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Watch : श्रीनगर के अमर सिंह कॉलेज में चिनार के पेड़े काटे गए, छात्रों व पर्यावरणविदों ने जताया विरोध - Srinagar Amar Singh college

Iconic Poplar Trees Axed: श्रीनगर के अमर सिंह कॉलेज में लगे 200 से अधिक ऊंचे चिनार के पेड़ों को काट दिए गए हैं. इसको लेकर छात्रों के अलावा पर्यावरणविदों ने भी विरोध जताया है. पढ़िए पूरी खबर...

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By ETV Bharat Hindi Team

Published : Mar 23, 2024, 6:39 PM IST

Updated : Mar 23, 2024, 7:21 PM IST

Iconic Poplar Trees Axed
प्रतिष्ठित चिनार के पेड़ काटे गए
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श्रीनगर: 1913 में स्थापित कश्मीर के दूसरे सबसे पुराने शैक्षणिक संस्थान अमर सिंह कॉलेज ने हाल ही में अपने परिसर से 200 से अधिक ऊंचे चिनार के पेड़ों को काट दिया है. जो पिछले कुछ वर्षों से कॉलेज की पहचान का पर्याय बन गए थे. इन पेड़ो से संस्थान की 114 साल पुरानी विरासत इमारत की ओर जाने वाली एक राजसी हरी सुरंग बनाई गई जो एंग्लो-इंडियन वास्तुकला के मिश्रण वाली विरासत इमारत के पास पहुंचती हैं. इन पेड़ों को काटे जाने से छात्रों, कॉलेज के पूर्व छात्रों और पर्यावरणविदों में समान रूप से विरोध और आक्रोश की लहर साफ दिख रही है. कभी आगंतुकों द्वारा एक शांत गोल हरे पार्क में मार्गदर्शन करने के लिए जाता यह रास्ता अब एक कंक्रीट फव्वारा क्षेत्र में दिखाई दे रहा है. इन पेड़ों की हानि कॉलेज समुदाय द्वारा गहराई से महसूस की जा सकती है.

एक पूर्व छात्र जुनैद डार ने अपनी निराशा व्यक्त करते हुए इस कृत्य को 'पेड़ों की निर्मम हत्या' करार दिया. एक बयान में उन्होंने अफसोस जताते हुए कहा कि हमारे खूबसूरत परिदृश्यों का विनाश अक्षम्य है. इन हरे खजानों को छोड़ दें, कुछ करुणा दिखाएं, प्रकृति की इन हरी सुरंगों और टुकड़ों को संरक्षित करें जो हमारी यादें संजोए हुए हैं. वहीं वकील दीबा अशरफ ने अमर सिंह कॉलेज की पहचान के अभिन्न अंग के रूप में पेड़ों के महत्व पर प्रकाश डालते हुए इस भावना को दोहराया और कहा कि ये पेड़ अमर सिंह कॉलेज की पहचान थे. अशरफ ने कहा कि फिल्म निर्माताओं सहित, कॉलेज में शूटिंग करने वाला कोई भी व्यक्ति इन पेड़ों को ऊंचाई से शुरुआत में दिखाता था.

इंटैक कश्मीर के डिजाइन निदेशक हकीम समीर हमदानी ने चिनार के पेड़ों के स्थान पर कोनिफर्स लगाने पर चिंता व्यक्त की और इस बात पर जोर दिया कि कोनिफर्स कभी भी देशी चिनार का स्थान नहीं ले सकते. उन्होंने निर्णय की आलोचना करते हुए कहा कि पहले उन्होंने एक ऊंची चिनाई वाली दीवार का निर्माण किया जब मूल सादा चेन लिंक बाड़ अच्छा लग रहा था. अब यह आपदा. वहीं निर्णय के बचाव में प्रिंसिपल शेख एजाज़ बशीर ने सुरक्षा चिंताओं का हवाला देते हुए कहा कि पेड़ बूढ़े हो गए थे और जीवन और संपत्ति के लिए खतरा पैदा हो सकता था.पेड़ों को हटाने को उचित ठहराते हुए एजाज़ ने बताया कि समय के साथ पेड़ पुराने हो गए हैं और जीवन और संपत्ति के लिए गंभीर खतरा पैदा कर रहे हैं. इन पेड़ों के कारण कुछ दुर्घटनाएं भी हुई हैं.

