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'एक राष्ट्र एक चुनाव' : I.N.D.I.A ब्लॉक ने की केंद्र की आलोचना, इसे अव्यवहारिक और राजनीतिक नौटंकी बताया - one nation one poll idea

INDIA bloc slams Centre over one nation one poll idea :'एक राष्ट्र, एक चुनाव' को लेकर कांग्रेस, शिवसेना (यूबीटी) और सीपीआई ने सरकार की आलोचना की है. सभी ने इसे अव्यवहारिक बताया है. ईटीवी भारत के वरिष्ठ संवाददाता अमित अग्निहोत्री की रिपोर्ट.

one nation one poll
पूर्रा राष्ट्रपति कोविंद ने सौंपी रिपोर्ट
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By ETV Bharat Hindi Team

Published : Mar 14, 2024, 4:12 PM IST

नई दिल्ली : कांग्रेस, शिवसेना यूबीटी और सीपीआई ने गुरुवार को 'एक राष्ट्र, एक चुनाव' के विचार को आगे बढ़ाने के लिए केंद्र की आलोचना करते हुए कहा कि यह प्रस्ताव 'अव्यवहारिक' है और लोकसभा चुनाव से पहले भाजपा द्वारा एक 'राजनीतिक नौटंकी' है.

सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ वकील और वरिष्ठ कांग्रेस नेता विवेक तन्खा ने ईटीवी भारत से कहा कि 'यह सिर्फ विचार के स्तर पर ही अच्छा है. इसे वेस्टमिंस्टर मॉडल पर आधारित संसदीय लोकतंत्र की वर्तमान प्रणाली के तहत लागू नहीं किया जा सकता है. उन्हें संविधान में संशोधन करने की आवश्यकता है जिसके लिए संसद के दोनों सदनों में दो तिहाई बहुमत की आवश्यकता होगी.'

उन्होंने कहा कि 'यह लोकसभा चुनाव से पहले सिर्फ एक राजनीतिक नौटंकी है. पीएम को ऐसे नारे पसंद हैं.' कांग्रेस नेता की टिप्पणी पूर्व राष्ट्रपति आरएन कोविंद की अध्यक्षता वाले वन नेशन, वन इलेक्शन पैनल द्वारा राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को अपनी रिपोर्ट सौंपने के बाद आई है.

तन्खा ने कहा कि 'इस पैनल के सभी सदस्य इस विचार के प्रति सहानुभूति रखते थे. इसलिए उन्हें इसका समर्थन करना पड़ा.' कांग्रेस नेता ने देश में लोकसभा, विधानसभा और नगर पालिका चुनावों को एक नियत तिथि पर कराने के पैनल के प्रस्ताव पर सवाल उठाया.

तन्खा ने कहा कि 'अगर वे किसी तरह संविधान को बदलकर इसे हासिल भी कर लें, तो क्या वे गारंटी दे सकते हैं कि अगला चुनाव भी वैसा ही होगा? अतीत में, राजनीतिक आकस्मिकताओं के कारण आकस्मिक चुनाव होते रहे हैं और विधानसभाएं भी मध्यावधि में भंग कर दी गई हैं. अगर भविष्य में ऐसी ही स्थिति आ गई तो क्या होगा.'

पैनल की रिपोर्ट के मुताबिक कुल 47 राजनीतिक दलों ने इस पर प्रतिक्रिया दी थी. इनमें से 32 ने प्रस्ताव का समर्थन किया जबकि 15 ने इस चिंता के साथ इसका विरोध किया कि एक राष्ट्र एक चुनाव का विचार संविधान की मूल संरचना का उल्लंघन कर सकता है, लोकतंत्र विरोधी है, संघीय विरोधी है, क्षेत्रीय दलों को हाशिये पर धकेल देगा, राष्ट्रीय दलों के प्रभुत्व को बढ़ावा देगा और राष्ट्रपति शासन प्रणाली को बढ़ावा मिलेगा.

शिवसेना यूबीटी ने ये कहा : तन्खा ने कहा कि 'यहां तक ​​कि राष्ट्रपति शासन प्रणाली बनाने के लिए भी उन्हें संविधान में संशोधन करना होगा.' राज्यसभा सांसद और वरिष्ठ शिव सेना यूबीटी नेता प्रियंका चतुर्वेदी के अनुसार, एक राष्ट्र एक चुनाव का विचार भारतीय राजनीतिक व्यवस्था की जमीनी हकीकत पर विचार नहीं करता है.

