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पवन सिंह अड़ेंगे या छोड़ेंगे? उपेन्द्र कुशवाहा के लिए धुक-धुक, 3 बजे तक इंतजार कीजिए - Lok Sabha Election 2024 - LOK SABHA ELECTION 2024

लोकसभा चुनाव के अंतिम चरण यानी 1 जून के लिए होने वाले चुनाव की नाम वापसी का आज आखिरी तारीख है. बिहार में काराकाट सीट को लेकर सस्पेंस बना हुआ है कि क्या पवन सिंह काराकाट की सीट पर अड़ेंगे या फिर छोड़ेंगे? पवन सिंह के चुनाव में रहने से एनडीए का समीकरण हिल गया है. उपेन्द्र कुशवाहा गुडफील नहीं कर पा रहे हैं. आगे की रणनीति पवन सिंह की क्या रहेगी इसपर बात होगी.

पवन सिंह
पवन सिंह, काराकाट से निर्दलीय उम्मीदवार (Etv Bharat)
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By ETV Bharat Bihar Team

Published : May 17, 2024, 8:21 AM IST

पटना : बिहार की काराकाट लोकसभा सीट इस समय हॉट सीट बनी हुई है. पवन सिंह अगर मैदान में डंटे रहते हैं तो एनडीए कैंडिडेट उपेन्द्र कुशवाहा के लिए राह आसान नहीं दिख रही है. बीजेपी नेता मनोज तिवारी पहले ही दिन कह चुके थे कि वो इसके लिए बात करेंगे कि पवन सिंह काराकाट से नाम वापस लें लें, लेकिन जिस तरह से बात नामांकन तक और अब आज नाम वापसी की आखिरी तारीख है. अगर आज पवन सिंह ने नाम वापस नहीं लिया तो फिर मुकाबला तय है.

लड़ेंगे या अड़ेंगे पवन सिंह ? : वैसे पवन सिंह कह चुके हैं कि काराकाट की जनता से मिल रहे समर्थन के बाद वह अपने नाम को वापस नहीं करेंगे. अगर ऐसा करते हैं तो बीजेपी पवन सिंह पर एक्शन लेगी. लेकिन, लगता है कि पवन सिंह इन सभी कार्रवाई की डर की सीमा से काफी आगे आ चुके हैं. सस्पेंस दोपहर तीन बजे तक बरकरार है. उन्होंने अपनी मां के नाम पर भी डमी कैंडिडेट के रूप में नामांकन करा रखा है. अगर पवन सिंह लड़ेंगे तो चुनौती बड़ी और कड़ी होगी.

आज पवन सिंह की मां प्रतिमा देवी उठाएंगी पर्चा : पवन सिंह की मां प्रतिमा देवी के नाम पर भी पवन सिंह ने नामांकन भरा है. पवन सिंह और उनकी मां प्रतिमा सिंह दोनों का नामांकन वैध है. ऐसे में नामवापसी ही एकमात्र विकल्प है. बीजेपी पूरा जोर लगा रही है कि पवन सिंह अपना पर्चा उठा लें. एक बात तो चर्चा में है कि पवन सिंह की मां प्रतिमा देवी अपने नाम का पर्चा वापस लेंगी. उनकी मां का नामांकन एक रणनीति का हिस्सा था. जिस तरह से पवन सिंह के कार्यक्रम में भीड़ आ रही है उसे देखकर लगता है कि पवन सिंह नाम वापस तो नहीं लेने वाले है.

पवन सिंह के रहने से त्रिकोणीय मुकाबला : काराकाट लोकसभा क्षेत्र में आखिरी चरण में 1 जून को मतदान होगा. काराकाट लोक सभा क्षेत्र से एनडीए के प्रत्याशी के रूप में उपेंद्र कुशवाहा चुनावी मैदान में हैं. वही इंडिया गठबंधन की तरफ से CPI-ML प्रत्याशी के रूप में राजाराम सिंह चुनौती दे रहे हैं. शुरू में सीट से इन दोनों के बीच में आमने-सामने की लड़ाई दिख रही थी. लेकिन पवन सिंह के आने से लड़ाई त्रिकोणात्मक बन गई.