उन्होंने दृश्यता बढ़ाने और परिसर को सुंदर बनाने के उद्देश्य से एक प्रमुख बदलाव के लिए कॉलेज की योजनाओं के बारे में विस्तार से बताया. ऐजाज़ ने खुलासा किया कि वहां एक पारदर्शी गेट होगा जो हेरिटेज बिल्डिंग को दृश्यमान बनाएगा. हम एक अत्याधुनिक फव्वारा भी लगाएंगे उन्होंने आश्वासन दिया कि काटे गए पेड़ों को 2018-19 में सामाजिक वानिकी विभाग जम्मू-कश्मीर द्वारा समानांतर पंक्तियों में लगाए गए शंकुधारी पेड़ों से बदल दिया गया है. उन्होंने बताया कि यह परियोजना वन विभाग के तत्वावधान में 2019 में शुरू हुई थी. उन्होंने परिसर के भीतर 234 पेड़ों को हटाने के लिए निविदा शुरू की थी. हालांकि शुरुआत में अनुच्छेद 370 को निरस्त करने से उत्पन्न परिस्थितियों और बाद में कोविड-19 महामारी के कारण इसमें देरी का सामना करना पड़ा. 2014 की बाढ़ की स्थिति के मद्देनजर इस परियोजना को आवश्यक समझा गया था.

उन्होंने आगे कहा कि यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि सभी पेड़ नहीं काटे गए हैं. केवल परिधि और मुख्य मार्ग से जुड़े पेड़ ही प्रभावित हुए हैं. उन्होंने आश्वासन दिया कि परिसर में हरियाली बरकरार रहेगी. उन्होंने कहा कि मैं पिछले साल इस कॉलेज में आया था, और वन विभाग द्वारा किए गए एक अन्य सर्वेक्षण के बाद परियोजना शुरू हुई थी. बता दें 35 हेक्टेयर भूमि में फैले अमर सिंह कॉलेज ने पहले अपनी बहाली की पहल के लिए प्रशंसा अर्जित की थी. संस्था को सांस्कृतिक विरासत संरक्षण के लिए 2020 यूनेस्को एशिया-प्रशांत पुरस्कार में मेरिट पुरस्कार से सम्मानित किया गया था.

यह भी पढे़ : पर्यटकों के लिए खुला ट्यूलिप गार्डन, फूलों से महक उठी कश्मीर वादी - Tulip Garden Open For Public

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श्रीनगर: 1913 में स्थापित कश्मीर के दूसरे सबसे पुराने शैक्षणिक संस्थान अमर सिंह कॉलेज ने हाल ही में अपने परिसर से 200 से अधिक ऊंचे चिनार के पेड़ों को काट दिया है. जो पिछले कुछ वर्षों से कॉलेज की पहचान का पर्याय बन गए थे. इन पेड़ो से संस्थान की 114 साल पुरानी विरासत इमारत की ओर जाने वाली एक राजसी हरी सुरंग बनाई गई जो एंग्लो-इंडियन वास्तुकला के मिश्रण वाली विरासत इमारत के पास पहुंचती हैं. इन पेड़ों को काटे जाने से छात्रों, कॉलेज के पूर्व छात्रों और पर्यावरणविदों में समान रूप से विरोध और आक्रोश की लहर साफ दिख रही है. कभी आगंतुकों द्वारा एक शांत गोल हरे पार्क में मार्गदर्शन करने के लिए जाता यह रास्ता अब एक कंक्रीट फव्वारा क्षेत्र में दिखाई दे रहा है. इन पेड़ों की हानि कॉलेज समुदाय द्वारा गहराई से महसूस की जा सकती है.

