गोपालगंजः दोस्त के कारण मानव तस्करी के शिकार शुभम कुमार शायद ही अब दोस्ती जैसे रिश्ते पर विश्वास कर पाएंगे. कंबोडिया से लौटे शुभम कुमार कंप्यूटर ऑपरेटर का काम करने गए थे, लेकिन वहां अपने ही देश के लोगों से साइबर फ्रॉड कराना पड़ रहा था. मना करने पर मेढ़क वाला कमरे भूखे-प्यासे बंद रखा. इलेक्ट्रिक शॉर्ट देकर टॉर्चर भी किया, किसी तरह वहां से अपना वतन लौटे. ईटीवी भारत से बातचीत में उसने अपना दर्द बयां किया.
केस दर्ज कराने के बाद एक्शन में एनआईएः गोपालगंज के शुभम कुमार ने साइबर थाना में केस दर्ज कराया. इसके बाद एनआईए एक्शन में है. घुरुवार को एजेंसी ने 6 राज्य के 22 जगहों पर रेड मारी जिसमें मानव तस्करी, साइबर क्राइम और फर्जीवाड़ा का खुलासा हुआ. गुरुवार को बिहार के गोपालगंज के 5 अलग-अलग जगहों पर छापेमारी हुई. इस कार्रवाई में 36 लाख व अन्य कागजात जब्त जब्च किए गए. कई ट्रेवल एजेंसी और घरों में छापेमारी की जिसमें कई खुलासे सामने आए हैं.
शुभम कुमार मानव तस्करी के शिकार: 28 वर्षीय शुभम कुमार हथुआ थाना के रहने वाले हैं. इनके पिता वीरेंद्र शर्मा का निधन हो चुका है. घर की सारी जिम्मेदारी इन्हें के ऊपर है. बिहार में नौकरी की तलाश कर रहे थे कि इनके दोस्त ने कंबोडिया जाने का आईडिया दिया. कहा कि वहां कंप्यूटर ऑपरेटर का काम मिल जाएगा और सैलरी भी अच्छी रहेगी.
"हथुआ बाजार में मीरगंज के कवलहाता गांव निवासी अशोक सिंह के मकान में मौसा दुर्गेश कुमार शर्मा का कपड़े की दुकान है. वहां आना-जाना होता था. वहीं, अशोक सिंह के बेटा अर्जुन सिंह से दोस्ती हुई. अर्जुन सिंह ने 29 नवंबर 2023 को फोन कर कहा कि मेरे पिता विदेश भेजने के लिए एजेंट का काम करते हैं. तुमको भी विदेश में कंप्यूटर ऑपरेटर की नौकरी मिल जाएगी. हमसे पासपोर्ट और 1,50,000 रुपया लिया. खाते में रुपया भेजे थे." -शुभम कुमार
कोलकाता टू कम्बोडिया: अशोक सिंह ने टूरिस्ट विजा पर 27 नवंबर 2023 को कोलकता से वियतनाम के होचिमिह्न सिटी भेजा. वहां एक अजनवी द्वारा रिसीव कर मुन्ना सिंह उर्फ आनन्द कुमार सिंह के पास ले जाया गया. मुन्ना सिंह ने मुझसे 350 डॉलर लिए और स्यानों बिल्ला नाम के जगह पर DG Group नाम से संचालित ग्रुप के चाईनीज लोगों को सौंप दिया. बताया कि सभी को रात में ही इंटरव्यु के लिए बुलाया और नौकरी पर रख ली.
फेसबुक और इंस्ट्राग्राम से ठगीः शुभम ने बताया कि ड्यूटी ज्वाइन करने पर पता चला कि कंपनी में Online Scheme के माध्यम से साइबर क्राइम कराया जाता था. फेसबुक और इंस्टाग्राम पर लड़की का फर्जी आईडी बनाया जाता था. हनी ट्रैप, धमकी या लौटरी का लालच देकर लोगों से रुपए ठगे जाते थे. स्क्रिप्ट बनाकर ऑडियो में कनवर्ट कर टेलीग्राम में मंगवाना होता था. शुभम ने बताया कि पहले हम लोग फेसबुक और इंस्टाग्राम पर बात करते थे, फिर लड़कों को टेलीग्राम पर ले आते थे. वहां ऑडियो मंगवाते थे. इस ऑडियो को टीम लीडर बेच देता था.