कौन हैं पवन सिंह : पवन सिंह भोजपुरी गायक एवं सिने स्टार हैं. पवन सिंह भारतीय जनता पार्टी में शामिल हुए थे. आरा से चुनाव लड़ने की तैयारी कर रहे थे. लेकिन बीजेपी ने आरा से अपने सीटिंग एमपी और केंद्रीय मंत्री आर के सिंह को अपना उम्मीदवार बनाया. पवन सिंह को पश्चिम बंगाल के आसनसोल सीट से बिहारी बाबू के नाम से मशहूर शत्रुघ्न सिन्हा के खिलाफ अपना प्रत्याशी बनाया. लेकिन पवन सिंह ने वहां से चुनाव नहीं लड़ने का फैसला किया. कुछ दिनों तक सस्पेंस बना रहा लेकिन अंत में पवन सिंह ने काराकाट लोकसभा क्षेत्र से चुनाव लड़ने की घोषणा कर दी.

काराकाट लोकसभा का समीकरण : काराकाट लोकसभा क्षेत्र का अस्तित्व 2008 के परिसीमन के बाद हुआ. पहले बिक्रमगंज लोकसभा क्षेत्र हुआ करता था. जहां तक जाति समीकरण की बात है तो काराकाट लोकसभा क्षेत्र में सबसे अधिक यादवों का वोट है. काराकाट लोकसभा क्षेत्र में 3 लाख यादव वोटर हैं. 2 लाख 50 हजार कोइरी-कुर्मी की आबादी है. 1 लाख 50 हजार मुस्लिम, 2 लाख राजपूत, वैश्य 2 लाख, ब्राह्मण 75 हजार एवं भूमिहार की आबादी 50 हजार के करीब है

उपेन्द्र कुशवाहा के सामने चुनौती : काराकाट लोक सभा क्षेत्र से उपेंद्र कुशवाहा 2014 में सांसद चुने गए थे लेकिन 2019 में उपेंद्र कुशवाहा एनडीए से बाहर आ गए और जदयू एनडीए में शामिल हो गई. 2019 में जेडीयू ने महाबली सिंह को अपना उम्मीदवार बनाया और वह वहां से सांसद चुने गए. 2024 में एक बार फिर से यह सीट उपेंद्र कुशवाहा को एनडीए की तरफ से दी गई, लेकिन इस बार पेंच पवन सिंह ने फंसा दिया है. अब काराकाट की लड़ाई त्रिकोणात्मक हो गई है जहां यह कहना मुश्किल है कि कौन किस पर बीस है.

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पटना : बिहार की काराकाट लोकसभा सीट इस समय हॉट सीट बनी हुई है. पवन सिंह अगर मैदान में डंटे रहते हैं तो एनडीए कैंडिडेट उपेन्द्र कुशवाहा के लिए राह आसान नहीं दिख रही है. बीजेपी नेता मनोज तिवारी पहले ही दिन कह चुके थे कि वो इसके लिए बात करेंगे कि पवन सिंह काराकाट से नाम वापस लें लें, लेकिन जिस तरह से बात नामांकन तक और अब आज नाम वापसी की आखिरी तारीख है. अगर आज पवन सिंह ने नाम वापस नहीं लिया तो फिर मुकाबला तय है.

लड़ेंगे या अड़ेंगे पवन सिंह ? : वैसे पवन सिंह कह चुके हैं कि काराकाट की जनता से मिल रहे समर्थन के बाद वह अपने नाम को वापस नहीं करेंगे. अगर ऐसा करते हैं तो बीजेपी पवन सिंह पर एक्शन लेगी. लेकिन, लगता है कि पवन सिंह इन सभी कार्रवाई की डर की सीमा से काफी आगे आ चुके हैं. सस्पेंस दोपहर तीन बजे तक बरकरार है. उन्होंने अपनी मां के नाम पर भी डमी कैंडिडेट के रूप में नामांकन करा रखा है. अगर पवन सिंह लड़ेंगे तो चुनौती बड़ी और कड़ी होगी.

