रांची: 2019 में भाजपा को सत्ता से बाहर कर महागठबंधन के नेता के रूप में हेमंत सोरेन राज्य के मुख्यमंत्री बने तो झारखंड की राजनीति में एक नया नारा बड़ी तेजी से छा गया था कि "हेमन्त है तो हिम्मत है" अब जब हेमंत सोरेन ED की कार्रवाई के बाद करीब पांच महीना जेल में गुजारने के बाद जमानत पर बाहर निकले हैं तो एक नया नारा गढ़ा गया है "साजिशों के खेल का हुआ अंत, आ गया अपना हेमंत". ऐसे में सवाल उठता है कि नारों में बदलाव की तरह झारखंड की राजनीति की दशा और दिशा भी हेमंत सोरेन के जेल से बाहर आने के बाद बदलेगी?
ईटीवी भारत ने राज्य की जनता के मन में उठ रहे इन प्रश्नों को जानने और समझने के लिए राजनीतिक दलों के नेताओं से बातचीत के साथ-साथ राज्य की राजनीति को नजदीक से जानने समझने वाले पत्रकारों से भी बात की तो कई तरह की बातें सामने आई. राज्य में INDIA गठबंधन को भरोसा है कि हेमंत सोरेन की लोकप्रियता के रथ पर सवार होकर फिर एक बार महागठबंधन राज्य की सत्ता प्राप्त करने में सफल हो जाएगा तो भाजपा को लगता है कि अब जब हेमंत बाहर आ गए हैं तो सत्ता के दो केंद्र हो जाएंगे. चम्पाई और हेमंत के बीच का संघर्ष शुरू होगा.
राज्य की जनता हेमंत सोरेन से 2019 के वादों का हिसाब मांगेगी और नतीजे में विधानसभा चुनाव में करारी हार के बाद महागठबंधन सत्ता से बाहर हो जाएगा. इन सबके बीच राज्य की राजनीति को बेहद नजदीक से जानने समझने वाले वरिष्ठ पत्रकार राजेश कुमार कहते हैं कि हेमंत सोरेन के जेल में रहते लोकसभा चुनाव के दौरान जो सहानुभति उनके प्रति थी वह नहीं रहेगा. नतीजे में नुकसान महागठबंधन को होगा.
वहीं, वरिष्ठ पत्रकार सतेंद्र सिंह कहते हैं कि हेमंत सोरेन की लोकप्रियता निश्चित रूप से जेल जाने के बाद और बढ़ी है. लेकिन यही वक्त है जब झामुमो को पॉलिटिकल मैच्योरिटी दिखाना होगा. मुख्यमंत्री के रूप में चम्पाई सोरेन को फ्री हैंड छोड़ कर हेमंत और कल्पना सोरेन जनता के बीच चले जाएं, उनके मुद्दे सुने और बताएं कि कैसे एक आदिवासी मुख्यमंत्री को ओबीसी आरक्षण बढ़ाने, सरना धर्म कोड लागू करने, 1932 खतियानी स्थानीय नीति पर काम करना शुरू किया तो भाजपा ने साजिश रचकर उन्हें जेल भेज दिया.
महागठबंधन में झामुमो की बढ़ेगी बारगेनिंग पॉवर!
वरिष्ठ पत्रकार सतेंद्र सिंह कहते हैं कि हेमंत सोरेन के जेल से बाहर आने और कल्पना सोरेन-हेमंत सोरेन की बढ़ती लोकप्रियता का नतीजा यह भी होगा कि जब विधानसभा चुनाव के लिए I.N.D.I.A ब्लॉक के नेता एक टेबल पर बैठेंगे तो झामुमो की ओर से 2019 की अपेक्षा अधिक सीट की डिमांड की जायेगी. सूत्र बता भी रहे हैं कि इस बार झामुमो 2019 की अपेक्षा अधिक सीटों पर चुनाव लड़ेगा.
चम्पाई सोरेन को लेकर दया आती है- भाजपा
झारखंड भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता अविनेश कुमार सिंह ने कहा कि हेमंत सोरेन के जेल से छूटने का कोई राजनीतिक प्रभाव राज्य में नहीं पड़ेगा क्योंकि राज्य की जनता यह जान चुकी है कि 2019 में हेमंत सोरेन ने उन्हें ठगने का काम किया है. ऐसे में जब हेमंत सोरेन जनता के बीच जाएंगे तब जनता उनसे सवाल करेगी कि जो वादे 2019 में उन्होंने किया है उसका क्या हुआ? भाजपा प्रवक्ता ने कहा कि उन्हें मुख्यमंत्री चंपाई सोरेन को देखकर तरस आता है क्योंकि हेमंत सोरेन के जमानत के बाद उनके लोग ऐसा उत्साह दिखा रहे हैं मानो वह कोई क्रांति करके आए हैं. भाजपा नेता ने कहा कि झारखंड मुक्ति मोर्चा और महागठबंधन इस राज्य में दोबारा सत्ता में नहीं आने वाली है.
हेमंत है तो हिम्मत है- प्रदेश कांग्रेस
झारखंड कांग्रेस के प्रदेश प्रवक्ता कमल ठाकुर ने हेमंत सोरेन को जमानत मिलने के बाद कहा कि इसका व्यापक असर राज्य की राजनीति पर पड़ेगा और 2019 की अपेक्षा और अधिक सीटों पर महागठबंधन की जीत होगी और दोबारा हमारी सरकार बनेगी क्योंकि जनता आज की तारीख में हेमंत है तो हिम्मत है के नारे पर भरोसा करती है.
वहीं झामुमो की राज्यसभा सांसद महुआ माजी ने कहा कि राज्य में लोकसभा चुनाव में सभी जनजातीय रिजर्व सीट पर INDIA की जीत हुई है और अब विधानसभा चुनाव में भी भाजपा परास्त होगी. कुल मिलाकर कहें तो हेमंत सोरेन की जमानत के बाद तत्काल तो कोई सीधा असर राज्य की राजनीति पर पड़ने की उम्मीद कम ही है लेकिन झारखंड विधानसभा चुनाव और उसके बाद की राजनीति पर जरूर इसका पड़ेगा.
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