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उत्तर भारत में सामान्य से कम वर्षा के आसार, मध्य भारत में शीत लहर का अनुमान, जानें मौसम का हाल - IMD PREDICTS

मौसम विभाग के अनुसार इस साल जनवरी से मार्च के बीच उत्तर भारत में कम बारिश होने की संभावना है. इससे किसानों पर प्रभाव पड़ेगा.

Rainfall Forecast
सर्दी के मौसम में बारिश (प्रतीकात्मक फोटो) (ANI)
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By ETV Bharat Hindi Team

Published : Jan 2, 2025, 7:16 AM IST

हैदराबाद: मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) के अनुसार पूर्वी, उत्तर-पश्चिम और पश्चिम-मध्य क्षेत्रों के कुछ हिस्सों को छोड़कर जनवरी में भारत के अधिकांश हिस्सों में न्यूनतम तापमान सामान्य से अधिक रहने का अनुमान है. वहीं, जनवरी से मार्च के बीच उत्तर भारत में बारिश औसत से कम रहने की संभावना है. इस बीच मध्य भारत के पश्चिमी और उत्तरी भागों में जनवरी में शीत लहर की संभावना है.

उत्तरी और उत्तर-पश्चिमी भारत के राज्य गेहूं, मटर, चना और जौ जैसी रबी फसलों के प्रमुख उत्पादक हैं. ये फसलें सर्दियों (अक्टूबर से दिसंबर) में उगाई जाती हैं और गर्मियों (अप्रैल से जून) में काटी जाती हैं. वेस्टर्न डिस्टर्बन्स के कारण सर्दियों के दौरान होने वाली बारिश इन फसलों के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है.

मौसम विज्ञान ने इस बारे में जानकारी दी है कि उत्तर-पश्चिम, मध्य और पूर्वी भारत के कुछ क्षेत्रों और मध्य दक्षिणी प्रायद्वीपीय क्षेत्रों को छोड़कर देश के अधिकांश हिस्सों में अधिकतम तापमान सामान्य स्तर से अधिक रहने की उम्मीद है.

हालांकि, मध्य भारत के पश्चिमी और उत्तरी भागों में जनवरी में सामान्य से अधिक शीत लहर वाले दिन रहने की संभावना है. मौसम विभाग ने यह भी भविष्यवाणी की है कि जनवरी से मार्च के बीच उत्तर भारत में बारिश औसत से कम रहने की संभावना है. 1971 से 2020 के आंकड़ों के आधार पर इस अवधि के लिए औसत वर्षा लगभग 184.3 मिमी है.

उत्तरी और उत्तर-पश्चिमी भारत के राज्य जैसे पंजाब, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, जम्मू और कश्मीर, उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश, गेहूं, मटर, चना और जौ जैसी रबी फसलों के प्रमुख उत्पादक हैं. ये फसलें सर्दियों (अक्टूबर से दिसंबर) में उगाई जाती हैं और गर्मियों (अप्रैल से जून) में काटी जाती हैं.

नए साल में कड़ाके की सर्दी

इस बीच नए साल में उत्तर भारत में सर्दी का असर देखने को मिला, क्योंकि तापमान में भारी गिरावट आई. एक जनवरी को दिल्ली में न्यूनतम तापमान 7 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया, जबकि शहर के कुछ हिस्सों में हल्का कोहरा छाया रहा.

राजस्थान में भी ठंड बढ़ गई. इससे जनजीवन प्रभावित हुआ. आईएमडी के अनुसार जयपुर में सुबह 8:30 बजे 7.2 डिग्री सेल्सियस तापमान दर्ज किया गया, जबकि बीकानेर और चूरू में क्रमश: 7 डिग्री सेल्सियस और 6 डिग्री सेल्सियस तापमान दर्ज किया गया.

उत्तर प्रदेश के अयोध्या में कोहरे ने शहर को अपनी चपेट में ले लिया, जिससे तापमान में और गिरावट आई. इसके साथ ही अन्य क्षेत्रों में भी तापमान में गिरावट दर्ज की गई.

जम्मू-कश्मीर में कड़ाके की ठंड जारी है. घाटी समेत कई जगहों पर तापमान शून्य से नीचे चला गया. कड़ाके की ठंड के चलते डल झील की ऊबरी सतह जम गई. आईएमडी की रिपोर्ट के अनुसार, सुबह 8:30 बजे श्रीनगर में -1.5 डिग्री सेल्सियस, गुलमर्ग में -2.4 डिग्री सेल्सियस, पहलगाम में -6 डिग्री सेल्सियस, बनिहाल में 0.4 डिग्री सेल्सियस और कुपवाड़ा में 0.4 डिग्री सेल्सियस तापमान दर्ज किया गया.

