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एक देश की वजह से दक्षेस के पुनरुद्धार की संभावना नहीं : भारत

India rules out revival of SAARC: विदेश मंत्री एस जयशंकर ने एक कार्यक्रम में पाकिस्तान का नाम लिए बिना कहा कि दक्षेस (SAARC) संकट में है क्योंकि इसका एक सदस्य देश लगातार आतंकवाद का समर्थन कर रहा है.

India rules out revival of SAARC in view of one countrys toolkit of terrorism (file photo IANS)
एक देश की वजह से दक्षेस के पुनरुद्धार की संभावना नहीं : भारत (फाइल फोटो आईएएनएस)
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By PTI

Published : Mar 3, 2024, 7:07 AM IST

नई दिल्ली: विदेश मंत्री एस जयशंकर ने पाकिस्तान में नयी सरकार के गठन से पहले शनिवार को क्षेत्रीय समूह दक्षिण एशियाई क्षेत्रीय सहयोग संगठन (दक्षेस) के पुनरुद्धार की किसी भी तत्काल संभावना से इनकार कर दिया. जयशंकर ने पाकिस्तान पर आतंकवाद के 'टूलकिट' का विभिन्न तरीकों से दक्षेस के सदस्यों समेत अन्य देशों के खिलाफ इस्तेमाल करने का भी आरोप लगाया.

जयशंकर ने अनंत एस्पेन सेंटर में एक ‘थिंकटैंक’ के संवाद सत्र में सीधे तौर पर पाकिस्तान का नाम लिए बिना कहा कि दक्षेस संकट में है क्योंकि इसका एक सदस्य देश लगातार आतंकवाद का समर्थन कर रहा है. विदेश मंत्री ने कहा,'यदि आप मुझसे पूछते हैं कि क्या मैं दक्षेस के लिए कोई भविष्य देखता हूं, तो वास्तव में आप मुझसे पूछ रहे हैं कि क्या मैं उस देश के लिए कोई भविष्य देखता हूं.

क्योंकि अगर वह देश वास्तव में अपने शस्त्रागार या टूलकिट में इस प्रकार के विकल्पों को नहीं छोड़ता है, तो यह सिर्फ दक्षेस नहीं है जो खतरे में है. मेरा मतलब है, बहुत स्पष्ट रूप से, आप उस देश की स्थिति को भी देख रहे हैं.' यह पूछे जाने पर कि क्या भारत को उसके पड़ोसी देश दबंग मानते हैं, जयशंकर ने कहा, ' जब पड़ोसी देश मुसीबत में होते हैं तो दबदबा बनाने वाला बड़ा देश 4.5 अरब अमेरिकी डॉलर नहीं देता है.

जब कोविड (महामारी) चल रही थी, तब दबदबा बनाने वाले बड़े देशों ने अन्य देशों को टीके की आपूर्ति नहीं की और भोजन की मांग, ईंधन की मांग, उर्वरक की आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए अपने स्वयं के नियमों में अपवाद बना दिया क्योंकि दुनिया के किसी अन्य हिस्से में युद्ध ने उनके जीवन को जटिल बना दिया था.' विदेश मंत्री ने कहा कि दक्षेस संकट में है क्योंकि इसका एक सदस्य आतंकवाद का समर्थन कर रहा है.

दक्षेस दक्षिण एशियाई देशों का एक संगठन है जिसमें भारत, अफगानिस्तान, बांग्लादेश, भूटान, मालदीव, नेपाल, पाकिस्तान और श्रीलंका शामिल हैं. उन्होंने कहा, 'बहुत ईमानदारी से, पड़ोस में हमारी समस्या, एक देश के साथ है. कूटनीति में, आप हमेशा उम्मीदें बनाए रखते हैं. एक दिन कौन जानता है कि भविष्य में क्या होगा.'

एस जयशंकर ने शनिवार को कृत्रिम बुद्धिमत्ता और डीपफेक जैसी नयी तकनीकों से राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा पैदा होने वाले खतरों के प्रति आगाह किया और कहा कि साइबर डोमेन के माध्यम से विदेशी हस्तक्षेप के प्रयास बढ़ रहे हैं. जयशंकर ने कहा कि साइबर डोमेन से निकलने वाले खतरों से सावधान रहने की जरूरत है.

उन्होंने कहा, 'जब हम सुरक्षा के बारे में सोचते हैं, तो यह केवल सीमाओं की रक्षा नहीं है, यह अकेले आतंकवाद का मुकाबला नहीं है. बल्कि दैनिक दिनचर्या है, जो आज हेरफेर के लिए अतिसंवेदनशील है और यह बढ़ रही है.' जयशंकर ने कहा, 'मैं स्पष्ट रूप से कहूंगा कि आज इस देश में कई मायनों में विदेशी हस्तक्षेप बढ़ रहा है. सामान्य व्यक्ति के लिए यह समझना महत्वपूर्ण है कि दुनिया कैसे बदल रही है क्योंकि यह एआई (कृत्रिम बुद्धिमत्ता) और डीपफेक का युग है.'

