नई दिल्ली: पाकिस्तान के इस्लामाबाद में आगामी शंघाई सहयोग संगठन (SCO) की बैठक में क्या भारत शामिल होगा. इस तरह के सवालों के बीच इस्लामाबाद में होने वाले एससीओ शासनाध्यक्षों की बैठक में भारत की भागीदारी और पीएम मोदी की जगह विदेश मंत्री डॉ. एस जयशंकर को इस्लामाबाद भेजने के फैसले पर अटकलों के बीच पाकिस्तान में भारत के पूर्व उच्चायुक्त अजय बिसारिया ने ईटीवी भारत से कहा कि, भारत को एससीओ बैठक में भाग लेना चाहिए.
उन्होंने इसके पीछे की वजह बताते हुए कहा कि, एससीओ एक बहुपक्षीय आयोजन है और भारत एससीओ के लिए प्रतिबद्ध है.पिछले साल भारत इसकी अध्यक्षता कर रहा था.
भारत को एससीओ में भाग लेना चाहिए, अजय बिसारिया ने कहा
ईटीवी भारत से खास बातचीत में बिसारिया ने बताया कि, पिछले साल एससीओ विदेश मंत्रियों की बैठक के लिए पाकिस्तान के विदेश मंत्री ने व्यक्तिगत रूप से गोवा का दौरा किया था. उन्होंने कहा कि अगर भारत भाग लेता है, तो निश्चित रूप से प्रधानमंत्री भाग नहीं लेंगे, क्योंकि यह परंपरा रही है. उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री राष्ट्राध्यक्षों के शिखर सम्मेलन में भाग लेते हैं और शासनाध्यक्षों के कार्यक्रम में उपराष्ट्रपति या विदेश मंत्री भाग लेते हैं. बिसारिया ने कहा, "मैं सिफारिश करूंगा कि भारत को मंत्री स्तर पर भाग लेना चाहिए, चाहे वह विदेश मंत्री हों या कोई अन्य मंत्री."
एससीओ की बैठक में भारत शामिल होगा?
उन्होंने आगे कहा कि, अगर कोई उच्चस्तरीय मंत्री एससीओ के लिए पाकिस्तान का दौरा करता है तो यह लोगों को चौंका सकता है. सकारात्मक संबंधों को बढ़ावा देने के लिए, यह ध्यान देने योग्य है कि अगस्त 2016 में SAARC गृह मंत्रियों की बैठक के लिए गृह मंत्री राजनाथ सिंह की इस्लामाबाद यात्रा के बाद से पाकिस्तान में किसी भी बहुपक्षीय बैठक में किसी भारतीय मंत्री की उपस्थिति नहीं हुई है.
पाकिस्तान का दौरा
इसी तरह, विदेश मंत्री की आखिरी यात्रा दिसंबर 2015 में सुषमा स्वराज की थी, उससे पहले उसी महीने के अंत में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी लाहौर गए थे. पठानकोट और उरी कैंप में आतंकी हमलों के बाद, आर्टिकल 370 के खत्म होने के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच संबंध और भी खराब हो गए और तब से भारत ने पाकिस्तान में किसी भी बैठक में भाग लेने से इनकार कर दिया है.
एससीओ शासनाध्यक्ष बैठक की मेजबानी करेगा पाकिस्तान
विदेश कार्यालय की प्रवक्ता मुमताज जहरा बलूच ने इस महीने की शुरुआत में साप्ताहिक प्रेस वार्ता में कहा था कि, पाकिस्तान एससीओ शासनाध्यक्ष परिषद की रोटेटिंग अध्यक्षता करता है और उस क्षमता में, वह 15-16 अक्टूबर को दो दिवसीय व्यक्तिगत एससीओ शासनाध्यक्ष बैठक की मेजबानी करेगा. जिसके लिए सदस्य देशों के नेताओं को पहले ही औपचारिक रूप से आमंत्रित किया जा चुका है.
