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20 साल बाद देश में हर 10वां व्यक्ति बिहारी, आबादी ऐसे ही बढ़ी तो दूसरा सर्वाधिक जनसंख्या वाला राज्य होगा बिहार - WORLD POPULATION DAY

BIHAR POPULATION: देश के बड़े राज्यों में फिलहाल बिहार की जनसंख्या वृद्धि दर सबसे अधिक है. इस दर से ही जनसंख्या बढ़ती रही तो आने वाले 20 सालों में बिहार देश का दूसरा सबसे अधिक आबादी वाला प्रदेश होगा. फिलहाल बिहार की आबादी 13 करोड़ है और अनुमान है कि आनेवाले 20 साल में 3 करोड़ की वृद्धि के साथ ये 16 करोड़ हो जाएगी. ऐसे में हमारे संसाधनों को करीब डेढ़ गुना बढ़ाना होगा, जिसकी तैयारी सरकार को अभी से ही शुरू करनी होगी.

20 साल बाद देश में हर 10वां व्यक्ति बिहारी
20 साल बाद देश में हर 10वां व्यक्ति बिहारी (ETV BHARAT)
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By ETV Bharat Bihar Team

Published : Jul 11, 2024, 2:27 PM IST

Updated : Jul 11, 2024, 3:54 PM IST

20 साल बाद देश में हर 10वां व्यक्ति बिहारी (ETV BHARAT)

पटनाः हम दो हमारे दो का सिद्धांत पांच दशकों बाद भी मूर्त रूप नहीं ले पाया है और देश की जनसंख्या में तेजी से बढ़ोतरी हो रही है. जाहिर है जिस तेजी से जनसंख्या बढ़ रही है उसी अनुपात में संसाधनों का सृजन करना आसान नहीं है. ऐसे में बढ़ती जनसंख्या बड़ी चिंता का सबब बन रही है. बिहार के संदर्भ में तो ये स्थिति और भी चिंताजनक है क्योंकि रिपोर्ट के अनुसार भारत के बड़े राज्यों में जिस राज्य की सबसे ज्यादा जनसंख्या वृद्धि दर है वो बिहार ही है.

20 साल बाद देश का हर 10वां व्यक्ति बिहारीः जनसंख्या नियंत्रण को लेकर बिहार में भी सरकार और सामाजिक संगठनों की ओर से कई कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं बावजूद इसके अभी भी बिहार का टोटल फर्टिलिटी रेट राष्ट्रीय स्तर से काफी अधिक है.वर्तमान समय में बिहार का टोटल फर्टिलिटी रेट 2.96 है जबकि राष्ट्रीय स्तर पर फर्टिलिटी रेट 2.00% है. इस हिसाब से 20 साल बाद यानी 2044 तक बिहार की आबादी 16 करोड़ हो जाएगी और देश की आबादी करीब 153 करोड़ होगी. इस हिसाब से देश का हर 10वां व्यक्ति बिहारी होगा.

क्या कहते हैं जनसंख्या वृद्धि दर के आंकड़े ?: फिलहाल जनसंख्या की दृष्टि से उत्तर प्रदेश पहले और महाराष्ट्र दूसरे नंबर पर हैं. लेकिन 20 वर्ष बाद उत्तर प्रदेश के बाद बिहार देश का दूसरा सबसे ज्यादा आबादी वाला राज्य बन जाएगा. देश के 4 बड़े राज्यों की जनसंख्या वृद्धि दर के हिसाब से ये अनुमान लगाया जा रहा है.

2011 से 2044 तक ( अनुमानित) आंकड़ेः 2011 की जनगणना के अनुसार बिहार की जनसंख्या करीब 10.41 करोड़ थी और जनसंख्या वृद्धि दर 3.4 फीसदी थी. वहीं महाराष्ट्र की जनसंख्या करीब 11.24 करोड़ थी और जनसंख्या वृद्धि दर 1.9 फीसदी थी. जबकि उत्तर प्रदेश की जनसंख्या 19.98 करोड़ और जनसंख्या वृद्धि दर 2.7 फीसदी थी. इसी तरह पश्चिम बंगाल की जनसंख्या 9.13 करोड़ और वृद्धि दर 1.8 करोड़ थी.

ईटीवी भारत GFX.
ईटीवी भारत GFX. (ETV BHARAT)

2044 में क्या होगी स्थिति ?: अनुमान के मुताबिक आनेवाले 20 सालों के दौरान बिहार की जनसंख्या वृद्धि दर में गिरावट तो आएगी लेकिन वो देश के अन्य राज्यों की तुलना में ज्यादा ही रहेगी. इस तरह आनेवाले 20 साल बाद जो स्थिति होगी उस हिसाब से आज की करीब 13 करोड़ की आबादी में 24.7 फीसदी की वृद्धि के साथ बिहार की जनसंख्या 16 करोड़ के पार पहुंच जाएगी.