ये भी पढ़ें- उत्तर भारत में कोल्ड वेव का कहर, इन राज्यों में बढ़ेगी ठिठुरन, जानें आज के मौसम का हाल

हैदराबाद: मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) के अनुसार पूर्वी, उत्तर-पश्चिम और पश्चिम-मध्य क्षेत्रों के कुछ हिस्सों को छोड़कर जनवरी में भारत के अधिकांश हिस्सों में न्यूनतम तापमान सामान्य से अधिक रहने का अनुमान है. वहीं, जनवरी से मार्च के बीच उत्तर भारत में बारिश औसत से कम रहने की संभावना है. इस बीच मध्य भारत के पश्चिमी और उत्तरी भागों में जनवरी में शीत लहर की संभावना है.

उत्तरी और उत्तर-पश्चिमी भारत के राज्य गेहूं, मटर, चना और जौ जैसी रबी फसलों के प्रमुख उत्पादक हैं. ये फसलें सर्दियों (अक्टूबर से दिसंबर) में उगाई जाती हैं और गर्मियों (अप्रैल से जून) में काटी जाती हैं. वेस्टर्न डिस्टर्बन्स के कारण सर्दियों के दौरान होने वाली बारिश इन फसलों के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है.

मौसम विज्ञान ने इस बारे में जानकारी दी है कि उत्तर-पश्चिम, मध्य और पूर्वी भारत के कुछ क्षेत्रों और मध्य दक्षिणी प्रायद्वीपीय क्षेत्रों को छोड़कर देश के अधिकांश हिस्सों में अधिकतम तापमान सामान्य स्तर से अधिक रहने की उम्मीद है.

हालांकि, मध्य भारत के पश्चिमी और उत्तरी भागों में जनवरी में सामान्य से अधिक शीत लहर वाले दिन रहने की संभावना है. मौसम विभाग ने यह भी भविष्यवाणी की है कि जनवरी से मार्च के बीच उत्तर भारत में बारिश औसत से कम रहने की संभावना है. 1971 से 2020 के आंकड़ों के आधार पर इस अवधि के लिए औसत वर्षा लगभग 184.3 मिमी है.

उत्तरी और उत्तर-पश्चिमी भारत के राज्य जैसे पंजाब, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, जम्मू और कश्मीर, उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश, गेहूं, मटर, चना और जौ जैसी रबी फसलों के प्रमुख उत्पादक हैं. ये फसलें सर्दियों (अक्टूबर से दिसंबर) में उगाई जाती हैं और गर्मियों (अप्रैल से जून) में काटी जाती हैं.

नए साल में कड़ाके की सर्दी

इस बीच नए साल में उत्तर भारत में सर्दी का असर देखने को मिला, क्योंकि तापमान में भारी गिरावट आई. एक जनवरी को दिल्ली में न्यूनतम तापमान 7 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया, जबकि शहर के कुछ हिस्सों में हल्का कोहरा छाया रहा.

राजस्थान में भी ठंड बढ़ गई. इससे जनजीवन प्रभावित हुआ. आईएमडी के अनुसार जयपुर में सुबह 8:30 बजे 7.2 डिग्री सेल्सियस तापमान दर्ज किया गया, जबकि बीकानेर और चूरू में क्रमश: 7 डिग्री सेल्सियस और 6 डिग्री सेल्सियस तापमान दर्ज किया गया.

उत्तर प्रदेश के अयोध्या में कोहरे ने शहर को अपनी चपेट में ले लिया, जिससे तापमान में और गिरावट आई. इसके साथ ही अन्य क्षेत्रों में भी तापमान में गिरावट दर्ज की गई.

जम्मू-कश्मीर में कड़ाके की ठंड जारी है. घाटी समेत कई जगहों पर तापमान शून्य से नीचे चला गया. कड़ाके की ठंड के चलते डल झील की ऊबरी सतह जम गई. आईएमडी की रिपोर्ट के अनुसार, सुबह 8:30 बजे श्रीनगर में -1.5 डिग्री सेल्सियस, गुलमर्ग में -2.4 डिग्री सेल्सियस, पहलगाम में -6 डिग्री सेल्सियस, बनिहाल में 0.4 डिग्री सेल्सियस और कुपवाड़ा में 0.4 डिग्री सेल्सियस तापमान दर्ज किया गया.

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