ETV Bharat / bharat

भारत के इस प्लान से चीन और मालदीव को लगेगा बड़ा झटका !

Naval Base at Lakshadweep : लक्षद्वीप में भारत ने जो प्लान तैयार किया है, उसके पूरे हो जाने पर चीन और मालदीव, दोनों को एक साथ झटका लगेगा. भारत यहां पर न सिर्फ पर्यटन को बढ़ावा देने पर काम कर रहा है, बल्कि अपने सैन्य बेस को भी काफी मजबूत कर रहा है. इस सैन्य बेस से भारत हिंद प्रशांत क्षेत्र में भी बड़ी भूमिका निभाएगा.

Lakshadweep
लक्षद्वीप में भारत का गेम प्लान
author img

By ETV Bharat Hindi Team

Published : Feb 20, 2024, 6:52 PM IST

हैदराबाद : भारत और मालदीव के बिगड़ते रिश्तों के बीच केंद्र सरकार ने लक्षद्वीप को लेकर कई अहम फैसले लिए हैं. यहां पर पर्यटन को बढ़ावा देने से लेकर सैन्य बेस को मजबूत करने का निर्णय लिया गया है. रक्षा विशेषज्ञ मानते हैं कि लक्षद्वीप में भारतीय सेना की रणनीतिक मौजूदगी से चीन और मालदीव, दोनों को संदेश दिया जा सकता है. यही वजह है कि भारत ने अपना एक्शन प्लान तेज कर दिया है. उसने निर्माण की गति तेज कर दी है.

आपको बता दें कि क्योंकि यह मामला रक्षा क्षेत्र से जुड़ा है, लिहाजा सरकार इस पर खुलकर जानकारी नहीं दे रही है. मीडिया में इससे संबंधित कुछ खबरें प्रकाशित हुई हैं. कुछ बिंदुओं को लेकर सोशल मीडिया में लिखा जा रहा है. हम इन्हीं बिंदुओं की यहां पर चर्चा कर रहे हैं.

खबरों के अनुसार मोदी सरकार ने लक्षद्वीप के मिनिकॉय और अगत्ती द्वीप में नया हवाई पट्टी विकसित करने का फैसला किया है. यहां पर काम तेजी से चल रहा है. इन द्वीपों में नेवल बेस को मजबूत किया जा रहा है. इस बेस की मालदीव से दूरी मात्र 524 किमी है. नेवी के इस बेस का नाम- आईएनएस जटायु - रखा गया है.

देश के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह चार मार्च को मिनिकॉय जा रहे हैं. वह इस बेस का औपचारिक उद्घाटन करेंगे. उनके साथ 15 युद्धपोत भी जाएंगे. नेवी के इस बेस पर जिन युद्धपोतों की तैनाती की जाएगी, उनमें आईएनएस विक्रांत और आईएनएस विक्रमादित्य का नाम शामिल है.

जिन अन्य युद्धपोतों को वहां पर ले जाया जाएगा, वे अभी गोवा में हैं. वहां के कर्नाटक और फिर कारवार के रास्ते उन्हें लक्षद्वीप ले जाया जाएगा. सरकार के इस फैसले से हिंद-महासागर क्षेत्र में भारत की मौजूदगी और अधिक मजबूत होगी.

मीडिया रिपोर्ट में बताया गया है कि रक्षा मंत्रालय लक्षद्वीप में विकसित किए जा रहे सैन्य बेस पर जल्द ही औपचारिक बयान जारी करेगा. बहुत संभव है कि रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की यात्रा के दौरान ही नेवी कोई बयान जारी करे.

भारतीय नौसेना वहां पर संयुक्त कमांडर कॉन्फ्रेंस के पहले फेज का आयोजन कर रही है. इसके बाद दूसरे फेज का भी आयोजन किया जाएगा. सात मार्च तक दोनों कॉन्फ्रेंस पूरे हो जाने की खबर है. पहले फेज की तिथि चार मार्च है.

