नई दिल्ली: भारत ने सियाचिन की शक्सगाम घाटी में चीन की अवैध निर्माण गतिविधियों और तथ्यों को बदलने के प्रयास पर कड़ी प्रतिक्रिया दी है. भारत ने इसे लेकर चीनी सरकार के समक्ष विरोध दर्ज कराया है. विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने गुरुवार को साप्ताहिक प्रेस ब्रीफिंग में कहा कि शक्सगाम घाटी भारत का क्षेत्र है. भारत ने 1963 के तथाकथित चीन-पाकिस्तान सीमा समझौते को कभी स्वीकार नहीं किया है, जिसके तहत पाकिस्तान ने अवैध रूप से इस क्षेत्र को चीन को सौंपने का प्रयास किया था.
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#WATCH | On Chinese activities near Siachen, MEA spokesperson Randhir Jaiswal says, "We consider Shaksgam Valley to be our territory. We have never accepted the so-called China-Pakistan boundary agreement of 1963 through which Pakistan unlawfully attempted to cede the area to… pic.twitter.com/z8atFy5m2T
— ANI (@ANI) May 2, 2024
उन्होंने कहा कि हमने हमेशा चीन के इस प्रयास को खारिज किया है. हमने जमीनी स्तर पर तथ्यों को बदलने के अवैध प्रयासों के खिलाफ चीनी पक्ष के समक्ष अपना विरोध दर्ज कराया है. भारत के पास अपने हितों की रक्षा के लिए आवश्यक उपाय करने का अधिकार है.
दरअसल, मीडिया रिपोर्ट में दावा किया गया है कि चीन शक्सगाम घाटी में विभिन्न बुनियादी ढांचे और निर्माण गतिविधियों में शामिल है, जो कश्मीर के विवादित क्षेत्र का एक हिस्सा है. यह क्षेत्र वर्तमान में चीन के नियंत्रण में है. वर्ष 1963 में एक सीमा समझौते के तहत पाकिस्तान ने शक्सगाम घाटी को चीन को सौंप दिया था, जिसे चीन-पाकिस्तान समझौते के रूप में जाना जाता है.
चीन विवादित क्षेत्र के विभिन्न हिस्सों में बुनियादी ढांचा परियोजनाओं में निवेश कर रहा है. इन परियोजनाओं में सड़क निर्माण, सैन्य बुनियादी ढांचे का विकास व कनेक्टिविटी में सुधार और क्षेत्र में चीन की उपस्थिति को बढ़ाने के उद्देश्य से अन्य पहल शामिल हो सकती हैं. शक्सगाम घाटी में चीन की निर्माण गतिविधियां क्षेत्र में उसके व्यापक रणनीतिक हितों का हिस्सा बताई जा रही हैं. इसका मकसद चीन द्वारा अपनी सीमाओं को सुरक्षित करना, क्षेत्रीय दावों पर जोर देना और बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (बीआरआई) के माध्यम से आर्थिक विकास को बढ़ावा देना है.
विवादित क्षेत्र शक्सगाम घाटी पर भारत और पाकिस्तान दोनों अपना दावा करते हैं. भारत ने चीन और पाकिस्तान के बीच सीमा समझौते को मान्यता नहीं दी है और इस क्षेत्र को अपना हिस्सा मानता है. क्षेत्र में चीन की कोई भी निर्माण गतिविधि यहां पहले से ही जटिल भू-राजनीतिक स्थिति को और जटिल बना सकती है.
नेपाल की ऑनलाइन पत्रिका 'पर्दाफास' के अनुसार, चीन ने शक्सगाम घाटी में सैन्य बुनियादी ढांचे के निर्माण में निवेश किया है, जो मध्यम अवधि में लद्दाख में भारतीय बलों के लिए सैन्य खतरा पैदा कर सकता है.
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