प्रियंका चतुवेर्दी ने कहा कि 'वे बस एक विचार के बारे में सोचते हैं, एक समिति नियुक्त करते हैं और उसके कार्यान्वयन भाग पर ध्यान दिए बिना एक रिपोर्ट लेकर आते हैं. 'एक राष्ट्र एक चुनाव' का विचार अच्छा लग सकता है लेकिन व्यावहारिक नहीं है. उदाहरण के लिए, आप उन विधानसभाओं को कैसे मनाएंगे जो हाल ही में भंग हो गई हैं और अपना शेष कार्यकाल पूरा किए बिना फिर से चुनाव कराने के लिए तैयार हैं?'

उन्होंने कहा कि 'फिर इतने बड़े पैमाने पर मतदान कराने के लिए पर्याप्त संख्या में ईवीएम रखने और इसके लिए आवश्यक सहायक कर्मचारियों और सुरक्षा प्रतिष्ठानों की व्यवस्था, लॉजिस्टिक्स का मुद्दा है. हम चुनावों में पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए लंबे समय से वीवीपैट पर्चियों का ईवीएम नतीजों से मिलान की मांग कर रहे हैं लेकिन चुनाव आयोग ने अब तक कोई जवाब नहीं दिया है. वे एक राष्ट्र, एक चुनाव कैसे लागू करेंगे.'

शिवसेना यूबीटी नेता ने महिला आरक्षण कानून के मुद्दे पर केंद्र और भाजपा की आलोचना की, जो महिलाओं को लोकसभा और राज्य विधानसभाओं में 33 प्रतिशत आरक्षण देता है, लेकिन संसदीय सीटों के परिसीमन और ताजा जनगणना के बाद.

चतुर्वेदी ने कहा कि यदि आप एक राष्ट्र, एक चुनाव को लेकर इतने उत्साहित हैं, तो आप इस लोकसभा चुनाव में महिला आरक्षण विधेयक को लागू करने में भी इतनी ही तत्परता दिखा सकते थे. लेकिन ऐसा नहीं हुआ क्योंकि यह असुविधाजनक था.'

सीपीआई ने दी प्रतिक्रिया : सीपीआई नेता डी राजा ने कहा, 'हम इस विचार के खिलाफ हैं क्योंकि बहुदलीय लोकतंत्र और इतनी विविधता वाले देश में यह संविधान के अनुरूप नहीं है. इसके बजाय, सरकार को व्यापक चुनाव सुधारों पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए.'

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नई दिल्ली : कांग्रेस, शिवसेना यूबीटी और सीपीआई ने गुरुवार को 'एक राष्ट्र, एक चुनाव' के विचार को आगे बढ़ाने के लिए केंद्र की आलोचना करते हुए कहा कि यह प्रस्ताव 'अव्यवहारिक' है और लोकसभा चुनाव से पहले भाजपा द्वारा एक 'राजनीतिक नौटंकी' है.

सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ वकील और वरिष्ठ कांग्रेस नेता विवेक तन्खा ने ईटीवी भारत से कहा कि 'यह सिर्फ विचार के स्तर पर ही अच्छा है. इसे वेस्टमिंस्टर मॉडल पर आधारित संसदीय लोकतंत्र की वर्तमान प्रणाली के तहत लागू नहीं किया जा सकता है. उन्हें संविधान में संशोधन करने की आवश्यकता है जिसके लिए संसद के दोनों सदनों में दो तिहाई बहुमत की आवश्यकता होगी.'

उन्होंने कहा कि 'यह लोकसभा चुनाव से पहले सिर्फ एक राजनीतिक नौटंकी है. पीएम को ऐसे नारे पसंद हैं.' कांग्रेस नेता की टिप्पणी पूर्व राष्ट्रपति आरएन कोविंद की अध्यक्षता वाले वन नेशन, वन इलेक्शन पैनल द्वारा राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को अपनी रिपोर्ट सौंपने के बाद आई है.

तन्खा ने कहा कि 'इस पैनल के सभी सदस्य इस विचार के प्रति सहानुभूति रखते थे. इसलिए उन्हें इसका समर्थन करना पड़ा.' कांग्रेस नेता ने देश में लोकसभा, विधानसभा और नगर पालिका चुनावों को एक नियत तिथि पर कराने के पैनल के प्रस्ताव पर सवाल उठाया.

