रांची: कांग्रेस के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष और सांसद राहुल गांधी इन दिनों प्रायः हर मंच से नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार को एससी, एसटी और ओबीसी विरोधी बताते हैं. केंद्र सरकार के सचिव तक की जाति बताकर विश्लेषण करते नहीं थकते और फिर कांग्रेस के पांच न्याय में से एक "हिस्सेदारी न्याय" की बात करते हैं.
इन सबके बीच झारखंड में लोकसभा के टिकट बंटवारे में जिस तरह से कांग्रेस ने अगड़ी जातियों के नेताओं को प्राथमिकता दी है उससे सवाल उठने लगे हैं कि राहुल गांधी और कांग्रेस की अधिकार और भागीदारी न्याय सिर्फ चुनावी ढकोसला भर है. ऐसा इसलिए क्योंकि झारखंड में I.N.D.I.A गठबंधन के तहत कांग्रेस को 07 लोकसभा सीट मिली है, इसमें से दो लोकसभा सीट खूंटी और लोहरदगा अनुसूचित जनजाति (ST)आरक्षित है.
बाकी के 05 लोकसभा सीट सामान्य सीट हैं. इन 05 लोकसभा सीट में से कांग्रेस ने 04 सीट (हजारीबाग, धनबाद, गोड्डा, चतरा) पर उम्मीदवार के नाम की घोषणा कर दी है, जबकि रांची लोकसभा सीट पर उम्मीदवार को लेकर सस्पेंस बरकरार है. कांग्रेस के घोषित चार सामान्य सीट के उम्मीदवार में 03 सवर्ण जाति से आते हैं जबकि 01 ओबीसी को टिकट मिला है.
राज्य में ओबीसी की आबादी करीब 52-55% के आसपास होने का दावा किया जाता है लेकिन कांग्रेस ने ओबीसी को लोकसभा टिकट बंटवारे में 25% ही हक दिया है. वहीं एक अनुमान के अनुसार राज्य में 20% से भी कम आबादी वाली सवर्ण जातियों की है, लेकिन आश्चर्यजनक रूप से 75% टिकट इन्हीं सवर्ण वर्ग के बीच बांटा गया है.
अगर रांची लोकसभा सीट से पूर्व केंद्रीय मंत्री सुबोधकांत सहाय या उनकी बेटी यशस्विनी सहाय को पार्टी उम्मीदवार बनाती है तो ऊंची जातियों को टिकट मिलने का प्रतिशत बढ़कर 80 हो जाएगा. वहीं अगर रामटहल चौधरी या बन्ना गुप्ता टिकट पाने में सफल होते हैं, तो यह सवर्ण और ओबीसी का अनुपात 60-40 हो जाएगा.
अब भाजपा और आजसू इसे राहुल गांधी की धोखे की गारंटी बताकर कहती है कि कांग्रेस का ओबीसी विरोधी चेहरा जगजाहिर हो गया है. इनके नेता चुनावी मंचों से तो बात ओबीसी की हिस्सेदारी का करते हैं लेकिन जब हक देने की बारी आती है तो इन्हें ओबीसी के नेता और कार्यकर्ता नजर नहीं आते. भाजपा के नेता प्रतुल शाहदेव ने कहा कि भाजपा और NDA ही ओबीसी, एससी, एसटी सभी का ख्याल रखती है. झारखंड में संगठन से लेकर सत्ता की भागीदारी में भाजपा ने ओबीसी की उचित भागीदारी का ख्याल रखा है.
झारखंड में कांग्रेस की राजनीति को बेहद करीब से देख रहे वरिष्ठ पत्रकार सतेंद्र सिंह कहते हैं कि शुरू से ही कांग्रेस में सवर्ण जातियों का बोलबाला रहा है. ओबीसी कांग्रेस में उपेक्षित थे इसलिए अलग-अलग राज्यों में स्थानीय ओबीसी क्षत्रप का उदय हुआ. अब राहुल गांधी भले ही ओबीसी के लिए जातीय गणना और हिस्सेदारी की बात कहते रहें, लेकिन हकीकत तो यह है कि झारखंड में ओबीसी को न संगठन में हक मिला है और न अब लोकसभा पहुंचने के लिए जरूरी टिकट से भी वंचित होना पड़ा है.
झारखंड कांग्रेस में पहले से ही उपेक्षित है ओबीसी!
राहुल गांधी भले ही ओबीसी को हिस्सेदारी की बात करते रहे हों लेकिन यह सच्चाई है कि झारखंड कांग्रेस में भी महत्वपूर्ण और नीति निर्धारण करने वाले पदों पर सवर्ण जातियों को ही तवज्जों दी गयी है. भूमिहार जाति से आने वाले राजेश ठाकुर जहां प्रदेश कांग्रेस कमिटी के अध्यक्ष हैं तो झारखंड प्रदेश महिला कांग्रेस की अध्यक्ष क्षत्रिय समाज की गुंजन सिंह हैं. झारखंड प्रदेश युवा कांग्रेस के अध्यक्ष अभिजीत राज भी भूमिहार जाति से ही आते हैं.
राहुल गांधी जो कहते हैं वह निश्चित रूप से नहीं करते हैं- भाजपा
झारखंड भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता प्रतुल शाहदेव ने कहा कि राहुल गांधी जो कहते हैं वह निश्चित रूप से नहीं करते हैं. झारखंड में लोकसभा टिकट वितरण में राज्य की जनता खास कर ओबीसी ने यह देख लिया है. प्रतुल शाहदेव कहते हैं कि कांग्रेस 07 लोकसभा सीट पर चुनाव लड़ रही है जिसमें 05 सीट सामान्य कोटि की है. इसमें से चार लोकसभा सीट के प्रत्याशियों के नाम की घोषणा में पिछड़े वर्ग की हकमारी हुई है. 04 में से 03 लोकसभा सीट पर सवर्ण उम्मीदवार को उतारा गया है. अब भाजपा सवाल कर रही हैं कि जिनकी जिसकी भागीदारी, उसकी उतनी हिस्सेदारी का क्या हुआ ?
जिताऊ कैंडिडेट को मिला है मौका- कांग्रेस
कांग्रेस के प्रदेश प्रवक्ता जगदीश साहू ने कहा कि भाजपा क्या कहती है इस पर ध्यान देने की जरूरत नहीं है. कभी कांग्रेस ने जिताउ उम्मीदवारों को मौका दिया है. इस बार लड़ाई तानाशाह को दिल्ली की सत्ता से हटाने की है.
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