'संसाधनों को बढ़ाने पर करना होगा कामः' जिस तरह से बिहार की जनसंख्या बढ़ रही है वो बेहद ही चिंता का सबब है. ऐसे में समाजशास्त्रियों का मानना है कि सरकार को अभी से संसाधनों को बढ़ाने पर जोर देना होगा. समाजशास्त्री डॉ. विद्यार्थी विकास का कहना है कि "अभी बिहार की अनुमानित आबादी करीब 13 करोड़ है और 2044 तक ये 16 करोड़ हो जाएगी. ऐसे में हमारे संसाधनों को लगभग डेढ़ गुना बढ़ाना पड़ेगा."

"सड़क, बिजली, स्कूल, कॉलेज, स्वास्थ्य सुविधाएं. अगर उस अनुपात में ढांचागत विकास नहीं होता है तब ये जनसंख्या अभिशाप बनती जाएगी. ऐसे में सरकार को चाहिए कि वो ऐसी नीतियों का निर्माण करे कि 20 साल बाद जिन संसाधनों की जरूरत हो वो पर्याप्त रहें ताकि आनेवाले 20 सालों में 3 से 4 करोड़ की जुड़नेवाली आबादी के जीवन-यापन की व्यवस्था हो सके." डॉ. विद्यार्थी विकास, समाजशास्त्री

जनसंख्याः वरदान या अभिशाप ?: समाजशास्त्रियों का मानना है कि ये सरकार की नीतियों पर निर्भर करता है कि बढ़ती जनसंख्या अभिशाप का रूप ले रही है या फिर वरदान साबित हो रही है. समाजशास्त्री बीएन प्रसाद का कहना है कि "जो नीति निर्माता हैं उन्हें विचार करना होगा कि बढ़ती जनसंख्या को कैसे वरदान बनाया जाए."

"आप स्किल डेवलपमेंट करा सकें, लोगों को ग्रामीण विकास के साथ जोड़ सकें,आईटीआई का विस्तार कर सकें. बिहार की आर्थिक विकास की नींव माने जानेवाले ग्रामीण क्षेत्रों को मजबूत कर सकें. युवाओं को रोजगार और सामाजिक सरोकार से जोड़ सकें तो ये बढ़ती हुई जनसंख्या आपके लिए वरदान बन जाएगी." बीएन प्रसाद, समाजशास्त्री

संसाधनों के विकास के साथ जनसंख्या नियंत्रण जरूरीः जनसंख्या वृद्धि की तरह संसाधनों का विकास भी एक सतत प्रक्रिया है लेकिन इस सच्चाई से भी मुंह नहीं मोड़ा जा सकता है कि जनसंख्या वृद्धि और संसाधनों के विकास को एक तराजू पर नहीं तौला जा सकता है. व्यावहारिक रूप से बढ़ती जनसंख्या के अनुपात में संसाधनों का विकास मुश्किल है. ऐसे में संसाधनों के विकास के साथ-साथ जनसंख्या नियंत्रण की नीतियों पर भी पूरी गंभीरता के साथ काम करने की जरूरत है.

ये भी पढ़ेंःविश्व जनसंख्या दिवसः इस सदी के अंत तक 1090 करोड़ हो जाएगी पूरी दुनिया की आबादी - World Population Day

UNFPA रिपोर्ट से खुलासा- भारत की जनसंख्या 144 करोड़ के पार, 14 साल तक के बच्चों की संख्या सबसे ज्यादा - India population

20 साल बाद देश में हर 10वां व्यक्ति बिहारी (ETV BHARAT)

पटनाः हम दो हमारे दो का सिद्धांत पांच दशकों बाद भी मूर्त रूप नहीं ले पाया है और देश की जनसंख्या में तेजी से बढ़ोतरी हो रही है. जाहिर है जिस तेजी से जनसंख्या बढ़ रही है उसी अनुपात में संसाधनों का सृजन करना आसान नहीं है. ऐसे में बढ़ती जनसंख्या बड़ी चिंता का सबब बन रही है. बिहार के संदर्भ में तो ये स्थिति और भी चिंताजनक है क्योंकि रिपोर्ट के अनुसार भारत के बड़े राज्यों में जिस राज्य की सबसे ज्यादा जनसंख्या वृद्धि दर है वो बिहार ही है.

20 साल बाद देश का हर 10वां व्यक्ति बिहारीः जनसंख्या नियंत्रण को लेकर बिहार में भी सरकार और सामाजिक संगठनों की ओर से कई कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं बावजूद इसके अभी भी बिहार का टोटल फर्टिलिटी रेट राष्ट्रीय स्तर से काफी अधिक है.वर्तमान समय में बिहार का टोटल फर्टिलिटी रेट 2.96 है जबकि राष्ट्रीय स्तर पर फर्टिलिटी रेट 2.00% है. इस हिसाब से 20 साल बाद यानी 2044 तक बिहार की आबादी 16 करोड़ हो जाएगी और देश की आबादी करीब 153 करोड़ होगी. इस हिसाब से देश का हर 10वां व्यक्ति बिहारी होगा.