बड़े लोगों को बनाते थे शिकारः दो दिन सोशल मीडिया पर काम करने के बाद कॉल सेंटर भेजा गया. डीएचएल इंटरनेशन कुरियर सर्विस के नाम पर करोड़ों की ठगी की जाती थी. उसने बताया कि इस काम को चाइनीज और पाकिस्तानी मिलकर करते थे. बताया कि भारत के बड़े बड़े लोगों को फोन किया जाता था और धमकी दी जाती थी कि "हेलो..आपका पार्सल पकड़ा गया है. पुलिस आपके खिलाफ कार्रवाई करेगी." इस तरह ब्लेकमेल कर ठगी किया जाता था.
500 करोड़ का ठगी टार्गेटः शुभम ने बताया कि इसमें कई ग्रुप काम करता था. प्रत्येक ग्रुप का 500 करोड़ का ठगी टार्गेट था. जो इसे पूरा करता था. उसे कई सारी सुविधा दी जाती थी. बार में घुमाना, टूर पर भेजना, अच्छा रहना-सहन, गाड़ी आदि की सुविधा दी जाती थी. शुभम को लगा कि यह देश विरोधी काम है तो उसने काम करना बंद कर दिया. काम नहीं करने के कारण टॉर्चर भी हुआ. खाना नहीं दिया जाता था और इलेक्ट्रिक शॉर्ट दिया जाता था.
"श्यानक बिला कंपनी के गोल्डेन कसीनो कंपाउंड में मुझे रखा गया. दो सौ ग्रुप संचालित हो रहे थे. मैंने काम करने से मना किया तो चाइनीजों ने 9th फ्लोर के कमरे में बन्द कर दिया. उसमें मेढक रख दिए. इलेक्ट्रिक शॉर्ट दिया गया. खाना-पिना बन्द कर दिया गया. एक ट्रांसलेटर लड़की से पता चला कि मुझे एजेंट ने दो हजार डॉलर में बेच दिया है. जब तक पैसा नहीं मिलेगा नहीं जाने दिया जाएगा." -शुभम कुमार
किसी ने नहीं की मददः शुभम ने इसकी जानकारी अपने मामा उपेन्द्र कुमार शर्मा को दी. कहा कि अशोक सिंह (जिसके मकान में मामा की दुकान थी) और मुन्ना सिंह ने यहां बेच दिया है. कुछ देर बाद अशोक सिंह को फोन किया तो उन्होंने फोन नहीं उठाया. मुन्ना सिंह को फोन किया कहते थे कि अपने एजेंट अशोक सिंह से बात करो. धमकी भी देता था. कहता था कि "तुमलोग बिजनेश को तमाशा बना दिए हो. मेरे पास फोन मत करों वरना ब्लॉक कर देंगे." इसके कुछ दिन बाद दोस्त अर्जुन सिंह ने फोन कर कहा कि 2 लाख देना पड़ेगा.
"मेरे मामा और मां ने जैसे-तैसे रुपयों का इंतजाम किया. 15 दिसम्बर 2023 को एक लाख रुपया अर्जुन सिंह मेरे घर आकर लिया. अर्जुन ने कहा कि वह अपने पापा को मुन्ना सिंह से बाहर निकालने के लिए कहेगा. मुन्ना सिंह ने कहा कि तुम्हारा टिकट मांग रहा है. अपना टिकट करा कर दो तभी वे तुम्हे बाहर निकालेंगे. मैंने 18,600 रुपये का टिकट 21 दिसंबर 2023 का करा लिया. एक दिन बाद मुन्ना सिंह मुझे DG Group से बाहर निकाल लिया." -शुभम कुमार
25 दिसंबर को कुशल भारत लौटाः शुभम ने बताया कि बाहर तो निकल गए लेकिन पासपोर्ट नहीं मिला. जिस कारण टिकट बेकार हो गया. मुन्ना सिंह ने कहा कि और रुपया दो वरना पासपोर्ट नहीं मिलेगा. 4 दिन दूसरे लड़के के रूम रखा गया. इसके बाद अशोक सिंह और उसके लड़के को फोन कर कहा कि बोला कि "मैं भारतीय दूतावास जा रहा हूं." तब 25 दिसंबर 2023 को सुबह मुन्ना सिंह ने अभिरंजन नाम के लड़के से पासपोर्ट भेजा. उसी दिन 18, 600 का टिकट कराकर भारत आ गया.
