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बढ़ता कद और लेवी बना माओवादी छोटू खरवार की हत्या का कारण! आपसी रंजिश में उलझा संगठन - MURDER OF MAOIST

नक्सली छोटू खरवार की हत्या के बाद पुलिस हत्या के कारणों का पता लगाने में जुटी है. हत्या की कई वजह सामने आ रही है.

Murder Of Naxalite In Jharkhand
माओवादी छोटू खरवार और घटनास्थल की फोटो (फाइल फोटो-ईटीवी भारत)
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By ETV Bharat Jharkhand Team

Published : Nov 27, 2024, 6:13 PM IST

लातेहारः भाकपा माओवादी संगठन के जोनल कमांडर छोटू खरवार की हत्या के बाद हत्या के कारणों पर तरह-तरह की चर्चा हो रही है. जिसमें से एक चर्चा यह भी है कि संगठन में उसका बढ़ता कद और लेवी की राशि के कारण उसकी हत्या की गई है. लेवी के कारण संगठन में आपसी रंजिश ऐसा पनपा कि माओवादी संगठन के उसके साथियों ने ही गोली मारकर छोटू खरवार की हत्या कर दी. हालांकि पूरे मामले में पुलिस छानबीन कर रही है. छानबीन के बाद ही हत्या के सही कारणों का स्पष्ट रूप से कुछ पता चल सकेगा.

दरअसल, माओवादी संगठन का वर्चस्व लातेहार जिले में आज से 10 वर्ष पहले तक काफी अधिक था. धीरे-धीरे जिले में माओवादी संगठन काफी कमजोर होता गया. पिछले दो-तीन वर्षों में तो संगठन में काफी कम नक्सली शेष बच गए, लेकिन कमजोर होने के बावजूद क्षेत्र में छोटू खरवार, मृत्युंजय भुईयां, मनीष यादव समेत कुछ अन्य नक्सली कमांडर अभी भी सक्रिय थे. हिंसक कार्रवाई को लेकर छोटू खरवार का कद लगातार संगठन में बढ़ता जा रहा था.

माओवादी छोटू खरवार की हत्या मामले में जानकारी देते संवाददाता राजीव कुमार. (वीडियो-ईटीवी भारत)

विश्वस्त सूत्रों की माने तो पिछले कुछ दिनों से लेवी वसूली की राशि को लेकर संगठन में विवाद उत्पन्न हो गया था. संगठन के दूसरे साथियों का आरोप था कि माओवादी छोटू खरवार के द्वारा दूसरे कमांडर के इलाके से भी लेवी की राशि वसूली जाती है और उसका हिसाब भी नहीं दिया जाता. इसी मामले को लेकर संगठन में आपसी रंजिश चरम पर पहुंच गई थी.

समझौता के लिए होनी थी बैठक

सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार माओवादियों में बढ़े आपसी रंजिश को समाप्त करने के लिए बैठक करने का निर्णय लिया गया था. समझौता बैठक करने के लिए पिछले दो-तीन दिनों से माओवादी छोटू खरवार और माओवादी संगठन के अन्य कमांडरों का दस्ता लातेहार के बेंदी, कुमंडीह, हेहेगड़ा आदि इलाकों में अलग-अलग भ्रमणशील था. मंगलवार को समझौता के लिए बैठक करने के लिए माओवादी कमांडर जमा हुए थे. इसमें विवाद बढ़ता गया और स्थिति यहां तक पहुंच गई कि छोटू खरवार के खिलाफ संगठन के अन्य लोग एक हो गए और उसकी गोली मारकर हत्या कर दी. हालांकि सूत्रों की माने तो हत्याकांड के कुछ और भी कारण सामने आ रहे हैं.

हत्या के बाद शव को जंगल में फेंका

बताया जाता है कि माओवादी छोटू खरवार की हत्या किए जाने के बाद उसके शव को भीमपाव जंगल की कच्ची सड़क पर फेंक दिया गया. बुधवार को कुछ ग्रामीणों ने शव को रास्ते में पड़ा हुआ देखकर इसकी जानकारी अन्य ग्रामीणों और पुलिस को दी.

कुख्यात नक्सली था छोटू खरवार

छोटू खरवार काफी कुख्यात नक्सली था. सरकार की ओर से उस पर 15 लाख रुपये का इनाम रखा गया था. बताया जाता है कि छोटू खरवार पर इनाम की राशि बढ़ाए जाने की भी योजना थी. छोटू खरवार दर्जनों मुठभेड़ और हिंसक घटनाओं का मुख्य अभियुक्त था. वर्तमान में छोटू खरवार महुआडांड़ के इलाके के दवना-दुरूप के इलाके में पनाह ले रखा था. हाल के दिनों में भी छोटू खरवार ने कई हिंसक घटनाओं को अंजाम दिया था. जिसके बाद पुलिस ने छोटू खरवार के सिकित गांव में स्थित घर में कई बार कुर्की-जब्ती भी की थी.