क्या कहते हैं जनसंख्या वृद्धि दर के आंकड़े ?: फिलहाल जनसंख्या की दृष्टि से उत्तर प्रदेश पहले और महाराष्ट्र दूसरे नंबर पर हैं. लेकिन 20 वर्ष बाद उत्तर प्रदेश के बाद बिहार देश का दूसरा सबसे ज्यादा आबादी वाला राज्य बन जाएगा. देश के 4 बड़े राज्यों की जनसंख्या वृद्धि दर के हिसाब से ये अनुमान लगाया जा रहा है.

2011 से 2044 तक ( अनुमानित) आंकड़ेः 2011 की जनगणना के अनुसार बिहार की जनसंख्या करीब 10.41 करोड़ थी और जनसंख्या वृद्धि दर 3.4 फीसदी थी. वहीं महाराष्ट्र की जनसंख्या करीब 11.24 करोड़ थी और जनसंख्या वृद्धि दर 1.9 फीसदी थी. जबकि उत्तर प्रदेश की जनसंख्या 19.98 करोड़ और जनसंख्या वृद्धि दर 2.7 फीसदी थी. इसी तरह पश्चिम बंगाल की जनसंख्या 9.13 करोड़ और वृद्धि दर 1.8 करोड़ थी.

ईटीवी भारत GFX.
ईटीवी भारत GFX. (ETV BHARAT)

2044 में क्या होगी स्थिति ?: अनुमान के मुताबिक आनेवाले 20 सालों के दौरान बिहार की जनसंख्या वृद्धि दर में गिरावट तो आएगी लेकिन वो देश के अन्य राज्यों की तुलना में ज्यादा ही रहेगी. इस तरह आनेवाले 20 साल बाद जो स्थिति होगी उस हिसाब से आज की करीब 13 करोड़ की आबादी में 24.7 फीसदी की वृद्धि के साथ बिहार की जनसंख्या 16 करोड़ के पार पहुंच जाएगी.

'संसाधनों को बढ़ाने पर करना होगा कामः' जिस तरह से बिहार की जनसंख्या बढ़ रही है वो बेहद ही चिंता का सबब है. ऐसे में समाजशास्त्रियों का मानना है कि सरकार को अभी से संसाधनों को बढ़ाने पर जोर देना होगा. समाजशास्त्री डॉ. विद्यार्थी विकास का कहना है कि "अभी बिहार की अनुमानित आबादी करीब 13 करोड़ है और 2044 तक ये 16 करोड़ हो जाएगी. ऐसे में हमारे संसाधनों को लगभग डेढ़ गुना बढ़ाना पड़ेगा."

"सड़क, बिजली, स्कूल, कॉलेज, स्वास्थ्य सुविधाएं. अगर उस अनुपात में ढांचागत विकास नहीं होता है तब ये जनसंख्या अभिशाप बनती जाएगी. ऐसे में सरकार को चाहिए कि वो ऐसी नीतियों का निर्माण करे कि 20 साल बाद जिन संसाधनों की जरूरत हो वो पर्याप्त रहें ताकि आनेवाले 20 सालों में 3 से 4 करोड़ की जुड़नेवाली आबादी के जीवन-यापन की व्यवस्था हो सके." डॉ. विद्यार्थी विकास, समाजशास्त्री

जनसंख्याः वरदान या अभिशाप ?: समाजशास्त्रियों का मानना है कि ये सरकार की नीतियों पर निर्भर करता है कि बढ़ती जनसंख्या अभिशाप का रूप ले रही है या फिर वरदान साबित हो रही है. समाजशास्त्री बीएन प्रसाद का कहना है कि "जो नीति निर्माता हैं उन्हें विचार करना होगा कि बढ़ती जनसंख्या को कैसे वरदान बनाया जाए."

"आप स्किल डेवलपमेंट करा सकें, लोगों को ग्रामीण विकास के साथ जोड़ सकें,आईटीआई का विस्तार कर सकें. बिहार की आर्थिक विकास की नींव माने जानेवाले ग्रामीण क्षेत्रों को मजबूत कर सकें. युवाओं को रोजगार और सामाजिक सरोकार से जोड़ सकें तो ये बढ़ती हुई जनसंख्या आपके लिए वरदान बन जाएगी." बीएन प्रसाद, समाजशास्त्री

संसाधनों के विकास के साथ जनसंख्या नियंत्रण जरूरीः जनसंख्या वृद्धि की तरह संसाधनों का विकास भी एक सतत प्रक्रिया है लेकिन इस सच्चाई से भी मुंह नहीं मोड़ा जा सकता है कि जनसंख्या वृद्धि और संसाधनों के विकास को एक तराजू पर नहीं तौला जा सकता है. व्यावहारिक रूप से बढ़ती जनसंख्या के अनुपात में संसाधनों का विकास मुश्किल है. ऐसे में संसाधनों के विकास के साथ-साथ जनसंख्या नियंत्रण की नीतियों पर भी पूरी गंभीरता के साथ काम करने की जरूरत है.

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Last Updated : Jul 11, 2024, 3:54 PM IST
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