केस दर्ज होने के बाद एनआईए एक्टिवः भारत आने के बाद शुभम कुमार ने साइबर थाना में स्व राधाकिशुन सिंह के बेटा अशोक सिह, अशोक सिंह के बेटा अर्जुन सिंह, दीपक कुमार सिह, एजेंट मुन्ना सिंह उर्फ़ आनंद कुमार सिंह के अलावा अभिरंजन को नामजद आरोपी बनाया था. केस दर्ज होने के बाद पुलिस ने एनआईए को इसकी सूचना दी. सूचना के बाद एनआईए ने शुभम कुमार से पूछताछ की और कई जगहों पर छापेमारी की, जिसमें कई खुलासे हुए.
NIA Searches 22 Locations in 6 States in Human Trafficking & Forced Cyber Frauds Case pic.twitter.com/YA7qvqwomt
— NIA India (@NIA_India) November 28, 2024
30 हजार भारतीय विदेशों में फंसेः बता दें कि इस तरह का कोई नया मामला नहीं है. 30 हजार ऐसे भारतीय हैं जो पिछले ढाई साल में पर्यटक वीजा पर विदेश घूमने गए लेकिन भारत वापस नहीं आए. इनमें पंजाब, महाराष्ट्र, तमिलनाडु और बिहार के लोग शामिल हैं. यह आंकड़े ब्यूरो ऑफ इमीग्रेशन मिनिस्ट्री ऑफ होम अफेयर्स ने जारी की थी. यह संस्थान इंटेलिजेंस ब्यूरो के तहत काम करता है.
इससे पहले भी सामने आ चुका है मामला: इससे पहले जुलाई 2024 में इस तरह का मामला सामने आया था. कंबोडिया में ही बिहार और यूपी के मजदूर मानव तस्करी के शिकार हो गए थे. 15 से 20 मजदूर फंस गए थे. प्रत्येक व्यक्ति 1 लाख 65 हजार रुपया एजेंट को देकर कंबोडिया गए थे. वहां पर उनसे गलत काम करवाया जाता था. विरोध करने पर पासपोर्ट छीन लिया था. मजदूरों ने वीडियो जारी कर भारत वापस बुलाने की मांग की थी.
गोपालगंज से ही आया था मामलाः दरअसल, यह मामला भी गोपालगंज से ही आया था. चनावे गांव निवासी झूलन चौहान ने मोदी सरकार से अपने भाई की वापसी की गुहार लगायी थी. बताया था कि उसका भाई ढाई कंबोडिया में नौकरी करने गया था. वहीं उसे बंधक बना लिया गया था. खाना पीना ना देकर कमरे में बंद रखा जाता था. कंपनी का विरोध किया था तो स्थानीय पुलिस को सौंप दिया गया था.
इससे कैसे करें बचाव: दरअसल, इस तरह का मामला लगातार सामने आने के बाद विदेशों में काम करने वाले भारतीय दूतावास ने एडवाइजरी जारी की थी. इसमें संभावित नौकरी की पूरी तरह से जांच करना, गलत गतिविधियों में शामिल ना होना, एजेंट के माध्यम से नौकरी के लिए नहीं जाना, अच्छी सैलरी और सुविधाओं के लोभ में ना पड़ना, पर्यटक वीजा पर नौकरी के लिए नहीं जाना, सोशल मीडिया से नौकरी की झांसे से दूर रहना आदि शामिल है.
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