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भारत प्रशांत क्षेत्र के भागीदारों के साथ सहयोग बढ़ाने के लिए प्रतिबद्ध है: जयशंकर - India Pacific Islands Cooperation

S Jaishankar On Marshall Islands: मार्शल द्वीप समूह गणराज्य में चार सामुदायिक विकास परियोजनाओं के कार्यान्वयन के लिए समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर के बाद विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर ने सभा को संबोधित किया.

S Jaishankar On Marshall Islands
विदेश मंत्री एस जयशंकर. (ANI)
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By ANI

Published : Jul 15, 2024, 12:58 PM IST

नई दिल्ली: विदेश मंत्री एस जयशंकर ने मार्शल द्वीप समूह में चार सामुदायिक विकास परियोजनाओं को वित्तपोषित करने के लिए एक समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर हस्ताक्षर समारोह के दौरान एकजुटता और सहयोग का संदेश दिया.

जयशंकर ने कहा कि देवियों और सज्जनों, भारत की ओर से नमस्कार. उन्होंने आगे कहा कि मार्शल द्वीप समूह गणराज्य में चार सामुदायिक विकास परियोजनाओं के कार्यान्वयन के लिए वार्षिक अनुदान सहायता पर समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर के अवसर पर यह संदेश देना मेरे लिए खुशी की बात है.

मार्शल द्वीप समूह की हालिया सफलताओं को स्वीकार करते हुए, जयशंकर ने 10वें माइक्रोनेशियन खेलों की मेजबानी और 10वें अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस समारोह में उनकी भागीदारी के लिए बधाई दी. उन्होंने कहा कि हमने पिछले महीने 10वां अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस मनाया. मैं माजुरो में आयोजित समारोह की अध्यक्षता करने के लिए महामहिम, राष्ट्रपति डॉक्टर हिल्डा हैन को धन्यवाद देता हूं.

भारत और मार्शल द्वीप समूह के बीच लंबे समय से चले आ रहे संबंधों पर विचार करते हुए, जयशंकर ने भारत प्रशांत द्वीप समूह सहयोग मंच (FIPIC) के तहत द्विपक्षीय संबंधों के विस्तार पर प्रकाश डाला. उन्होंने कहा कि भारत और मार्शल द्वीप समूह के बीच मैत्रीपूर्ण द्विपक्षीय संबंधों का एक लंबा इतिहास है, जो पिछले कुछ वर्षों में भारत प्रशांत द्वीप समूह सहयोग मंच (FIPIC) के तत्वावधान में भी विस्तारित हुआ है.

इसके बाद उन्होंने तीसरे FIPIC शिखर सम्मेलन के दौरान प्रशांत द्वीप समूह के प्रति प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की प्रतिबद्धता को याद किया. जयशंकर ने कहा कि प्रशांत क्षेत्र के द्वीप छोटे द्वीप नहीं हैं, बल्कि बड़े महासागरीय देश हैं. हम सतत विकास की खोज में प्रशांत द्वीप समूह का समर्थन करना अपनी जिम्मेदारी समझते हैं.

प्रशांत द्वीप देशों के सामने आने वाली चुनौतियों के बारे में बोलते हुए, जयशंकर ने जलवायु परिवर्तन, प्राकृतिक आपदाओं, गरीबी उन्मूलन और स्वास्थ्य सेवा जैसे आम मुद्दों को संबोधित करने के लिए भारत की प्रतिबद्धता पर जोर दिया. उन्होंने कहा कि जलवायु परिवर्तन, प्राकृतिक आपदाएं, गरीबी उन्मूलन और स्वास्थ्य सेवा आम चुनौतियां हैं, जिनका हमें मिलकर समाधान करना चाहिए और भारत को इस संबंध में प्रशांत द्वीप समूह का भागीदार होने का सौभाग्य प्राप्त है.

जयशंकर ने कहा कि तीसरे FIPIC शिखर सम्मेलन में, प्रधानमंत्री मोदी ने प्रशांत द्वीपों के लिए हमारी ठोस प्रतिबद्धताओं की घोषणा की. मुझे उन्हें प्राप्त करने में प्रगति देखकर खुशी हो रही है. उन्होंने इन प्रतिबद्धताओं को पूरा करने के लिए भारत के चल रहे प्रयासों का संकेत दिया. उस दिन हस्ताक्षरित समझौता ज्ञापन की बारीकियों की ओर मुड़ते हुए, जयशंकर ने मार्शल द्वीप समूह में सामुदायिक विकास को आगे बढ़ाने में इसके महत्व को रेखांकित किया.

उन्होंने कहा कि हम मार्शल द्वीप गणराज्य के लिए विलवणीकरण इकाइयों और डायलिसिस मशीनों के प्रस्तावों पर भी काम कर रहे हैं. हमारा मानना है कि आज का समझौता ज्ञापन चार सामुदायिक विकास परियोजनाओं के कार्यान्वयन को सक्षम करेगा.