ये भी पढ़ें- क्वाड इस बात की अभिव्यक्ति है कि हमारी पसंद पर कोई और 'वीटो' नहीं कर सकता: जयशंकर

नई दिल्ली: विदेश मंत्री एस जयशंकर ने पाकिस्तान में नयी सरकार के गठन से पहले शनिवार को क्षेत्रीय समूह दक्षिण एशियाई क्षेत्रीय सहयोग संगठन (दक्षेस) के पुनरुद्धार की किसी भी तत्काल संभावना से इनकार कर दिया. जयशंकर ने पाकिस्तान पर आतंकवाद के 'टूलकिट' का विभिन्न तरीकों से दक्षेस के सदस्यों समेत अन्य देशों के खिलाफ इस्तेमाल करने का भी आरोप लगाया.

जयशंकर ने अनंत एस्पेन सेंटर में एक ‘थिंकटैंक’ के संवाद सत्र में सीधे तौर पर पाकिस्तान का नाम लिए बिना कहा कि दक्षेस संकट में है क्योंकि इसका एक सदस्य देश लगातार आतंकवाद का समर्थन कर रहा है. विदेश मंत्री ने कहा,'यदि आप मुझसे पूछते हैं कि क्या मैं दक्षेस के लिए कोई भविष्य देखता हूं, तो वास्तव में आप मुझसे पूछ रहे हैं कि क्या मैं उस देश के लिए कोई भविष्य देखता हूं.

क्योंकि अगर वह देश वास्तव में अपने शस्त्रागार या टूलकिट में इस प्रकार के विकल्पों को नहीं छोड़ता है, तो यह सिर्फ दक्षेस नहीं है जो खतरे में है. मेरा मतलब है, बहुत स्पष्ट रूप से, आप उस देश की स्थिति को भी देख रहे हैं.' यह पूछे जाने पर कि क्या भारत को उसके पड़ोसी देश दबंग मानते हैं, जयशंकर ने कहा, ' जब पड़ोसी देश मुसीबत में होते हैं तो दबदबा बनाने वाला बड़ा देश 4.5 अरब अमेरिकी डॉलर नहीं देता है.

जब कोविड (महामारी) चल रही थी, तब दबदबा बनाने वाले बड़े देशों ने अन्य देशों को टीके की आपूर्ति नहीं की और भोजन की मांग, ईंधन की मांग, उर्वरक की आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए अपने स्वयं के नियमों में अपवाद बना दिया क्योंकि दुनिया के किसी अन्य हिस्से में युद्ध ने उनके जीवन को जटिल बना दिया था.' विदेश मंत्री ने कहा कि दक्षेस संकट में है क्योंकि इसका एक सदस्य आतंकवाद का समर्थन कर रहा है.

दक्षेस दक्षिण एशियाई देशों का एक संगठन है जिसमें भारत, अफगानिस्तान, बांग्लादेश, भूटान, मालदीव, नेपाल, पाकिस्तान और श्रीलंका शामिल हैं. उन्होंने कहा, 'बहुत ईमानदारी से, पड़ोस में हमारी समस्या, एक देश के साथ है. कूटनीति में, आप हमेशा उम्मीदें बनाए रखते हैं. एक दिन कौन जानता है कि भविष्य में क्या होगा.'

एस जयशंकर ने शनिवार को कृत्रिम बुद्धिमत्ता और डीपफेक जैसी नयी तकनीकों से राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा पैदा होने वाले खतरों के प्रति आगाह किया और कहा कि साइबर डोमेन के माध्यम से विदेशी हस्तक्षेप के प्रयास बढ़ रहे हैं. जयशंकर ने कहा कि साइबर डोमेन से निकलने वाले खतरों से सावधान रहने की जरूरत है.

उन्होंने कहा, 'जब हम सुरक्षा के बारे में सोचते हैं, तो यह केवल सीमाओं की रक्षा नहीं है, यह अकेले आतंकवाद का मुकाबला नहीं है. बल्कि दैनिक दिनचर्या है, जो आज हेरफेर के लिए अतिसंवेदनशील है और यह बढ़ रही है.' जयशंकर ने कहा, 'मैं स्पष्ट रूप से कहूंगा कि आज इस देश में कई मायनों में विदेशी हस्तक्षेप बढ़ रहा है. सामान्य व्यक्ति के लिए यह समझना महत्वपूर्ण है कि दुनिया कैसे बदल रही है क्योंकि यह एआई (कृत्रिम बुद्धिमत्ता) और डीपफेक का युग है.'

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