यहां इसका उल्लेख करना जरूरी है कि भारत पहले से ही अंडमान और निकोबार द्वीप समूह में अपना सैन्य बेस बना चुका है. भारत ने ग्रेट निकोबार के कैंपबेल-बे पर नए ग्राउंड तैयार किए हैं. वहां पर नई सुविधाओं को विकसित किया गया है. लक्षद्वीप में बेस निर्माण का कार्य इसकी ही अगली कड़ी है, जिसकी मदद से भारतीय मैरिटाइम सुरक्षा को और अधिक मजबूत किया जा रहा है,

लक्षद्वीप के बेस से न सिर्फ कॉमर्शियल शिपिंग की सुरक्षा की जाएगी, बल्कि इस क्षेत्र में पर्यटन और बुनियादी ढांचा भी मजबूत होंगे. लक्षद्वीप और मिनिकॉय आईलैंड नाइन डिग्री चैनल पर स्थित हैं, जिसके जरिए बड़ी संख्या में कॉमर्शियल जहाज गुजरते हैं.

इस रास्ते से द.पूर्व एशिया और उत्तरी एशिया के इलाकों में मालों की आवाजाही होती है. जाहिर है, अंडमान एवं निकोबार और लक्षद्वीप समूह में नौसेना के बेस बन जाने से भारत अपने हितों की बेहतर ढंग से रक्षा कर सकता है. भारत यहां से चीनी नौसेना पर कड़ी नजर बनाए रख सकता है और जब भी जरूरत पड़े तो वह हिंद महासागर में तुरंत तैनाती बढ़ा सकता है.

इस प्रोजेक्ट के जरिए भारत ने मालदीव को भी कड़ा संदेश देने का मकसद पूरा कर लिया है. हालांकि, औपचारिक रूप से भारत ने कभी भी कोई बयान जारी नहीं किया है. लेकिन रक्षा मामलों के जानकार बताते हैं कि लक्षद्वीप में यदि पर्यटन को बढ़ावा दिया जाए, तो मालदीव की ओर जाने वाले पर्यटक लक्षद्वीप की ओर आ सकते हैं. और भारत ऐसा करने में सफल हो गया, तो वह एक साथ दो संदेश दे सकता है. एक तो मालदीव के पर्यटन को झटका लगेगा और दूसरा चीन की 'हेकड़ी' भी दूर हो जाएगी.

ये भी पढ़ें : बड़बोले मालदीव की टक्कर में वित्त मंत्री का धाकड़ प्लान, जानें पर्यटन को लेकर बजट में क्या कहा

हैदराबाद : भारत और मालदीव के बिगड़ते रिश्तों के बीच केंद्र सरकार ने लक्षद्वीप को लेकर कई अहम फैसले लिए हैं. यहां पर पर्यटन को बढ़ावा देने से लेकर सैन्य बेस को मजबूत करने का निर्णय लिया गया है. रक्षा विशेषज्ञ मानते हैं कि लक्षद्वीप में भारतीय सेना की रणनीतिक मौजूदगी से चीन और मालदीव, दोनों को संदेश दिया जा सकता है. यही वजह है कि भारत ने अपना एक्शन प्लान तेज कर दिया है. उसने निर्माण की गति तेज कर दी है.

आपको बता दें कि क्योंकि यह मामला रक्षा क्षेत्र से जुड़ा है, लिहाजा सरकार इस पर खुलकर जानकारी नहीं दे रही है. मीडिया में इससे संबंधित कुछ खबरें प्रकाशित हुई हैं. कुछ बिंदुओं को लेकर सोशल मीडिया में लिखा जा रहा है. हम इन्हीं बिंदुओं की यहां पर चर्चा कर रहे हैं.

खबरों के अनुसार मोदी सरकार ने लक्षद्वीप के मिनिकॉय और अगत्ती द्वीप में नया हवाई पट्टी विकसित करने का फैसला किया है. यहां पर काम तेजी से चल रहा है. इन द्वीपों में नेवल बेस को मजबूत किया जा रहा है. इस बेस की मालदीव से दूरी मात्र 524 किमी है. नेवी के इस बेस का नाम- आईएनएस जटायु - रखा गया है.

