नई दिल्ली: भारत ने अंतर्राष्ट्रीय धार्मिक स्वतंत्रता पर अमेरिकी विदेश विभाग की 2023 की रिपोर्ट को 'गहरा पक्षपातपूर्ण' और भारत की सामाजिक गतिशीलता की समझ की कमी बताते हुए स्पष्ट रूप से खारिज कर दिया है. विदेश मंत्रालय (एमईए) ने रिपोर्ट की निंदा करते हुए आरोप लगाया कि यह 'वोट बैंक के विचारों' से प्रेरित है और एक निर्देशात्मक दृष्टिकोण बनाए रखता है.
विदेश मंत्रालय के आधिकारिक प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने शुक्रवार को साप्ताहिक ब्रीफिंग को संबोधित करते हुए कहा कि 'हमने अमेरिकी विदेश विभाग द्वारा 2023 के लिए अंतरराष्ट्रीय धार्मिक स्वतंत्रता पर अपनी रिपोर्ट जारी किए जाने पर गौर किया है. जैसा कि पहले भी हुआ है, रिपोर्ट में बहुत पक्षपात है, इसमें भारत के सामाजिक ताने-बाने की समझ का अभाव है, और यह स्पष्ट रूप से वोटबैंक के विचारों और एक निर्देशात्मक दृष्टिकोण से प्रेरित है. इसलिए हम इसे अस्वीकार करते हैं.'
#WATCH | On US State Department's 2023 religious freedom report on India, MEA Spokesperson Randhir Jaiswal says, " we have noted the release by the us state department of its report on international religious freedom for 2023. as in the past, the report is deeply biased, lacks an… pic.twitter.com/SvW6SUwft3
— ANI (@ANI) June 28, 2024
जायसवाल ने रिपोर्ट की आलोचना करते हुए कहा कि इसमें तथ्यों का चयनात्मक उपयोग किया गया है और पक्षपातपूर्ण स्रोतों पर भरोसा किया गया है. उन्होंने कहा कि 'यह रिपोर्ट अपने आप में आरोप-प्रत्यारोप, गलत बयानी, तथ्यों का चयनात्मक उपयोग, पक्षपातपूर्ण स्रोतों पर भरोसा और मुद्दों का एकतरफा प्रक्षेपण का मिश्रण है.'
उन्होंने कहा कि रिपोर्ट भारतीय कानूनों और विनियमों की वैधता पर सवाल उठाती है, जिसमें वित्तीय प्रवाह की निगरानी और अनुपालन सुनिश्चित करने के उद्देश्य से बनाए गए कानून भी शामिल हैं, जिन्हें भारत राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए आवश्यक मानता है. जायसवाल ने आगे कहा कि 'यह हमारे संवैधानिक प्रावधानों और भारत के विधिवत अधिनियमित कानूनों के चित्रण तक भी फैला हुआ है.'
उन्होंने कहा कि 'इसने पूर्वकल्पित कथा को आगे बढ़ाने के लिए चुनिंदा घटनाओं को भी चुना है. कुछ मामलों में, रिपोर्ट द्वारा कानूनों और विनियमों की वैधता पर सवाल उठाया गया है, साथ ही उन्हें लागू करने के लिए विधायिकाओं के अधिकार पर भी सवाल उठाया गया है. रिपोर्ट भारतीय न्यायालयों द्वारा दिए गए कुछ कानूनी निर्णयों की सत्यनिष्ठा को भी चुनौती देती प्रतीत होती है.'
उन्होंने कहा कि 'रिपोर्ट में भारत में वित्तीय प्रवाह के दुरुपयोग की निगरानी करने वाले विनियमनों पर भी निशाना साधा गया है, जिसमें सुझाव दिया गया है कि अनुपालन का बोझ अनुचित है. इसमें ऐसे उपायों की आवश्यकता पर सवाल उठाने की कोशिश की गई है.' भारत ने यह भी रेखांकित किया कि मानवाधिकार और विविधता दोनों देशों के बीच वैध चर्चा के विषय बने हुए हैं.