हैदराबाद : भारत और फिलीपींस की करीबी से चीन को मिर्ची लग रही है. मार्च में भारत ने फिलीपींस की संप्रुभता के समर्थन में खुलकर बयान दिया था, जिसके बाद चीन ने आपत्ति जताई थी. अब भारत ने ड्रैगन को एक और झटका दिया है. भारत ने फिलीपींस को घातक ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल दी है. भारतीय वायुसेना का सी-17 मालवाहक विमान शुक्रवार को फिलीपींस के कलार्क एयरबेस पर पहुंचा. भारत ने घातक मिसाइल की खेप ऐसे समय दी है जब चीन का दक्षिण चीन सागर मुद्दे को लेकर फिलीपींस से तनाव चल रहा है.
2022 में हुई थी डील : भारत और फिलीपींस के बीच 2022 में करीब 37.5 करोड़ अमेरिकी डॉलर की डील हुई थी. डिफेंस एक्सपर्ट्स का मानना है कि भारत के साथ फिलीपींस का ये प्रमुख अंतरराष्ट्रीय निर्यात ऑर्डर था.
लैंड अटैक ब्रह्मोस मिसाइलें दी गईं : 290 किमी की रेंज वाली ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल के साथ ग्राउंड सिस्टम का निर्यात बीते महीने से ही शुरू हो गया था. ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल भारत में डीआरडीओ और रूस के एनपीओ मशिनोस्ट्रोयेनिया मिलकर बना रही हैं. ब्रह्मोस उन गिनी-चुनी सुपरसोनिक क्रूज मिसाइलों में है, जिसे कहीं से भी दागा जा सकता है.
फिलीपींस को फिलहाल लैंड अटैक ब्रह्मोस मिसाइलें दी गई हैं. ब्रह्मोस मिसाइल सिस्टम को दुनिया के सबसे सफल मिसाइल कार्यक्रमों में से एक कहा जाता है. वैश्विक स्तर पर सबसे अग्रणी और सबसे तेज सटीक-गाइडेड हथियार के रूप में मान्यता प्राप्त ब्रह्मोस ने भारत की क्षमताओं को बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है.
ध्वनि की गति से 3 गुना तेज है ये मिसाइल : ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल में दो चरणों वाला ठोस प्रणोदक बूस्टर इंजन लगा है जो इसे सुपरसोनिक गति प्रदान करता है. दूसरा चरण तरल रैमजेट इंजन है जो क्रूज चरण में इसे मैक 3 (ध्वनि की गति से 3 गुना) गति के करीब ले जाता है. इसे हवा, जमीन और समुद्री प्लेटफार्मों से लॉन्च किया जा सकता है. मिसाइल 'दागो और भूल जाओ सिद्धांत' पर काम करती है, जिसका अर्थ है कि लॉन्च के बाद इसे आगे मार्गदर्शन की आवश्यकता नहीं होती है और यह पूरी उड़ान के दौरान हाई सुपरसोनिक बनाए रखती है. कहा जाता है कि मिसाइल में कम रडार सिग्नेचर है.
जयशंकर ने ये कहा था : गौरतलब है कि बीते महीने विदेश मंत्री एस जयशंकर ने फिलीपींस के विदेश मंत्री एनरिक मनालो के साथ संयुक्त प्रेस बयान दिया था. जयशंकर ने कहा था कि 'मैं फिलीपींस की राष्ट्रीय संप्रभुता को बनाए रखने के लिए भारत के समर्थन को दृढ़ता से दोहराता हूं.' जयशंकर के बयान से चीन को मिर्ची लगी थी. चीन ने कहा था कि तीसरे पक्ष को किसी भी तरह के दखल का कोई अधिकार नहीं है.