देश के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह चार मार्च को मिनिकॉय जा रहे हैं. वह इस बेस का औपचारिक उद्घाटन करेंगे. उनके साथ 15 युद्धपोत भी जाएंगे. नेवी के इस बेस पर जिन युद्धपोतों की तैनाती की जाएगी, उनमें आईएनएस विक्रांत और आईएनएस विक्रमादित्य का नाम शामिल है.

जिन अन्य युद्धपोतों को वहां पर ले जाया जाएगा, वे अभी गोवा में हैं. वहां के कर्नाटक और फिर कारवार के रास्ते उन्हें लक्षद्वीप ले जाया जाएगा. सरकार के इस फैसले से हिंद-महासागर क्षेत्र में भारत की मौजूदगी और अधिक मजबूत होगी.

मीडिया रिपोर्ट में बताया गया है कि रक्षा मंत्रालय लक्षद्वीप में विकसित किए जा रहे सैन्य बेस पर जल्द ही औपचारिक बयान जारी करेगा. बहुत संभव है कि रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की यात्रा के दौरान ही नेवी कोई बयान जारी करे.

भारतीय नौसेना वहां पर संयुक्त कमांडर कॉन्फ्रेंस के पहले फेज का आयोजन कर रही है. इसके बाद दूसरे फेज का भी आयोजन किया जाएगा. सात मार्च तक दोनों कॉन्फ्रेंस पूरे हो जाने की खबर है. पहले फेज की तिथि चार मार्च है.

यहां इसका उल्लेख करना जरूरी है कि भारत पहले से ही अंडमान और निकोबार द्वीप समूह में अपना सैन्य बेस बना चुका है. भारत ने ग्रेट निकोबार के कैंपबेल-बे पर नए ग्राउंड तैयार किए हैं. वहां पर नई सुविधाओं को विकसित किया गया है. लक्षद्वीप में बेस निर्माण का कार्य इसकी ही अगली कड़ी है, जिसकी मदद से भारतीय मैरिटाइम सुरक्षा को और अधिक मजबूत किया जा रहा है,

लक्षद्वीप के बेस से न सिर्फ कॉमर्शियल शिपिंग की सुरक्षा की जाएगी, बल्कि इस क्षेत्र में पर्यटन और बुनियादी ढांचा भी मजबूत होंगे. लक्षद्वीप और मिनिकॉय आईलैंड नाइन डिग्री चैनल पर स्थित हैं, जिसके जरिए बड़ी संख्या में कॉमर्शियल जहाज गुजरते हैं.

इस रास्ते से द.पूर्व एशिया और उत्तरी एशिया के इलाकों में मालों की आवाजाही होती है. जाहिर है, अंडमान एवं निकोबार और लक्षद्वीप समूह में नौसेना के बेस बन जाने से भारत अपने हितों की बेहतर ढंग से रक्षा कर सकता है. भारत यहां से चीनी नौसेना पर कड़ी नजर बनाए रख सकता है और जब भी जरूरत पड़े तो वह हिंद महासागर में तुरंत तैनाती बढ़ा सकता है.

इस प्रोजेक्ट के जरिए भारत ने मालदीव को भी कड़ा संदेश देने का मकसद पूरा कर लिया है. हालांकि, औपचारिक रूप से भारत ने कभी भी कोई बयान जारी नहीं किया है. लेकिन रक्षा मामलों के जानकार बताते हैं कि लक्षद्वीप में यदि पर्यटन को बढ़ावा दिया जाए, तो मालदीव की ओर जाने वाले पर्यटक लक्षद्वीप की ओर आ सकते हैं. और भारत ऐसा करने में सफल हो गया, तो वह एक साथ दो संदेश दे सकता है. एक तो मालदीव के पर्यटन को झटका लगेगा और दूसरा चीन की 'हेकड़ी' भी दूर हो जाएगी.

ये भी पढ़ें : बड़बोले मालदीव की टक्कर में वित्त मंत्री का धाकड़ प्लान, जानें पर्यटन को लेकर बजट में क्या कहा

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.