देहरादून(उत्तराखंड): केदारघाटी में 31 जुलाई की रात आसमान से आफत बरसी। जिसके कारण केदारनाथ यात्रा पड़ावों पर आपदा जैसे हालात पैदा हो गये. जिसके कारण हजारों तीर्थयात्री यात्रा मार्गों पर फंस गये. जिन्हें रेस्क्यू करने के लिए राज्य सरकार के साथ ही सेना ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. केदारनाथ में सेना के 3 अधिकारी, 2 JCO और 40 जवानों के कॉलम ने रिलीफ और रेस्क्यू ऑपरेशन की मदद से कई लोगों की जान बचाई.
केदारघाटी में आपदा प्रभावित क्षेत्रों से हज़ारों श्रद्धालुओं को सकुशल सुरक्षित निकाला जा चुका है। रेस्क्यू ऑपरेशन को और अधिक प्रभावी बनाने के लिए सेना की भी मदद ली जा रही है। हमारी सरकार प्रदेशवासियों एवं राज्य में आने वाले पर्यटकों की सुरक्षा हेतु प्रतिबद्ध है। pic.twitter.com/fvVRY2vQwE
— Pushkar Singh Dhami (@pushkardhami) August 5, 2024
31 जुलाई से केदारनाथ में राज्य प्रशासन के साथ सेना रेस्क्यू ऑपरेशन में भाग ले रही है. इसके तहत 261 लोगों को वायु मार्ग के जरिये सकुशल निकाला गया. अलकनंदा नदी पर दो फुटओवर ब्रिज बनाकर 300 से ज्यादा फंसे हुए यात्रियों को सोनप्रयाग तक पहुंचाया गया. केदारघाटी में चल रहे ऑपरेशन के बारे में बातचीत करते हुए रक्षा मंत्रालय के PRO डिफेंस, ले कर्नल मनीष श्रीवास्तव ने बताया ग्राउंड जीरो पर उत्तराखंड के जोशीमठ में मौजूद भारतीय सेना की Ibex ब्रिगेड कमांडर के नेतृत्व में कर्नल हितेश, 2 अधिकारियों, 2 JCO के साथ 40 जवानों का पूरा एक कॉलम केदारनाथ रेस्क्यू में लगा हुआ था. यह पूरा ऑपरेशन हैडक्वाटर सेंट्रल कमांड लखनऊ और हेड क्वार्टर उत्तर भारत एरिया बरेली के अलावा उत्तराखंड सब एरिया के निगरानी में पूरा किया गया.
मौसम साफ होने के साथ ही केदार घाटी में आज केंद्र सरकार द्वारा भेजे गए MI 17 और चिनूक के माध्यम से रेस्क्यू फिर से शुरू हो चुका है, स्वयं भी लगातार रेस्क्यू ऑपरेशन की मॉनिटरिंग कर रहा हूं। आदरणीय प्रधानमंत्री श्री @narendramodi जी के नेतृत्व में केंद्र सरकार द्वारा हर संभव सहायता… pic.twitter.com/WRih4NExDg
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रिलीफ और रेस्क्यू ऑपरेशन में सुरक्षित निकल गये हजारों यात्री: जनसंपर्क कार्यालय ने बताया इस रेस्क्यू ऑपरेशन में वायु मार्ग से आपदा प्रभावितों को निकालने गौचर और गुप्तकाशी में एमआई 17 और चिनूक हेलीकॉप्टर तैनात किए गए थे. इनके जरिए तकरीबन 261 यात्रियों को रेस्क्यू किया गया. चिनूक हेलीकॉप्टर की मदद से 1000 किलो से ज्यादा की रसद सामग्री, भंडार के साथ-साथ एनडीआरएफ और एसडीआरएफ के लोगों को आपदाग्रस्त इलाके में तैनात करने में मदद की गई. रेस्क्यू ऑपरेशन के दौरान सेना के जवानों ने बर्मा ब्रिज तकनीक का प्रयोग करते हुए दो फुटओवर ब्रिज मंदाकिनी नदी पर बनाए. जिससे 294 फंसे हुए निवासियों तथा तीर्थ यात्रियों को निकाला गया. इसके अलावा गौचर हेलीपैड और सिमली हेलीपैड पर मेडिकल रूम बनाया गया था, जहां से सुरक्षित निकाले गए यात्रियों को खाने पीने और मेडिकल सुविधाएं उपलब्ध करवाई गई.
प्रदेश के आपदाग्रस्त क्षेत्रों में भारतीय वायु सेना द्वारा HADR (Humanitarian Assistance and Disaster Relief) ऑपरेशन शुरू करने के लिए आदरणीय प्रधानमंत्री श्री @narendramodi जी एवं केंद्रीय रक्षा मंत्री श्री @rajnathsingh जी का हार्दिक आभार।
— Pushkar Singh Dhami (@pushkardhami) August 2, 2024
भारतीय वायु सेना द्वारा चिनूक और Mi-17… pic.twitter.com/E3Kw5XMdo5
ये होते हैं सेना के रेस्क्यू ऑपरेशन के प्रोटोकॉल: जनसंपर्क अधिकारी ले कर्नल मनीष श्रीवास्तव ने बताया प्राकृतिक आपदाओं के समय सेवा के रेस्क्यू एंड रिलीफ ऑपरेशन के अपने अलग प्रोटोकॉल होते हैं. उन्होंने बताया जब भी किसी आपदा में राज्य सरकार और राज्य के तमाम राहत बचाव फोर्स आपदा से लड़ने में मदद की दरकार होती है तो भारतीय सेना को मांग भेजी जाती है.
रुद्रप्रयाग में अतिवृष्टि से प्रभावित क्षेत्रों का स्थलीय निरीक्षण कर अधिकारियों से राहत एवं बचाव कार्यों के साथ ही श्रद्धालुओं की सुरक्षा के दृष्टिगत की गई व्यवस्थाओं की जानकारी ली।
— Pushkar Singh Dhami (@pushkardhami) August 1, 2024
इस दौरान श्रद्धालुओं से बातचीत कर उनका कुशलक्षेम जाना और उन्हें सुरक्षा के लिए आश्वस्त किया। साथ… pic.twitter.com/P4fEBqaGie
मांग का अनुमोदन हेडक्वार्टर से मिलने के बाद भारतीय सेना आपदा प्रभावित क्षेत्र में सबसे पहले सर्वेक्षण करती है. उन्होंने बताया जमीनी हालात और मौसम को देखते हुए यह सर्वेक्षण दो तरह से हो सकता है. जिसमें एक हवाई सर्वे और दूसरा जमीन पर जाकर हालातों को जायजा लिया जाता है. इसमें नुकसान के साथ ही मानव शक्ति और संसाधनों जरूरत का आंकलन किया जाता है. उसके बाद जरूरत के अनुसार सेना और वायु सेना अपने रेस्क्यू ऑपरेशन प्लान तैयार करते हैं और उसके बाद सेना ग्राउंड जीरो पर उतरती है.