तन्खा ने कहा कि 'अगर वे किसी तरह संविधान को बदलकर इसे हासिल भी कर लें, तो क्या वे गारंटी दे सकते हैं कि अगला चुनाव भी वैसा ही होगा? अतीत में, राजनीतिक आकस्मिकताओं के कारण आकस्मिक चुनाव होते रहे हैं और विधानसभाएं भी मध्यावधि में भंग कर दी गई हैं. अगर भविष्य में ऐसी ही स्थिति आ गई तो क्या होगा.'

पैनल की रिपोर्ट के मुताबिक कुल 47 राजनीतिक दलों ने इस पर प्रतिक्रिया दी थी. इनमें से 32 ने प्रस्ताव का समर्थन किया जबकि 15 ने इस चिंता के साथ इसका विरोध किया कि एक राष्ट्र एक चुनाव का विचार संविधान की मूल संरचना का उल्लंघन कर सकता है, लोकतंत्र विरोधी है, संघीय विरोधी है, क्षेत्रीय दलों को हाशिये पर धकेल देगा, राष्ट्रीय दलों के प्रभुत्व को बढ़ावा देगा और राष्ट्रपति शासन प्रणाली को बढ़ावा मिलेगा.

शिवसेना यूबीटी ने ये कहा : तन्खा ने कहा कि 'यहां तक ​​कि राष्ट्रपति शासन प्रणाली बनाने के लिए भी उन्हें संविधान में संशोधन करना होगा.' राज्यसभा सांसद और वरिष्ठ शिव सेना यूबीटी नेता प्रियंका चतुर्वेदी के अनुसार, एक राष्ट्र एक चुनाव का विचार भारतीय राजनीतिक व्यवस्था की जमीनी हकीकत पर विचार नहीं करता है.

प्रियंका चतुवेर्दी ने कहा कि 'वे बस एक विचार के बारे में सोचते हैं, एक समिति नियुक्त करते हैं और उसके कार्यान्वयन भाग पर ध्यान दिए बिना एक रिपोर्ट लेकर आते हैं. 'एक राष्ट्र एक चुनाव' का विचार अच्छा लग सकता है लेकिन व्यावहारिक नहीं है. उदाहरण के लिए, आप उन विधानसभाओं को कैसे मनाएंगे जो हाल ही में भंग हो गई हैं और अपना शेष कार्यकाल पूरा किए बिना फिर से चुनाव कराने के लिए तैयार हैं?'

उन्होंने कहा कि 'फिर इतने बड़े पैमाने पर मतदान कराने के लिए पर्याप्त संख्या में ईवीएम रखने और इसके लिए आवश्यक सहायक कर्मचारियों और सुरक्षा प्रतिष्ठानों की व्यवस्था, लॉजिस्टिक्स का मुद्दा है. हम चुनावों में पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए लंबे समय से वीवीपैट पर्चियों का ईवीएम नतीजों से मिलान की मांग कर रहे हैं लेकिन चुनाव आयोग ने अब तक कोई जवाब नहीं दिया है. वे एक राष्ट्र, एक चुनाव कैसे लागू करेंगे.'

शिवसेना यूबीटी नेता ने महिला आरक्षण कानून के मुद्दे पर केंद्र और भाजपा की आलोचना की, जो महिलाओं को लोकसभा और राज्य विधानसभाओं में 33 प्रतिशत आरक्षण देता है, लेकिन संसदीय सीटों के परिसीमन और ताजा जनगणना के बाद.

चतुर्वेदी ने कहा कि यदि आप एक राष्ट्र, एक चुनाव को लेकर इतने उत्साहित हैं, तो आप इस लोकसभा चुनाव में महिला आरक्षण विधेयक को लागू करने में भी इतनी ही तत्परता दिखा सकते थे. लेकिन ऐसा नहीं हुआ क्योंकि यह असुविधाजनक था.'

सीपीआई ने दी प्रतिक्रिया : सीपीआई नेता डी राजा ने कहा, 'हम इस विचार के खिलाफ हैं क्योंकि बहुदलीय लोकतंत्र और इतनी विविधता वाले देश में यह संविधान के अनुरूप नहीं है. इसके बजाय, सरकार को व्यापक चुनाव सुधारों पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए.'

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