आज पवन सिंह की मां प्रतिमा देवी उठाएंगी पर्चा : पवन सिंह की मां प्रतिमा देवी के नाम पर भी पवन सिंह ने नामांकन भरा है. पवन सिंह और उनकी मां प्रतिमा सिंह दोनों का नामांकन वैध है. ऐसे में नामवापसी ही एकमात्र विकल्प है. बीजेपी पूरा जोर लगा रही है कि पवन सिंह अपना पर्चा उठा लें. एक बात तो चर्चा में है कि पवन सिंह की मां प्रतिमा देवी अपने नाम का पर्चा वापस लेंगी. उनकी मां का नामांकन एक रणनीति का हिस्सा था. जिस तरह से पवन सिंह के कार्यक्रम में भीड़ आ रही है उसे देखकर लगता है कि पवन सिंह नाम वापस तो नहीं लेने वाले है.

पवन सिंह के रहने से त्रिकोणीय मुकाबला : काराकाट लोकसभा क्षेत्र में आखिरी चरण में 1 जून को मतदान होगा. काराकाट लोक सभा क्षेत्र से एनडीए के प्रत्याशी के रूप में उपेंद्र कुशवाहा चुनावी मैदान में हैं. वही इंडिया गठबंधन की तरफ से CPI-ML प्रत्याशी के रूप में राजाराम सिंह चुनौती दे रहे हैं. शुरू में सीट से इन दोनों के बीच में आमने-सामने की लड़ाई दिख रही थी. लेकिन पवन सिंह के आने से लड़ाई त्रिकोणात्मक बन गई.

कौन हैं पवन सिंह : पवन सिंह भोजपुरी गायक एवं सिने स्टार हैं. पवन सिंह भारतीय जनता पार्टी में शामिल हुए थे. आरा से चुनाव लड़ने की तैयारी कर रहे थे. लेकिन बीजेपी ने आरा से अपने सीटिंग एमपी और केंद्रीय मंत्री आर के सिंह को अपना उम्मीदवार बनाया. पवन सिंह को पश्चिम बंगाल के आसनसोल सीट से बिहारी बाबू के नाम से मशहूर शत्रुघ्न सिन्हा के खिलाफ अपना प्रत्याशी बनाया. लेकिन पवन सिंह ने वहां से चुनाव नहीं लड़ने का फैसला किया. कुछ दिनों तक सस्पेंस बना रहा लेकिन अंत में पवन सिंह ने काराकाट लोकसभा क्षेत्र से चुनाव लड़ने की घोषणा कर दी.

काराकाट लोकसभा का समीकरण : काराकाट लोकसभा क्षेत्र का अस्तित्व 2008 के परिसीमन के बाद हुआ. पहले बिक्रमगंज लोकसभा क्षेत्र हुआ करता था. जहां तक जाति समीकरण की बात है तो काराकाट लोकसभा क्षेत्र में सबसे अधिक यादवों का वोट है. काराकाट लोकसभा क्षेत्र में 3 लाख यादव वोटर हैं. 2 लाख 50 हजार कोइरी-कुर्मी की आबादी है. 1 लाख 50 हजार मुस्लिम, 2 लाख राजपूत, वैश्य 2 लाख, ब्राह्मण 75 हजार एवं भूमिहार की आबादी 50 हजार के करीब है

उपेन्द्र कुशवाहा के सामने चुनौती : काराकाट लोक सभा क्षेत्र से उपेंद्र कुशवाहा 2014 में सांसद चुने गए थे लेकिन 2019 में उपेंद्र कुशवाहा एनडीए से बाहर आ गए और जदयू एनडीए में शामिल हो गई. 2019 में जेडीयू ने महाबली सिंह को अपना उम्मीदवार बनाया और वह वहां से सांसद चुने गए. 2024 में एक बार फिर से यह सीट उपेंद्र कुशवाहा को एनडीए की तरफ से दी गई, लेकिन इस बार पेंच पवन सिंह ने फंसा दिया है. अब काराकाट की लड़ाई त्रिकोणात्मक हो गई है जहां यह कहना मुश्किल है कि कौन किस पर बीस है.

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