नई दिल्ली: दिल्ली आबकारी नीति में कथित घोटाले के मनी लॉन्ड्रिंग के मामले में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने कुछ दिनों पहले दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को गिरफ्तार किया था. इस पर अमेरिका ने भारत के आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप करने की कोशिश की. भारत ने अमेरिका पर नाराजगी जाहिर करते हुए बुधवार को एक वरिष्ठ अमेरिकी राजनयिक को तलब किया.
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की गिरफ्तारी पर अमेरिकी विदेश विभाग के एक अधिकारी ने टिप्पणी की थी. इस पर भारत ने कड़ा विरोध दर्ज कराया. विदेश मंत्रालय के अधिकारियों ने मिशन के कार्यवाहक उपप्रमुख ग्लोरिया बरबेना को साउथ ब्लॉक स्थित अपने कार्यालय में तलब किया. बैठक 30 मिनट से अधिक समय तक चली.
भारत ने जताई कड़ी आपत्ति
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जयसवाल ने जारी एक बयान में कहा, 'भारत में कुछ कानूनी कार्यवाहियों के बारे में अमेरिकी विदेश विभाग के प्रवक्ता की टिप्पणियों पर हम कड़ी आपत्ति जताते हैं. कूटनीति में, राज्यों से दूसरों की संप्रभुता और आंतरिक मामलों का सम्मान करने की अपेक्षा की जाती है'.
विदेश मंत्रालय ने कहा, 'साथी लोकतंत्रों के मामले में यह जिम्मेदारी और भी अधिक है. अन्यथा यह अस्वस्थ मिसाल कायम कर सकता है. भारत की कानूनी प्रक्रियाएं एक स्वतंत्र न्यायपालिका पर आधारित हैं, जो उद्देश्यपूर्ण और समय पर परिणाम के लिए प्रतिबद्ध है. उस पर आरोप लगाना अनुचित है.
अमेरिकी राजनयिक ने की थी टिप्पणी
अमेरिका के विदेश विभाग के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा था कि वाशिंगटन ने मुख्यमंत्री केजरीवाल के लिए एक निष्पक्ष, पारदर्शी और समय पर कानूनी प्रक्रिया को प्रोत्साहित किया. इससे पहले जर्मनी ने भी मामले पर टिप्पणी कर टांग अड़ाने की कोशिश की थी. भारत ने जर्मनी दूतावास के उप प्रमुख को तलब कर लिया था. भारत ने जर्मनी से कहा था कि जर्मनी की टिप्पणी भारत के मामले में अनुचित हस्तक्षेप है.
ईडी ने केजरीवाल को उत्पाद शुल्क नीति 'घोटाले' से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में गिरफ्तार किया है. यह मामला 2021-22 के लिए दिल्ली सरकार की उत्पाद शुल्क नीति को तैयार करने और क्रियान्वित करने में कथित भ्रष्टाचार और मनी लॉन्ड्रिंग से संबंधित है, जिसे बाद में रद्द कर दिया गया था.