यह गेंद पूरी तरह से पाकिस्तान के पाले में
बिसारिया ने आगे कहा कि, जब भी भारत पाकिस्तान में कोई प्रतिनिधि भेजता है, तो क्या कोई द्विपक्षीय जुड़ाव होगा, यह गेंद पूरी तरह से पाकिस्तान के पाले में है. भारत ने द्विपक्षीय जुड़ाव के लिए ना नहीं कहा है. यह पाकिस्तान है, जिसने यह विचार किया है कि वह द्विपक्षीय रूप से जुड़ना नहीं चाहेगा. उन्होंने कहा कि, 'गेंद उनके (पाकिस्तान) पाले में है', कि वे कैसे द्विपक्षीय बातचीत को आगे बढ़ा सकते हैं. यदि भारत कोई प्रतिनिधि भेजता है तो इस बहुपक्षीय बातचीत का लाभ उठा सकते हैं.
भारत-पाकिस्तान संबंध
जब बिसारिया से पूछा गया कि, क्या यह भारत-पाकिस्तान संबंधों में आई नरमी का संकेत है. उन्होंने कहा कि, पिछले एक साल से मैं इस बात पर जोर देता रहा हूं कि पाकिस्तान और भारत में चुनावों के बाद संभावित मेल-मिलाप का अवसर था. हालांकि, जम्मू में पाकिस्तान की स्पष्ट संलिप्तता वाली कई आतंकवादी घटनाओं के कारण ऐसा प्रतीत हुआ कि भारत के साथ बातचीत करने को लेकर पाकिस्तान के भीतर सेना और नागरिकों के बीच असहमति थी. उन्होंने आगे कहा कि, आतंकवाद को कायम रखने की सेना की स्पष्ट प्रवृत्ति ने पाकिस्तान पर जिम्मेदारी डाल दी है.
डॉ. शेषाद्रि चारी ने क्या कहा?
इस घटनाक्रम पर टिप्पणी करते हुए विदेश नीति, रणनीति और सुरक्षा मामलों के टिप्पणीकार और चीन अध्ययन केंद्र एवं इंडो-पैसिफिक अध्ययन केंद्र, डीजीआईआर, मणिपाल के अध्यक्ष डॉ. शेषाद्रि चारी ने कहा, "नई दिल्ली इस्लामाबाद में होने वाली आगामी शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) बैठक में भाग लेने का फैसला कर सकती है, जिसके लिए उसे आमंत्रित किया गया है. हालांकि भारत-पाकिस्तान द्विपक्षीय व्यापार और वार्ता निलंबित कर दी गई है, लेकिन एससीओ एक बहुपक्षीय मंच है, इसलिए भारत इसमें भाग ले सकता है.
भारत और पाकिस्तान के संबंधों में क्यों आई खटास?
उन्होंने आगे कहा कि, बेशक इसका मतलब द्विपक्षीय वार्ता फिर से शुरू होना नहीं है. 5 अगस्त, 2019 को भारतीय संसद द्वारा आर्टिकल 370 को समाप्त किए जाने के बाद पाकिस्तान ने भारत के साथ अपने संबंधों को कम कर दिया.
डॉ. शेषाद्रि चारी ने आगे कहा कि, "भारत और पाकिस्तान दोनों को 2017 में एससीओ के सदस्य के रूप में शामिल किया गया था. हालांकि भारत को चीन के जोर देने पर पाकिस्तान के साथ जुड़ने में आपत्ति थी, लेकिन नई दिल्ली ने अंततः सात सदस्यीय संगठन में शामिल होने के प्रस्ताव को स्वीकार कर लिया. बेलारूस के शामिल होने से अब यह दस सदस्यीय संगठन है जो मुख्य रूप से राजनीति, व्यापार, अर्थव्यवस्था और सुरक्षा जैसे क्षेत्रों में सदस्य राज्यों के बीच सहयोग पर ध्यान केंद्रित करता है."
भारत ने 2023 में वर्चुअल मोड पर एससीओ की मेजबानी की
2023 में भारत ने वर्चुअल मोड में आयोजित एससीओ शिखर सम्मेलन की मेजबानी की, जिसमें पाकिस्तान के प्रधान मंत्री शाहबाज शरीफ ने एक वीडियो लिंक के माध्यम से भाग लिया. इस बीच, पाकिस्तान के तत्कालीन विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो जरदारी ने गोवा में एससीओ विदेश मंत्रियों की दो दिवसीय बैठक में भाग लेने के लिए मई 2023 में भारत का दौरा किया, जो लगभग 12 सालों में भारत का दौरा करने वाले पहले पाकिस्तानी विदेश मंत्री थे. इसके अलावा, दोनों ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित किया.
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