बेंगलुरु : देश में हर साल सांप के काटने की वजह से लाखों लोगों की जान चली जाती है. विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) का अनुमान है कि हर साल लगभग 5 मिलियन लोगों को सांप काट लेता है. हर साल लगभग 81,000 से 138,000 के बीच मौतें होती हैं. कई सर्पदंशों की तो रिपोर्ट भी नहीं की जाती है, क्योंकि जागरुकता की कमी के कारण कई पीड़ित गैर-चिकित्सीय स्रोतों से इलाज कराते हैं.
जिसके परिणामस्वरूप सर्पदंश के कई मामले तो दर्ज ही नहीं हो पाते है. लेकिन अब सर्पदंशों की वजह से लोगों की जान नहीं जाएगी. क्योकिं सांप के जहर को बेअसर करने का वैज्ञानिकों को उपाय मिल गया है. जी हां, भारतीय विज्ञान संस्थान (आईआईएससी) के वैज्ञानिकों ने एक सिंथेटिक ह्यूमन एंटीबॉडी बनाई है. जो अत्यधिक जहरीले सांपों के विषों को बेअसर कर सकती है.
वैज्ञानिकों के मुताबिक सिंथेटिक ह्यूमन एंटीबॉडी इतना ज्यादा असरदार है कि अगर किसी व्यक्ति को एलापिडे परिवार का सांप भी काट लेगा तो भी उस व्यक्ति को कुछ नहीं होगा. दरअसल, एलापिडे परिवार के सांप आम तौर पर मुंह के सामने छोटे, स्थिर नुकीले दांत वाले होते हैं. इनमें कोबरा, किंग कोबरा, क्रेट और ब्लैक माम्बा शामिल हैं.
इन सांपों को काफी जहरीला और खतरनाक माना जाता है. एलापिडे परिवार के सांपों के द्वारा एक शक्तिशाली न्यूरोटॉक्सिन उत्पादित किया जाता है. वैज्ञानिकों ने दावा किया कि एंटीबॉडी का प्रभाव पारंपरिक उत्पादों की तुलना में लगभग 15 गुना अधिक पाया गया. वैज्ञानिकों का यह निष्कर्ष सांइंस ट्रासलेशनल मेडिसिन जर्नल में प्रकाशित हुआ है.
इसमें कहा गया कि जिस तरह से HIB और कोविड-19 के खिलाफ लड़ने के लिए एंटीबॉडी बनाई गई थी, उसी प्रकार यह नया एंटीवेनम भी सांप के जहर को बेअसर कर सकता है. रिसर्च में शामिल अमेरिका के स्कि्रप्स रिसर्च इंस्टीट्यूट के वैज्ञानिकों ने कहा कि यह अध्ययन यूनिवर्सल एंटीबॉडी सोल्यूशन की ओर एक कदम है, जो अलग-अलग तरह के सांपों के जहर से हमारी सुरक्षा कर सकता है.
इंडियन इंस्टीट्यूट आफ साइंस (आइआइएससी), बेंगलुरु से पीएचडी कर रहीं सेनजी लक्ष्मी ने कहा कि यह पहली बार है कि सर्पदंश के इलाज के लिए एंटीबॉडी विकसित करने के लिए इस विशेष रणनीति को लागू किया जा रहा है.