पुलिस कर रही है मामले की जांच

छोटू खरवार की हत्या क्यों और किसने की है इसकी जांच अभी पुलिस के द्वारा की जा रही है. इस संबंध में पलामू डीआईजी वाईएस रमेश ने कहा कि छोटू खरवार की हत्या आपसी रंजिश के कारण हुई है. पुलिस फिलहाल पूरे मामले की छानबीन कर रही है. छानबीन पूरी होने के बाद ही घटना की स्पष्ट जानकारी हो पाएगी.

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दरअसल, माओवादी संगठन का वर्चस्व लातेहार जिले में आज से 10 वर्ष पहले तक काफी अधिक था. धीरे-धीरे जिले में माओवादी संगठन काफी कमजोर होता गया. पिछले दो-तीन वर्षों में तो संगठन में काफी कम नक्सली शेष बच गए, लेकिन कमजोर होने के बावजूद क्षेत्र में छोटू खरवार, मृत्युंजय भुईयां, मनीष यादव समेत कुछ अन्य नक्सली कमांडर अभी भी सक्रिय थे. हिंसक कार्रवाई को लेकर छोटू खरवार का कद लगातार संगठन में बढ़ता जा रहा था.

माओवादी छोटू खरवार की हत्या मामले में जानकारी देते संवाददाता राजीव कुमार. (वीडियो-ईटीवी भारत)

विश्वस्त सूत्रों की माने तो पिछले कुछ दिनों से लेवी वसूली की राशि को लेकर संगठन में विवाद उत्पन्न हो गया था. संगठन के दूसरे साथियों का आरोप था कि माओवादी छोटू खरवार के द्वारा दूसरे कमांडर के इलाके से भी लेवी की राशि वसूली जाती है और उसका हिसाब भी नहीं दिया जाता. इसी मामले को लेकर संगठन में आपसी रंजिश चरम पर पहुंच गई थी.

समझौता के लिए होनी थी बैठक

सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार माओवादियों में बढ़े आपसी रंजिश को समाप्त करने के लिए बैठक करने का निर्णय लिया गया था. समझौता बैठक करने के लिए पिछले दो-तीन दिनों से माओवादी छोटू खरवार और माओवादी संगठन के अन्य कमांडरों का दस्ता लातेहार के बेंदी, कुमंडीह, हेहेगड़ा आदि इलाकों में अलग-अलग भ्रमणशील था. मंगलवार को समझौता के लिए बैठक करने के लिए माओवादी कमांडर जमा हुए थे. इसमें विवाद बढ़ता गया और स्थिति यहां तक पहुंच गई कि छोटू खरवार के खिलाफ संगठन के अन्य लोग एक हो गए और उसकी गोली मारकर हत्या कर दी. हालांकि सूत्रों की माने तो हत्याकांड के कुछ और भी कारण सामने आ रहे हैं.

हत्या के बाद शव को जंगल में फेंका

बताया जाता है कि माओवादी छोटू खरवार की हत्या किए जाने के बाद उसके शव को भीमपाव जंगल की कच्ची सड़क पर फेंक दिया गया. बुधवार को कुछ ग्रामीणों ने शव को रास्ते में पड़ा हुआ देखकर इसकी जानकारी अन्य ग्रामीणों और पुलिस को दी.

कुख्यात नक्सली था छोटू खरवार

छोटू खरवार काफी कुख्यात नक्सली था. सरकार की ओर से उस पर 15 लाख रुपये का इनाम रखा गया था. बताया जाता है कि छोटू खरवार पर इनाम की राशि बढ़ाए जाने की भी योजना थी. छोटू खरवार दर्जनों मुठभेड़ और हिंसक घटनाओं का मुख्य अभियुक्त था. वर्तमान में छोटू खरवार महुआडांड़ के इलाके के दवना-दुरूप के इलाके में पनाह ले रखा था. हाल के दिनों में भी छोटू खरवार ने कई हिंसक घटनाओं को अंजाम दिया था. जिसके बाद पुलिस ने छोटू खरवार के सिकित गांव में स्थित घर में कई बार कुर्की-जब्ती भी की थी.

पुलिस कर रही है मामले की जांच

छोटू खरवार की हत्या क्यों और किसने की है इसकी जांच अभी पुलिस के द्वारा की जा रही है. इस संबंध में पलामू डीआईजी वाईएस रमेश ने कहा कि छोटू खरवार की हत्या आपसी रंजिश के कारण हुई है. पुलिस फिलहाल पूरे मामले की छानबीन कर रही है. छानबीन पूरी होने के बाद ही घटना की स्पष्ट जानकारी हो पाएगी.

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