नई दिल्ली: विदेश से लॉ डिग्री लेने वालों को भारत में काउंसिल ऑफ इंडिया (बीसीआई) की परीक्षा पास करने के बाद ही प्रैक्टिस करने का लाइसेंस मिलेगा. दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा है कि विदेशों के कानून की डिग्री हासिल करने वाले भारतीयों को बीसीआई की परीक्षा क्वालीफाई करनी होगी, भले ही किसी भी मान्यता प्राप्त कानून के संस्थान से ब्रिज कोर्स किया हो. जस्टिस संजीव नरूला की बेंच ने कहा कि बीसीआई की परीक्षा क्वालीफाई करना भारत में लॉ की प्रैक्टिस करने के लिए वैधानिक रूप से जरूरी है.
दरअसल, दिल्ली हाईकोर्ट महक ओबेरॉय की याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिन्होंने ब्रिटेन के बकिंघम यूनिवर्सिटी से लॉ की डिग्री प्राप्त की है. उसके बाद उन्होंने बीसीआई के निर्देश पर दिल्ली के नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी से दो साल का ब्रिज कोर्स किया. ब्रिज कोर्स पूरा होने के बाद जब उन्होंने बतौर वकील के रुप में रजिस्ट्रेशन के लिए आवेदन दिया तो उन्हें बीसीआई की क्वालीफाइंग परीक्षा पास करने को कहा गया.
याचिका में कहा गया था कि भारत में ब्रिज कोर्स करने के बाद वे भारतीय कानून के मुताबिक शैक्षणिक रूप से समकक्ष हो गई थीं. लेकिन उसके बावजूद उन्हें एक और परीक्षा क्लियर करने को कहा गया. एक और परीक्षा क्वालीफाई करने के लिए कहना भेदभावपूर्ण और वित्तीय बोझ बढ़ाने वाला आदेश है. याचिका में कहा गया था कि भारतीय विश्वविद्यालयों से पढ़े छात्रों को बतौर वकील रजिस्ट्रेशन कराने के लिए ये परीक्षा नहीं देनी पड़ती है.
दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा कि बीसीआई के रेगुलेशन के मुताबिक ये परीक्षा क्लियर करना जरूरी है. बीसीआई के रुल 37 के मुताबिक ये परीक्षा क्लियर करना वैधानिक जरूरत है. हाईकोर्ट ने याचिका खारिज करते हुए काउंसिल ऑफ इंडिया (बीसीआई) के रुल पर मुहर लगाने का आदेश दिया है.
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