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भारत-उज्बेकिस्तान संयुक्त सैन्य अभ्यास 'डस्टलिक' का समापन, आतंकवाद के खात्मे का लिया संकल्प - Indo Uzbek Joint Military Exercise

Indo Uzbek Joint Military Exercise : भारत-उज़्बेकिस्तान के संयुक्त सैन्य अभ्यास 'डस्टलिक' का शुक्रवार समापन हुआ. उज्बेकिस्तान के टर्मेज कंबाइंड आर्म्स ट्रेनिंग रेंज में इस संयुक्त अभ्यास का आयोजन किया गया था.

संयुक्त सैन्य अभ्यास 'डस्टलिक' का समापन
संयुक्त सैन्य अभ्यास 'डस्टलिक' का समापन
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By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Apr 27, 2024, 10:55 AM IST

संयुक्त सैन्य अभ्यास 'डस्टलिक' का समापन

जयपुर. भारत-उज़्बेकिस्तान के संयुक्त सैन्य अभ्यास 'डस्टलिक' का समापन हो गया है. यह अभ्यास 15 अप्रैल 2024 से शुरू हुआ था, जिसमें अमोघ डिवीजन, फाजिल्का ब्रिगेड के सेवियर्स और सप्त शक्ति कमांड की मुल्तान बटालियन ने भारतीय सेना का प्रतिनिधित्व किया, जबकि उज़्बेकिस्तान गणराज्य के सशस्त्र बलों के दो प्लाटून ने उज़्बेकिस्तान सेना का प्रतिनिधित्व किया. इस सैन्य अभ्यास में दुनिया भर के मुल्कों को यह पैगाम दिया गया कि एक साथ खड़े होना और आतंकवाद से लड़ना भारत और उज्बेकिस्तान का संकल्प है. इस वॉर एक्सरसाइज में शांति और आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई का संकल्प का भरपूर प्रदर्शन किया गया.

पांचवीं बार किया मिलकर युद्ध अभ्यास : सैन्य युद्ध अभ्यास 'दस्तलिक' भारत और उज्बेकिस्तान के बीच द्विपक्षीय अभ्यास का पांचवां संस्करण था. जो कि संयुक्त अभ्यास आतंकवाद विरोधी अभियानों पर केंद्रित था और यह एक प्लाटून स्तर का अभ्यास था और इसका मक़सद दोनों सेनाओं के बीच विचारों, अवधारणाओं और सर्वोत्तम प्रथाओं के आदान-प्रदान पर ध्यान देने के साथ दोनों सेनाओं के बीच ज्यादा से ज्यादा तालमेल और आपसी गतिविधियों में इजाफा करना था. अभ्यास का समापन स्मॉल टीम इंसर्शन एक्सट्रैक्शन और कॉर्डन एंड सर्च ऑपरेशन पर 48 घंटे लंबे सामरिक अभ्यास के साथ हुआ, जिसमें दोनों टुकड़ियों के सैनिकों को दो प्लाटून के बीच मित्र जोड़े में मिलाया गया, जिसमें एक भारतीय और एक उज़्बेकी सैनिक शामिल थे. जिससे ज्यादा से ज्यादा एकता देखने को मिली.

भारत-उज्बेकिस्तान संयुक्त सैन्य अभ्यास
भारत-उज्बेकिस्तान संयुक्त सैन्य अभ्यास

पढ़ें: भारत-उज्बेकिस्तान का संयुक्त सैन्य अभ्यास 'डस्टलिक', आतंकवाद विरोधी क्षमताओं को मिलेगी मजबूती -

दोनों देशों में दिखा तालमेल : यह अभ्यास भारत की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत को पेश करने और तजुर्बे को बांटने का भी एक मौका था. जिसमें भारत और उज़्बेकिस्तान की विविध और समृद्ध संस्कृति का प्रदर्शन किया गया. दोनों सेनाओं ने उग्रवाद/आतंकवाद विरोधी अभियानों पर संबंधित देश और सेना की प्रस्तुतियां दी. इस अभ्यास का भारत और उज़्बेकिस्तान के बीच संबंधों को मजबूत करने में बहुत महत्व था, जिसने आतंकवाद मुक्त शांतिपूर्ण दुनिया के प्रति दोनों देशों की प्रतिज्ञा को और मजबूत किया.

संयुक्त सैन्य अभ्यास 'डस्टलिक' का समापन

जयपुर. भारत-उज़्बेकिस्तान के संयुक्त सैन्य अभ्यास 'डस्टलिक' का समापन हो गया है. यह अभ्यास 15 अप्रैल 2024 से शुरू हुआ था, जिसमें अमोघ डिवीजन, फाजिल्का ब्रिगेड के सेवियर्स और सप्त शक्ति कमांड की मुल्तान बटालियन ने भारतीय सेना का प्रतिनिधित्व किया, जबकि उज़्बेकिस्तान गणराज्य के सशस्त्र बलों के दो प्लाटून ने उज़्बेकिस्तान सेना का प्रतिनिधित्व किया. इस सैन्य अभ्यास में दुनिया भर के मुल्कों को यह पैगाम दिया गया कि एक साथ खड़े होना और आतंकवाद से लड़ना भारत और उज्बेकिस्तान का संकल्प है. इस वॉर एक्सरसाइज में शांति और आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई का संकल्प का भरपूर प्रदर्शन किया गया.

पांचवीं बार किया मिलकर युद्ध अभ्यास : सैन्य युद्ध अभ्यास 'दस्तलिक' भारत और उज्बेकिस्तान के बीच द्विपक्षीय अभ्यास का पांचवां संस्करण था. जो कि संयुक्त अभ्यास आतंकवाद विरोधी अभियानों पर केंद्रित था और यह एक प्लाटून स्तर का अभ्यास था और इसका मक़सद दोनों सेनाओं के बीच विचारों, अवधारणाओं और सर्वोत्तम प्रथाओं के आदान-प्रदान पर ध्यान देने के साथ दोनों सेनाओं के बीच ज्यादा से ज्यादा तालमेल और आपसी गतिविधियों में इजाफा करना था. अभ्यास का समापन स्मॉल टीम इंसर्शन एक्सट्रैक्शन और कॉर्डन एंड सर्च ऑपरेशन पर 48 घंटे लंबे सामरिक अभ्यास के साथ हुआ, जिसमें दोनों टुकड़ियों के सैनिकों को दो प्लाटून के बीच मित्र जोड़े में मिलाया गया, जिसमें एक भारतीय और एक उज़्बेकी सैनिक शामिल थे. जिससे ज्यादा से ज्यादा एकता देखने को मिली.

भारत-उज्बेकिस्तान संयुक्त सैन्य अभ्यास
भारत-उज्बेकिस्तान संयुक्त सैन्य अभ्यास

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दोनों देशों में दिखा तालमेल : यह अभ्यास भारत की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत को पेश करने और तजुर्बे को बांटने का भी एक मौका था. जिसमें भारत और उज़्बेकिस्तान की विविध और समृद्ध संस्कृति का प्रदर्शन किया गया. दोनों सेनाओं ने उग्रवाद/आतंकवाद विरोधी अभियानों पर संबंधित देश और सेना की प्रस्तुतियां दी. इस अभ्यास का भारत और उज़्बेकिस्तान के बीच संबंधों को मजबूत करने में बहुत महत्व था, जिसने आतंकवाद मुक्त शांतिपूर्ण दुनिया के प्रति दोनों देशों की प्रतिज्ञा को और मजबूत किया.

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