उन्होंने परियोजनाओं के संभावित लाभों पर प्रकाश डालते हुए कहा कि ये निश्चित रूप से मार्शल द्वीप के लोगों को बेहतर बुनियादी ढांचा प्रदान करेंगे. जयशंकर ने प्रशांत द्वीप देशों के साथ अपने सहयोग में भारत की प्राथमिकताओं को रेखांकित किया, जिसमें स्वास्थ्य सेवा, बुनियादी ढांचा विकास, नवीकरणीय ऊर्जा और क्षमता निर्माण जैसे क्षेत्रों पर जोर दिया गया.

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नई दिल्ली: विदेश मंत्री एस जयशंकर ने मार्शल द्वीप समूह में चार सामुदायिक विकास परियोजनाओं को वित्तपोषित करने के लिए एक समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर हस्ताक्षर समारोह के दौरान एकजुटता और सहयोग का संदेश दिया.

जयशंकर ने कहा कि देवियों और सज्जनों, भारत की ओर से नमस्कार. उन्होंने आगे कहा कि मार्शल द्वीप समूह गणराज्य में चार सामुदायिक विकास परियोजनाओं के कार्यान्वयन के लिए वार्षिक अनुदान सहायता पर समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर के अवसर पर यह संदेश देना मेरे लिए खुशी की बात है.

मार्शल द्वीप समूह की हालिया सफलताओं को स्वीकार करते हुए, जयशंकर ने 10वें माइक्रोनेशियन खेलों की मेजबानी और 10वें अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस समारोह में उनकी भागीदारी के लिए बधाई दी. उन्होंने कहा कि हमने पिछले महीने 10वां अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस मनाया. मैं माजुरो में आयोजित समारोह की अध्यक्षता करने के लिए महामहिम, राष्ट्रपति डॉक्टर हिल्डा हैन को धन्यवाद देता हूं.

भारत और मार्शल द्वीप समूह के बीच लंबे समय से चले आ रहे संबंधों पर विचार करते हुए, जयशंकर ने भारत प्रशांत द्वीप समूह सहयोग मंच (FIPIC) के तहत द्विपक्षीय संबंधों के विस्तार पर प्रकाश डाला. उन्होंने कहा कि भारत और मार्शल द्वीप समूह के बीच मैत्रीपूर्ण द्विपक्षीय संबंधों का एक लंबा इतिहास है, जो पिछले कुछ वर्षों में भारत प्रशांत द्वीप समूह सहयोग मंच (FIPIC) के तत्वावधान में भी विस्तारित हुआ है.

इसके बाद उन्होंने तीसरे FIPIC शिखर सम्मेलन के दौरान प्रशांत द्वीप समूह के प्रति प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की प्रतिबद्धता को याद किया. जयशंकर ने कहा कि प्रशांत क्षेत्र के द्वीप छोटे द्वीप नहीं हैं, बल्कि बड़े महासागरीय देश हैं. हम सतत विकास की खोज में प्रशांत द्वीप समूह का समर्थन करना अपनी जिम्मेदारी समझते हैं.

प्रशांत द्वीप देशों के सामने आने वाली चुनौतियों के बारे में बोलते हुए, जयशंकर ने जलवायु परिवर्तन, प्राकृतिक आपदाओं, गरीबी उन्मूलन और स्वास्थ्य सेवा जैसे आम मुद्दों को संबोधित करने के लिए भारत की प्रतिबद्धता पर जोर दिया. उन्होंने कहा कि जलवायु परिवर्तन, प्राकृतिक आपदाएं, गरीबी उन्मूलन और स्वास्थ्य सेवा आम चुनौतियां हैं, जिनका हमें मिलकर समाधान करना चाहिए और भारत को इस संबंध में प्रशांत द्वीप समूह का भागीदार होने का सौभाग्य प्राप्त है.

जयशंकर ने कहा कि तीसरे FIPIC शिखर सम्मेलन में, प्रधानमंत्री मोदी ने प्रशांत द्वीपों के लिए हमारी ठोस प्रतिबद्धताओं की घोषणा की. मुझे उन्हें प्राप्त करने में प्रगति देखकर खुशी हो रही है. उन्होंने इन प्रतिबद्धताओं को पूरा करने के लिए भारत के चल रहे प्रयासों का संकेत दिया. उस दिन हस्ताक्षरित समझौता ज्ञापन की बारीकियों की ओर मुड़ते हुए, जयशंकर ने मार्शल द्वीप समूह में सामुदायिक विकास को आगे बढ़ाने में इसके महत्व को रेखांकित किया.

उन्होंने कहा कि हम मार्शल द्वीप गणराज्य के लिए विलवणीकरण इकाइयों और डायलिसिस मशीनों के प्रस्तावों पर भी काम कर रहे हैं. हमारा मानना है कि आज का समझौता ज्ञापन चार सामुदायिक विकास परियोजनाओं के कार्यान्वयन को सक्षम करेगा.

उन्होंने परियोजनाओं के संभावित लाभों पर प्रकाश डालते हुए कहा कि ये निश्चित रूप से मार्शल द्वीप के लोगों को बेहतर बुनियादी ढांचा प्रदान करेंगे. जयशंकर ने प्रशांत द्वीप देशों के साथ अपने सहयोग में भारत की प्राथमिकताओं को रेखांकित किया, जिसमें स्वास्थ्य सेवा, बुनियादी ढांचा विकास, नवीकरणीय ऊर्जा और क्षमता निर्माण जैसे क्षेत्रों पर जोर दिया गया.

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