नई दिल्ली: 24 जून से 3 जुलाई तक चले 18वीं लोकसभा के पहले सत्र में नवनिर्वाचित सदस्यों को शपथ दिलाई गई, अध्यक्ष का चुनाव किया गया, राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने राज्यसभा और लोकसभा की संयुक्त बैठक को संबोधित किया और इसके लिए उन्हें धन्यवाद प्रस्ताव भी लाया गया. पहले सत्र के दौरान विपक्ष लोकसभा में आक्रामक दिखाई दिया था.
कांग्रेस के सूत्रों के अनुसार, सत्तारूढ़ एनडीए ने 22 जुलाई से शुरू होने वाले सत्र से पहले ही राज्यसभा में अपना बहुमत खो दिया है. 245 सदस्यों वाले सदन में बहुमत के लिए 113 सदस्यों की आवश्यकता है, जबकि उसके पास केवल 101 सदस्य ही बचे हैं. वर्तमान में संसद के ऊपरी सदन में 225 निर्वाचित सदस्य हैं.
इसमें विपक्षी दल इंडिया ब्लॉक के 87 सदस्य हैं, जिनमें कांग्रेस के 26, टीएमसी के 13, डीएमके के 10 और आप के 10, आरजेडी के 5, एसपी के 4, सीपीआई-एम के 4, सीपीआई के 1, जेएमएम के 4, एनसीपी-एसपी के 2, शिवसेना यूबीटी के 2 और आईयूएमएल के 2 सदस्य शामिल हैं.
इसका मतलब यह है कि सत्तारूढ़ एनडीए कई अन्य दलों पर निर्भर रहेगा. एनडीए को राज्यसभा में जिन दलों के समर्थन की जरूरत होगी. उनमें YRSCP, AIADMK , बीआरएस और बीजेडी शामिल हैं. बीजेडी, जो ओडिशा में मुख्य विपक्षी दल बन गया है, जहां बीजेपी ने हाल ही में सरकार बनाई है. पार्टी ने पहले ही घोषणा कर दी है कि वह उच्च सदन में एनडीए का विरोध करेगी. साथ ही इससे विपक्ष को भी पंख मिल गए हैं.
'BJP को आक्रामक विपक्ष का सामना करना पड़ेगा'
इस संबंध में कांग्रेस नेता और राज्यसभा सदस्य शक्तिसिंह गोहिल ने ईटीवी भारत से कहा, "राज्यसभा केवल केंद्रीय बजट पर चर्चा करती है और उस पर मतदान नहीं करती है. निश्चित रूप से एनडीए के पास उच्च सदन में बहुमत नहीं है और उसे विभिन्न मुद्दों पर एकजुट और आक्रामक विपक्ष का सामना करना पड़ेगा. जब बीजेपी के लिए मुश्किलें होंगी, तो उसके पूर्व सहयोगी भी उसे अपनी ताकत दिखा सकते हैं. पिछले वर्षों में बीजेपी ने अपने क्षेत्रीय सहयोगियों के साथ बुरा व्यवहार किया और वे अब भगवा पार्टी को उसी तरह से जवाब दे सकते हैं."
बेरोजगारी और महंगाई पर सरकार को घेरेगा विपक्ष
वहीं, लोकसभा में कांग्रेस के उपनेता गौरव गोगोई ने ईटीवी भारत से कहा, "हम बेरोजगारी और महंगाई जैसे मुद्दों पर सरकार की जवाबदेही की मांग करते रहेंगे. बारिश के मौसम में आवश्यक वस्तुओं की कीमतों में बढ़ोतरी देखी गई है और इसका घरेलू बजट पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है. मेरे गृह राज्य असम सहित कई राज्य बाढ़ से प्रभावित हैं, लेकिन सरकार की ओर से कोई पर्याप्त राहत पैकेज नहीं दिया गया है. हम पूरे पूर्वोत्तर क्षेत्र पर अधिक ध्यान केंद्रित करना चाहेंगे"
उन्होंने कहा कि हाल ही में कांग्रेस के महासचिव जयराम रमेश ने बताया था कि इंडिविजुअल, कंपनियों की तुलना में अधिक टैक्स का भुगतान कर रहे हैं और सरकारी आंकड़ों से पता चलता है कि 2029 में शुरू की गई कॉर्पोरेट कर कटौती ने अरबपतियों की जेब में 2 लाख करोड़ रुपये डाल दिए हैं, जबकि मध्यम वर्ग भारी कराधान का बोझ उठा रहा है.