नई दिल्ली: आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल अगर गिरफ्तार हो जाते हैं तब भी सरकार जेल से ही चलाएंगे. यह बात बीते कुछ महीनों से आम आदमी पार्टी के शीर्ष नेता और मंत्री करते आ रहे थे. गुरुवार रात को जब केजरीवाल गिरफ्तार हो गए उसके बाद भी आप नेता व मंत्री आतिशी से लेकर सौरभ भारद्वाज तक ने इसे दोहराया है कि सरकार जेल से चलेगी. लेकिन सरकार कैसे चलेगी यह एक बड़ा सवाल है. या फिर कमान आप नेता आतिशी, सौरभ, गोपाल राय, या फिर अरविंद केजरीवाल की धर्मपत्नी सुनीता केजरीवाल को सौंपी जाएगी, इसको लेकर सत्ता के गलियारों में चर्चा शुरू हो गई है.
गिरफ्तारी के बाद सीएम की पत्नी सुनीता केजरीवाल ने किया ट्विट
शुक्रवार शाम को सुनीता केजरीवाल की पहली प्रतिक्रिया आई है. उन्होंने दिल्ली की जनता पार्टी के कार्यकर्ताओं को लेकर एक्स पर लिखा है कि "आपके 3 बार चुने हुए मुख्यमंत्री को मोदीजी ने सत्ता के अहंकार में गिरफ़्तार करवाया. सबको crush करने में लगे हैं. यह दिल्ली के लोगों के साथ धोखा है. आपके मुख्यमंत्री हमेशा आपके साथ खड़े रहें हैं.अंदर रहें या बाहर, उनका जीवन देश को समर्पित है. जनता जनार्दन है सब जानती है.
दोष सिद्ध नहीं हो तक मुख्यमंत्री पद पर बना रहा जा सकता है
संविधान विशेषज्ञ एस के शर्मा के अनुसार जब तक दोष सिद्ध नहीं हो जाता, सजा नहीं मिल जाती, तब तक मुख्यमंत्री पद पर बना रहा जा सकता है. लेकिन प्रायोगिक तौर पर देखा जाए तो सरकार चलाने के लिए सरकारी कामकाज जेल से होना आसान नहीं है. सरकारी योजनाएं, फैसलों से संबंधित दस्तावेज पर सहमति लेने के लिए पहले कोर्ट से परमिशन लेनी होगी फिर मुख्यमंत्री की सहमति लेने के लिए उनके पास भेजा जाएगा. ऐसे में अब चर्चा शुरू हो गई है कि आप में नेतृत्व का संकट तो नहीं उत्पन्न नहीं हो गया है. क्योंकि अरविंद केजरीवाल समेत आम आदमी पार्टी के शीर्ष नेता जेल में बंद हैं और जो पुराने साथी थे, उनसे पहले ही अरविंद केजरीवाल नाता खत्म कर चुके हैं.
अरविंद केजरीवाल की गिरफ्तारी उनकी कृति के कारण हुई- अन्ना हजारे
समाजसेवी अन्ना हजारे के नेतृत्व में अरविंद केजरीवाल ने भ्रष्टाचार के खिलाफ जन आंदोलन शुरू किया था. उन अन्ना हजारे ने अरविंद केजरीवाल की गिरफ्तारी को लेकर जो टिप्पणी की है वह भी खास है. अन्ना हजारे ने कहा है कि "अरविंद केजरीवाल, जिसने मेरे साथ काम किया और शराब के खिलाफ हमने आवाज़ उठाई थी, वो आज शराब नीति बना रहे हैं. इसका मुझे दुख हुआ. उनकी गिरफ्तारी उनकी कृति के कारण हुई है.
वहीं, सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश संतोष हेगड़े जो अरविंद केजरीवाल के पुराने साथी रहे हैं, जिन्होंने अन्ना हजारे की अगुवाई में इंडिया अगेंस्ट करप्शन आंदोलन में भी हिस्सा लिया था, ने अरविंद केजरीवाल की गिरफ्तारी को लेकर प्रतिक्रिया दी है. उनका कहना है कि सत्ता में आने पर लालच हावी हो जाता है, साफ तौर पर दिखता है. ऐसा लगा था कि आम आदमी पार्टी सरकार इस स्तर पर निष्पक्षता रखेगी लेकिन ऐसा नहीं हुआ. ऐसे में अब यह चर्चा शुरू हो गई है कि अरविंद केजरीवाल अगर स्वयं आगे जाकर मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे देते हैं तो दिल्ली का मुख्यमंत्री कौन होगा?
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कांग्रेस के साथ गठबंधन में दिल्ली की सात लोकसभा सीट पर चुनाव लड़ने का जो प्लान बनाया गया था उस पर अब आगे काम कैसे होगा? हालांकि अरविंद केजरीवाल की गिरफ्तारी के बाद गुरुवार रात कुछ विधायक और कार्यकर्ताओं ने उनके घर पर प्रदर्शन किया था. लेकिन अधिकांश विधायक नहीं आए. शुक्रवार को जिस समय ईडी में केजरीवाल को कोर्ट में पेश किया उस दौरान आम आदमी पार्टी के कई विधायक और पार्षद मुख्यमंत्री आवास पर जाकर उनके परिवार से मिले और साथ खड़े होने का भरोसा दिया. इसे एकजुटता दिखाने की कोशिश की गई है.
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शराब घोटाले में ही आम आदमी पार्टी के शीर्ष नेता मनीष सिसोदिया, संजय सिंह और उससे पहले मनी लांड्रिंग के मामले में सत्येंद्र जैन तिहाड़ जेल में बंद हैं. इन बड़े नेताओं की गिरफ्तारी के बाद आतिशी और सौरभ भारद्वाज का कद बढ़ा है. आप नेताओं में से इन दोनों पर ही केजरीवाल ने भरोसा जताते हुए अपने मंत्रिमंडल में शामिल किया. तो क्या इन्हें कुछ और जिम्मेदारी मिल सकती है. हालांकि सौरभ भारद्वाज, आतिशी, गोपाल राय या पार्टी के सांसद संदीप पाठक की बात करें तो अभी तक स्थिति स्पष्ट नहीं है.
बता दें कि गत वर्ष दिसंबर में आम आदमी पार्टी ने एक हस्ताक्षर कैंपेन चलाया था "मैं भी केजरीवाल" जिसमें लोगों से पूछा गया था कि क्या उन्हें लगता है कि अरविंद केजरीवाल को दिल्ली के मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे देना चाहिए या गिरफ्तार होने पर जेल से सरकार चलानी चाहिए? इस अभियान को लेकर पार्टी के सांसद संदीप पाठक का कहना है कि 90 लोगों की राय यह थी कि केजरीवाल ही चुने हुए मुख्यमंत्री हैं. वह जेल में रहे या कहीं भी, मुख्यमंत्री वही रहेंगे. अब केजरीवाल गिरफ्तार भी हो चुके हैं तो ऐसे में दिल्ली की सत्ता पर किसका शासन होगा और क्या जेल से ही दिल्ली पर शासन करना संभव होगा? यह भी देखने वाली बात है.
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