एक पूर्व छात्र जुनैद डार ने अपनी निराशा व्यक्त करते हुए इस कृत्य को 'पेड़ों की निर्मम हत्या' करार दिया. एक बयान में उन्होंने अफसोस जताते हुए कहा कि हमारे खूबसूरत परिदृश्यों का विनाश अक्षम्य है. इन हरे खजानों को छोड़ दें, कुछ करुणा दिखाएं, प्रकृति की इन हरी सुरंगों और टुकड़ों को संरक्षित करें जो हमारी यादें संजोए हुए हैं. वहीं वकील दीबा अशरफ ने अमर सिंह कॉलेज की पहचान के अभिन्न अंग के रूप में पेड़ों के महत्व पर प्रकाश डालते हुए इस भावना को दोहराया और कहा कि ये पेड़ अमर सिंह कॉलेज की पहचान थे. अशरफ ने कहा कि फिल्म निर्माताओं सहित, कॉलेज में शूटिंग करने वाला कोई भी व्यक्ति इन पेड़ों को ऊंचाई से शुरुआत में दिखाता था.

इंटैक कश्मीर के डिजाइन निदेशक हकीम समीर हमदानी ने चिनार के पेड़ों के स्थान पर कोनिफर्स लगाने पर चिंता व्यक्त की और इस बात पर जोर दिया कि कोनिफर्स कभी भी देशी चिनार का स्थान नहीं ले सकते. उन्होंने निर्णय की आलोचना करते हुए कहा कि पहले उन्होंने एक ऊंची चिनाई वाली दीवार का निर्माण किया जब मूल सादा चेन लिंक बाड़ अच्छा लग रहा था. अब यह आपदा. वहीं निर्णय के बचाव में प्रिंसिपल शेख एजाज़ बशीर ने सुरक्षा चिंताओं का हवाला देते हुए कहा कि पेड़ बूढ़े हो गए थे और जीवन और संपत्ति के लिए खतरा पैदा हो सकता था.पेड़ों को हटाने को उचित ठहराते हुए एजाज़ ने बताया कि समय के साथ पेड़ पुराने हो गए हैं और जीवन और संपत्ति के लिए गंभीर खतरा पैदा कर रहे हैं. इन पेड़ों के कारण कुछ दुर्घटनाएं भी हुई हैं.

उन्होंने दृश्यता बढ़ाने और परिसर को सुंदर बनाने के उद्देश्य से एक प्रमुख बदलाव के लिए कॉलेज की योजनाओं के बारे में विस्तार से बताया. ऐजाज़ ने खुलासा किया कि वहां एक पारदर्शी गेट होगा जो हेरिटेज बिल्डिंग को दृश्यमान बनाएगा. हम एक अत्याधुनिक फव्वारा भी लगाएंगे उन्होंने आश्वासन दिया कि काटे गए पेड़ों को 2018-19 में सामाजिक वानिकी विभाग जम्मू-कश्मीर द्वारा समानांतर पंक्तियों में लगाए गए शंकुधारी पेड़ों से बदल दिया गया है. उन्होंने बताया कि यह परियोजना वन विभाग के तत्वावधान में 2019 में शुरू हुई थी. उन्होंने परिसर के भीतर 234 पेड़ों को हटाने के लिए निविदा शुरू की थी. हालांकि शुरुआत में अनुच्छेद 370 को निरस्त करने से उत्पन्न परिस्थितियों और बाद में कोविड-19 महामारी के कारण इसमें देरी का सामना करना पड़ा. 2014 की बाढ़ की स्थिति के मद्देनजर इस परियोजना को आवश्यक समझा गया था.

उन्होंने आगे कहा कि यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि सभी पेड़ नहीं काटे गए हैं. केवल परिधि और मुख्य मार्ग से जुड़े पेड़ ही प्रभावित हुए हैं. उन्होंने आश्वासन दिया कि परिसर में हरियाली बरकरार रहेगी. उन्होंने कहा कि मैं पिछले साल इस कॉलेज में आया था, और वन विभाग द्वारा किए गए एक अन्य सर्वेक्षण के बाद परियोजना शुरू हुई थी. बता दें 35 हेक्टेयर भूमि में फैले अमर सिंह कॉलेज ने पहले अपनी बहाली की पहल के लिए प्रशंसा अर्जित की थी. संस्था को सांस्कृतिक विरासत संरक्षण के लिए 2020 यूनेस्को एशिया-प्रशांत पुरस्कार में मेरिट पुरस्कार से सम्मानित किया गया था.

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Last Updated : Mar 23, 2024, 7:21 PM IST
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