहित युवक युवती के विवाह और मानसिक परेशानी से परेशान लोग अपनी समस्या के समाधान के लिए आते हैं. दशहरे के दिन मंदिर में सुबह पूजा और यज्ञ होता है और रात 12 बजे तक रावण के मंदिर में पूजा पाठ करके अपनी अपनी प्रार्थना बताकर गुहार लगाते हैं."